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हालिया दिनों में सोशल मीडिया पर सेंसेशन बनीं और एक वर्ग विशेष पर अपनी धार्मिक टिप्पणी के चलते कोलकाता पुलिस द्वारा गिरफ्तार हुई 22 साल की लॉ स्टूडेंट शर्मिष्ठा पनोली को कोलकाता हाई कोर्ट ने जमानत दे दी है. आइये जानें किन शर्तों पर शर्मिष्ठा को ये बेल मिली.
बीते कुछ वक़्त से सोशल मीडिया पर चर्चा का केंद्र बन चुकी शर्मिष्ठा पनोली को कलकत्ता हाईकोर्ट ने बड़ी राहत दी है. 22 साल की लॉ स्टूडेंट और सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर शर्मिष्ठा की जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए बुधवार को कलकत्ता हाई कोर्ट ने सशर्त अंतरिम जमानत को मंजूरी दे दी. कोर्ट ने कहा है कि इस दौरान शर्मिष्ठा देश छोड़कर कहीं बाहर नहीं जा सकतीं. यदि वो ऐसा करती हैं तो उससे पहले उन्हें सीजेएम कोर्ट से इसकी अनुमति लेनी होगी.
शर्मिष्ठा की जमानत याचिका की सुनवाई कर रहे जस्टिस राजा बसु ने कहा है कि शर्मिष्ठा को 10 हजार रुपये के जमानत राशि भी जमा करनी होगी. बताते चलें कि गिरफ्तारी के बाद से ही शर्मिष्ठा को जानलेवा धमकियां मिल रही हैं. अतः कोर्ट ने इसका भी संज्ञान लिया.
कोर्ट ने कोलकाता पुलिस को निर्देशित किया है कि शर्मिष्ठा द्वारा गिरफ्तारी से पहले अपनी सुरक्षा को लेकर दर्ज कराई गई शिकायत के आधार पर उचित कार्रवाई की जाए.
ध्यान रहे कि शर्मिष्ठा की जमानत याचिका की सुनवाई पर बेंच ने कहा है कि हमें अभिव्यक्ति की पूर्ण स्वतंत्रता है, इसका मतलब ये नहीं है कि आप किसी की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचा सकते हैं. अगर सजा 7 साल से कम भी हो, तो भी पुलिस को किसी को भी गिरफ़्तार करने का पूरा अधिकार है.
बेंच ने यह भी कहा कि अगर कथित अपराध की सज़ा 7 साल से कम है, तो इसका मतलब यह नहीं है कि पुलिस आपको गिरफ़्तार नहीं कर सकती. भारतीय न्याय संहिता के सेक्शन 35 की कोई भी शर्त पूरी होने पर पुलिस चाहे तो किसी को भी गिरफ़्तार कर सकती है, आपको पहले प्रावधान पढ़ने चाहिए.
वहीं कोर्ट ने सख्त लहजे में इस बात को भी दोहराया कि किसी भी व्यक्ति को ऐसी टिप्पणी करते समय सावधानी बरतनी चाहिए, क्योंकि हमारे देश में विभिन्न समुदाय, जाति और धर्म के लोग एक साथ रहते हैं.