भारत
राजा राम | Jul 01, 2025, 07:59 PM IST
1.रेलवे ट्रैक पर अंग्रेजों का कब्जा बना
भारत भले ही 15 अगस्त 1947 को स्वतंत्र हो गया हो, लेकिन आज भी देश में एक ऐसा रेलवे ट्रैक मौजूद है जिस पर अंग्रेजों का कब्जा बना हुआ है. महाराष्ट्र के अमरावती से मुर्तजापुर तक फैला 190 किलोमीटर लंबा शकुंतला रेलवे ट्रैक आज भी ब्रिटेन की एक निजी कंपनी के स्वामित्व में है. यह ट्रैक अंग्रेजों के समय में कपास के व्यापार के लिए बनाया गया था और आज भी भारत सरकार इस पर चलने वाली ट्रेनों के लिए हर साल करोड़ों की रॉयल्टी देती है.
2.शकुंतला रेलवे ट्रैक का इतिहास
इस रेलवे ट्रैक का निर्माण 1903 में ब्रिटेन की क्लिक निक्सन एंड कंपनी ने शुरू किया था. इसके लिए सेंट्रल प्रोविंस रेलवे कंपनी (CPRC) का गठन किया गया, और 1916 में यह ट्रैक पूरी तरह तैयार हो गया. यह ट्रैक मुख्य रूप से अमरावती क्षेत्र से कपास मुंबई पोर्ट तक पहुंचाने के लिए बिछाया गया था.
3.'शकुंतला पैसेंजर' की कहानी
इस ट्रैक पर 'शकुंतला पैसेंजर' नाम की एकमात्र ट्रेन चलाई जाती थी, जिसमें शुरुआत में केवल 5 डिब्बे और स्टीम इंजन होता था. 1994 के बाद इसमें डीजल इंजन लगाया गया और डिब्बों की संख्या बढ़ाकर 7 कर दी गई. यह ट्रेन 17 छोटे स्टेशनों से गुजरती थी और इसकी रफ्तार मात्र 20 किलोमीटर प्रति घंटे थी.
4.अब तक कायम है अंग्रेजों का हक
भारत के आजाद होने के बाद भी इस ट्रैक का स्वामित्व ब्रिटिश कंपनी के पास बना रहा. भारतीय रेलवे ने 1947 में कंपनी के साथ एक समझौता किया, जिसके तहत हर साल करीब 1.20 करोड़ रुपये की रॉयल्टी कंपनी को दी जाती है. कई बार सरकार ने इसे खरीदने की कोशिश की, लेकिन अब तक कोई समाधान नहीं निकल पाया.
5.जर्जर हो चुका है ट्रैक
ट्रैक की हालत पिछले कई दशकों से बेहद खराब हो चुकी है. ब्रिटिश कंपनी ने रखरखाव पर कोई ध्यान नहीं दिया, जिससे शकुंतला पैसेंजर की रफ्तार और सेवाएं प्रभावित हुईं. 2020 से यह ट्रेन पूरी तरह बंद है, लेकिन स्थानीय लोगों की मांग है कि इसे फिर से शुरू किया जाए.
6.क्या भारत को अब भी लगान देना चाहिए?
भारत के आजाद होने के 78 साल बाद भी किसी विदेशी कंपनी को रेलवे ट्रैक का स्वामित्व देना और करोड़ों की रॉयल्टी चुकाना, सोचने पर मजबूर करता है. यह सवाल अब जरूरी हो गया है कि क्या अब समय नहीं आ गया कि भारत इस ऐतिहासिक बोझ से भी खुद को मुक्त कर ले?