Twitter
Advertisement

CBSE Class 10 Supplementary Result 2025: सीबीएसई ने जारी किया 10वीं का सप्लीमेंट्री रिजल्ट, 48.68% स्टूडेंट्स हुए पास

Mohammed Siraj का क्या है डाइट प्लान और कैसे रखते हैं फिट? इंग्लैंड दौरे पर फेंक दी 1000 से ज्यादा गेंदें

UPTAC Counselling 2025: यूपीटेक राउंड 2 सीट अलॉटमेंट लिस्ट जारी, uptac.admissions.nic.in पर ऐसे करें चेक

इस तरीके से डाइट में शामिल कर लिए ये 5 फल तो नसों से बाहर हो जाएगा बैड कोलेस्ट्रॉल, हार्ट भी रहेगा हेल्दी

Ayushman Card: इलाज की राह में रोड़ा, 'आयुष्मान भारत योजना' से किनारा काट रहे निजी अस्पताल, क्या है वजह?

जस्सी जैसा कोई नहीं, लेकिन सिराज किसी से कम भी नहीं, इंग्लैंड के खिलाफ बन गए मैच विनर

Satyapal Malik Networth: जम्मू कश्मीर के पूर्व राज्यपाल सत्यपाल अपने पीछे कितनी संपत्ति छोड़ गये, जानें कितनी नेटवर्थ के थे मालिक

B.Sc से LLB और फिर गवर्नर की कुर्सी तक, जानें सत्यपाल मलिक के पास थीं कौन-कौन सी डिग्रियां?

Elon Musk से सीखें कामयाबी का फॉर्मूला, जानें वो 5 आदतें जिसने बनाया Successful

Bihar SSC CGL Vacancy 2025: BSSC ने 1481 पदों पर निकाली वैकेंसी, 18 अगस्त से भरें फॉर्म

रेप के आरोपी को 4 दिन में सजा-ए-मौत, जज के इस फटाफट फैसले से SC भी अचंभित, भेजा नोटिस

सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने कहा कि जज का यह फैसला 'सराहनीय' नहीं कहा जा सकता है. कोर्ट ने कहा, 'यह न्याय का उपहास होगा कि आप उस व्यक्ति को पर्याप्त नोटिस या उसकी बात रखे बगैर मौत की सजा सुना रहे हो.’ 

रेप के आरोपी को 4 दिन में सजा-ए-मौत, जज के इस फटाफट फैसले से SC भी अचंभित, भेजा नोटिस

सांकेतिक तस्वीर

डीएनए हिंदी: सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने बिहार के एक जज द्वारा चार दिन में पॉक्सो मामले (POCSO case) के एक दोषी को फांसी की सजा और एक अन्य को उम्रकैद की सजा सुनाए जाने पर आपत्ति जताई है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जज का यह फैसला 'सराहनीय' नहीं कहा जा सकता है. जस्टिस यूयू ललित और जस्टिस एस रवींद्र भट की पीठ बिहार के एक निलंबित अतिरक्त सत्र न्यायाधीश की रिट याचिका पर विचार कर रही थी. जिसमें आरोप लगाया गया कि पॉक्सो मामलों में कुछ दिन के अंदर दोषी को सजा सुनाए जाने पर पटना हाईकोर्ट ने उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्यवाही शुरू की.

बिहार के अररिया में अतिरिक्त जिला और सत्र न्यायाधीश शशिकांत राय ने 6 साल की बच्ची से दुष्कर्म के मामले में चार दिन के अंदर ट्रायल पूरा करने के बाद दोषी को फांसी की सजा सुनाई थी. साथ ही एक अन्य पॉक्सो मामले में दोषी को एक दिन के भीतर मुकदमें में उम्रकैद की सजा सुनाई गई थी. सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में नोटिस जारी किया है और पटना हाईकोर्ट से मामले से जुड़े दस्तावेज मंगवाए हैं.

ये भी पढ़ें- सड़क पर बरतें सावधानी! भारत में चौंकाने वाले हैं एक्सीडेंट्स में मारे गए लोगों के आंकड़े

आरोपी को पर्याप्त नोटिस दिए बगैर मौत की सजा देना गलत-SC
सुप्रीम कोर्ट ने याचिका पर नोटिस जारी करते हुए दो सप्ताह में जवाब मांगा है. पीठ ने कहा, ‘याचिका पर जवाब में निलंबन के आदेश के अनुरूप उठाए गए कदमों का संकेत दिया जाएगा और सभी संबंधित दस्तावेज रिकॉर्ड पर रखे जाएंगे.’ पीठ ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के अनेक फैसले हैं जिनमें उसने कहा है कि सजा उसी दिन (सुनवाई पूरी करके) नहीं सुनाई जानी चाहिए. पीठ ने कहा, 'हमारे हिसाब से यह न्याय का उपहास होगा कि आप उस व्यक्ति को पर्याप्त नोटिस या अपनी बात रखने का अवसर तक नहीं दे रहे जिसे अंतत: मौत की सजा मिलने वाली है.’ 

ये भी पढ़ें- Weather: वीकेंड पर सुहाना हुआ मौसम, दिल्ली-NCR में बारिश, IMD ने इन राज्यों के लिए जारी किया अलर्ट

अररिया के अतिरिक्त जिला न्यायाधीश शशिकांत राय की याचिका में कहा कि उन्हें लगता है कि उनके खिलाफ एक ‘संस्थागत पूर्वाग्रह’ है क्योंकि उन्होंने 6 साल की एक बच्ची से बलात्कार से जुड़े पॉक्सो (बच्चों को यौन अपराध से संरक्षण कानून) के एक मामले में सुनवाई एक ही दिन में पूरी कर ली थी और एक अन्य मामले में एक आरोपी को चार दिन की सुनवाई में दोषी ठहराकर मौत की सजा सुनाई थी. उन्होंने दावा किया कि ये फैसले व्यापक रूप से खबरों में छाये रहे और उन्हें सरकार और जनता से सराहना मिली.

'HC का आदेश मनमाना और सिद्धांतों का उल्लंघन'
शशिकांत राय की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता विकास सिंह ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि याचिकाकर्ता को तत्काल प्रभाव से निलंबित करने का 8 फरवरी, 2022 का पटना हाईकोर्ट का आदेश ‘स्पष्ट रूप से मनमाना और प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों का उल्लंघन करने वाला’ है. याचिकाकर्ता 2007 में बिहार न्यायिक सेवा का हिस्सा बने थे. उनकी याचिका में दावा किया गया है कि उन्होंने केवल उच्च न्यायालय की नई मूल्यांकन प्रणाली के आधार पर वरिष्ठता बहाल करने पर विचार करने का अनुरोध किया था, लेकिन हाईकोर्ट ने कारण बताओ नोटिस जारी किया और बाद में कोई कारण बताए बिना महज फैसलों के मूल्यांकन की प्रक्रिया पर सवाल उठाने के लिए उन्हें निलंबित कर दिया.

देश-दुनिया की ताज़ा खबरों Latest News पर अलग नज़रिया, अब हिंदी में Hindi News पढ़ने के लिए फ़ॉलो करें डीएनए हिंदी को गूगलफ़ेसबुकट्विटर और इंस्टाग्राम पर.

Read More
Advertisement
Advertisement
पसंदीदा वीडियो
Advertisement