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गुजरात में पुल का गिरना और 15 लोगों की मौत सुर्खियों में है, इसी सिलसिले में 'युवा सेना' नामक संगठन चलाने वाले सामाजिक कार्यकर्ता लखन दरबार ने कहा कि उन्होंने अगस्त 2022 में एक सरकारी अधिकारी के साथ बातचीत के दौरान पुल के संबंध में चिंताओं को उठाया था.
गुजरात के वडोदरा ज़िले में महिसागर नदी पर बने पुल के ढहने और उसमें 15 लोगों की मौत से तीन साल पहले, एक कार्यकर्ता ने एक सरकारी अधिकारी को इसकी 'खतरनाक स्थिति' के बारे में सचेत किया था, जिसने उस समय यह भी स्वीकार किया था कि यह पुल 'शायद ज़्यादा समय तक न टिके'. 'युवा सेना' नामक एक संगठन चलाने वाले सामाजिक कार्यकर्ता लखन दरबार ने कहा कि उन्होंने अगस्त 2022 में एक सरकारी अधिकारी के साथ बातचीत के दौरान पुल से जुड़ी चिंताओं को उठाया था.
उन्होंने आगे कहा कि पुल की खस्ता हालत के बावजूद, ज़िम्मेदार एजेंसियों ने समय पर कार्रवाई नहीं की, जिसके कारण यह त्रासदी हुई. बता दें कि आणंद और वडोदरा को जोड़ने वाले चार दशक पुराने पुल का एक हिस्सा बुधवार सुबह वडोदरा के पादरा के पास ढह जाने से कई वाहन महिसागर नदी में गिर गए. इस हादसे में मरने वालों की संख्या 15 हो गई है.
मामले में दिलचस्प ये कि दरबार और सरकारी अधिकारी के बीच अगस्त 2022 में हुई बातचीत का एक ऑडियो क्लिप भी घटना के बाद सोशल मीडिया पर वायरल हो गया. ऑडियो क्लिप में, दरबार को राज्य सड़क एवं भवन विभाग के अधिकारियों से पुल की मरम्मत या नया पुल बनाने का आग्रह करते सुना जा सकता है.
कार्यकर्ता ने उन्हें बताया कि वडोदरा जिला पंचायत सदस्य हर्षद सिंह परमार ने भी विभाग को एक पत्र लिखकर चार दशक पहले बने इस पुल की हालत पर चिंता व्यक्त की थी. जवाब में, अधिकारी को यह स्वीकार करते सुना जा सकता है कि एक निजी सलाहकार द्वारा किए गए सर्वेक्षण से संकेत मिलता है कि यह पुल ज़्यादा समय तक नहीं टिक पाएगा.
बुधवार को पुल के ढहने के बाद, दरबार मौके पर पहुंचे और पत्रकारों को बताया कि आर एंड बी विभाग ने इसे खतरनाक जानते हुए भी वाहनों के लिए बंद नहीं किया. कार्यकर्ता ने कहा, 'यह मुख्य पुल है जो आणंद को वडोदरा ज़िले से जोड़ता है और हज़ारों वाहन रोज़ाना इसका इस्तेमाल करते हैं. लोग पिछले कुछ समय से असामान्य कंपन की शिकायत कर रहे हैं. अधिकारियों को तीन साल पहले से पुल की स्थिति के बारे में पता था, लेकिन उन्होंने कोई कार्रवाई नहीं की.'
उन्होंने कहा, 'जब मैंने अगस्त 2022 में एक वरिष्ठ अधिकारी को फ़ोन किया, तो उन्होंने भी माना कि पुल की हालत ख़राब थी. उनके अपने परीक्षण में नकारात्मक प्रतिक्रिया मिली थी. उन्हें तुरंत प्रभाव से पुल को बंद कर देना चाहिए था. इसके बजाय, उन्होंने परीक्षण के परिणाम सार्वजनिक नहीं किए और पुल को चालू रखा, जिसके परिणामस्वरूप यह त्रासदी हुई.'
हालांकि, आर एंड बी के वडोदरा डिवीजन के कार्यकारी अभियंता, नैनीश नायकवाला ने कहा कि विभाग के निरीक्षण के दौरान पुल में कोई बड़ी खराबी नहीं पाई गई. उन्होंने कहा, 'पुल को वाहनों की आवाजाही के लिए बंद करने की कोई मांग नहीं की गई थी. हमारी रिपोर्ट के अनुसार, हमारे निरीक्षण के दौरान कोई बड़ी क्षति नहीं पाई गई. बेयरिंग कोट में एक समस्या थी, लेकिन पिछले साल ही इसकी मरम्मत कर दी गई थी.'
गौरतलब है कि 2021 से गुजरात में पुल ढहने की कम से कम छह बड़ी घटनाएं हो चुकी हैं. दिसंबर 2021 में, अहमदाबाद शहर के बाहरी इलाके में मुमतपुरा फ्लाईओवर के निर्माण के दौरान सड़क पर एक स्लैब गिर गया था. इस घटना में कोई घायल नहीं हुआ था.
अक्टूबर 2022 में, मोरबी शहर में मच्छू नदी पर बने एक ब्रिटिशकालीन झूला पुल के ढह जाने से 135 लोगों की मौत हो गई. जून 2023 में, तापी जिले में मिंधोला नदी पर एक नवनिर्मित पुल ढह गया. इसमें किसी के हताहत होने की सूचना नहीं है.
सितंबर 2023 में, सुरेंद्रनगर जिले में भोगावो नदी पर बने एक पुराने पुल का एक हिस्सा ढह जाने से चार लोग घायल हो गए, जब वधावन शहर के पास एक 40 टन का डम्पर पुल पार करने की कोशिश कर रहा था.
अक्टूबर 2023 में, बनासकांठा के पालनपुर शहर में आरटीओ सर्कल के पास एक निर्माणाधीन पुल के खंभों पर लगे छह कंक्रीट गर्डर या स्लैब के ढह जाने से एक ऑटोरिक्शा में सवार दो लोगों की मौत हो गई.
अगस्त 2024 में, सुरेंद्रनगर जिले के हबियासर गांव को चोटिला शहर से जोड़ने वाला भोगावो नदी पर बना एक छोटा पुल एक अतिप्रवाहित बांध से पानी के अचानक बढ़ने के कारण ढह गया. इस घटना में किसी के हताहत होने की सूचना नहीं है.