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एफ-35, एक स्टेल्थ स्ट्राइक फाइटर, ब्रिटेन का सबसे उन्नत युद्धक विमान कार्यक्रम है, लेकिन विडंबना यह है कि इस बेड़े को महत्वपूर्ण परिचालन और वित्तीय कमियों का सामना करना पड़ रहा है.
बीते कुछ वक्त से शायद ही कोई दिन बीतता हो जब केरल की धरती पर खड़े ब्रिटिश लड़ाकू विमान F-35 को लेकर चर्चा न होती हो. ध्यान रहे एक महीना होने को है और वो तकनीकी खराबी दूर ही नहीं हो पा रही जिसके चलते केरल स्थित तिरुवनंतपुरम हवाई अड्डे पर आपातकालीन लैंडिंग के नाम पर पहुंचा ब्रिटिश F-35 लड़ाकू विमान घर जाने की बाट जोह रहा है. हालांकि, एसोसिएटेड प्रेस के अनुसार, अगले सप्ताह तक इसकी मरम्मत करके इसे वापस यूनाइटेड किंगडम भेज दिया जाएगा.
इस मामले पर एक भारतीय अधिकारी के हवाले से, समाचार एजेंसी ने बताया कि 24 ब्रिटिश इंजीनियरों की एक टीम लड़ाकू विमान में आई हाइड्रोलिक खराबी को ठीक करने के लिए काम कर रही है, जिसके कारण इसे तिरुवनंतपुरम हवाई अड्डे पर आपातकालीन लैंडिंग करनी पड़ी.
यह पहली बार है जब अमेरिका निर्मित लड़ाकू विमान तकनीकी खराबी के कारण किसी अन्य देश में फंसा हुआ है.
ब्रिटेन के F-35 कार्यक्रम में क्षमता की कमी
राष्ट्रीय लेखा परीक्षा कार्यालय (NAO) की एक नई रिपोर्ट के अनुसार, F-35, एक स्टील्थ स्ट्राइक फाइटर, ब्रिटेन का सबसे उन्नत युद्धक विमान कार्यक्रम है, लेकिन विडंबना यह है कि इस बेड़े को भारी परिचालन और वित्तीय कमियों का सामना करना पड़ रहा है.
NAO के अनुसार, लड़ाकू विमानों की खरीद पर अब तक खर्च किए गए 11 अरब पाउंड का 'निराशाजनक प्रतिफल' रहा है. और अब, बेड़े के विस्तार की अनुमानित योजना पर रक्षा मंत्रालय (MoD) को शुरुआती लागत से तीन गुना से ज़्यादा खर्च करना पड़ेगा.
NAO ने आगे कहा कि कम उपलब्धता, इंजीनियरिंग की कमियों और हथियारों के एकीकरण में देरी के कारण परियोजना में बाधा आ रही है.
NAO के बयान में कहा गया है, 'देरी, बुनियादी ढांचे की कमियों और कर्मियों की कमी के कारण क्षमता लाभ पूरी तरह से प्राप्त नहीं हो पा रहे हैं.'
ब्रिटेन द्वारा खरीदे जाने वाले 138 विमानों में से, रक्षा मंत्रालय को अब तक केवल 38 F-35B ही प्राप्त हुए हैं, जिसका अर्थ है कि पूर्ण परिचालन क्षमता निर्धारित समय से दो वर्ष पीछे, 2025 के अंत तक खिसक गई है.
अमेरिकी कंपनी लॉकहीड मार्टिन F-35 बनाती है जो तकनीकी रूप से ब्रिटेन के सभी पूर्व लड़ाकू विमानों से बेहतर हैं और इनके 2069 तक सेवा में बने रहने की उम्मीद है.