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AAP की बढ़ती ताकत देख फिर साथ आएगी बीजेपी और अकाली दल? बयानों से मिल रहे हैं संकेत

आम आदमी पार्टी का एक सियासी पैटर्न है, जहां वह सत्ता में है, वहां अजेय है. प्रचंड मोदी लहर के बाद भी दो-दो बार बीजेपी, AAP के सामने विधानसभा चुनावों में कहीं नहीं टिकी है. MCD चुनावों में भी बीजेपी की बुरी हार हुई है. अकाली दल और बीजेपी AAP की इस मजबूती से वाकिफ हैं.

AAP की बढ़ती ताकत देख फिर साथ आएगी बीजेपी और अकाली दल? बयानों से मिल रहे हैं संकेत

सुखबीर सिंह बादल और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी. (फाइल फोटो)

डीएनए हिंदी: पंजाब में आम आदमी पार्टी (AAP) की सियासी पकड़ साल-दर-साल बढ़ती जा रही है. दिल्ली की तरह, AAP अब पंजाब में अजेय आ रही है. शिरोमणि अकाली दल (SAD) को इस बात का एहसास है कि बिना किसी मजबूत सहयोगी पार्टी के राज्य की सत्ता में वापसी, आसान नहीं है. शिरोमणि अकाली दल, अपने पुराने दोस्त भारतीय जनता पार्टी (BJP) के साथ समझौते की राह देख रहा है.

शिरोमणि अकाली दल (शिअद) के एक नेता ने कहा कि ऐसा हो सकता है कि पार्टी अगले साल लोकसभा चुनाव के लिए भारतीय जनता पार्टी के साथ गठबंधन पर विचार कर सकता है. अकाली दल के प्रवक्ता महेशिंदर सिंह ग्रेवाल ने
यह इशारा किया है.

महेशिंदर सिंह ग्रेवाल साल 2024 में होने वाले लोकसभा चुनावों को लेकर कहा, 'ऑपरेशन ब्लू स्टार की वजह से हम कांग्रेस के साथ नहीं जा सकते. अगर बीजेपी सहयोगी दलों को उचित सम्मान देती है तो राजनीति में असंभव कुछ भी नहीं है.'

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कैसे टूटी थी शिरोमणि अकाली दल और बीजेपी की दोस्ती, क्यों आ सकते हैं साथ?

शिरोमणि अकाली दल और बीजेपी का गठबंधन, नाटकीय तरीके से टूटा था. पंजाब में बीजेपी की प्रबल सहयोगी पार्टी रहे अकाली दल ने नए कृषि कानूनों का हवाला देकर बीजेपी से नाता तोड़ लिया था. नए कानूनी प्रावधानों को केंद्र सरकार ने निरस्त कर दिया था. ये कानून 2020 में केंद्र सरकार कृषि कानूनों में सुधार के तौर पर लेकर आई थी. इस कानून के खिलाफ व्यापक विरोध प्रदर्शन हुए थे.

पंजाब, हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के किसान, सड़कों पर उतर आए थे. कई महीनों तक विरोध प्रदर्शन चला. 9 नवंबर 2021 को गुरु पर्व पर पीएम मोदी ने कानूनों को निरस्त करने की घोषणा की लेकिन शिरोमणि अकाली दल के साथ रिश्ते ठीक नहीं हुए.

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शिरोमणि अकाली दल साल 1997 से राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) का हिस्सा था. 1997 के पंजाब में विधानसभा चुनावों से पहले बीजेपी के साथ इस पार्टी ने गठबंधन किया था. 2020 तक, दोनों के बीच गठबंधन प्रभावी रहा लेकिन हालात बदल गए. अब आम आदमी पार्टी की बढ़ती ताकत के बीच बीजेपी-शिअद साथ आने की सोच रहे हैं.

क्या है बीजेपी का रिएक्शन?

अप्रैल में ही, पंजाब के स्टेट यूनिट चीफ विनी शर्मा ने कहा था कि बीजेपी के शिरोमणि अकाली दल के साथ फिर से गठबंधन करने की कोई संभावना नहीं है और वह पंजाब में सभी चुनाव अपने दम पर लड़ेगी. अब देखने वाली बात यह है कि शिरोमणि अकाली दल के नर्म तेवरों के बाद भी, बीजेपी नए सियासी गठजोड़ का हि्सा बनती है या नहीं.

क्यों साथ आ सकते हैं बीजेपी-शिअद?

साल 2022 में हुए विधानसभा चुनावों में AAP ने राज्य की कुल 117 सीटों में 92 सीटें हासिल की थीं. सत्ताधारी कांग्रेस 18 सीट पर सिमट गई थी. SAD महज 3 और बीजेपी को 1 सीट पर कामयाबी हासिल हुई थी. बीजेपी गठबंधन के साथ राज्य की सत्ता संभालने वाली शिअद, अब हाशिए पर है. ऐसे में आम आदमी पार्टी की रफ्तार रोकने के लिए बीजेपी के साथ जाना, शिअद की सियासी मजबूरी भी है.

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