Twitter
Advertisement

Numerology: बेहद भरोसेमंद होती हैं इन 4 तारीखों में जन्मी लड़कियां, प्यार या परिवार किसी को नहीं देती धोखा

Numerology: एक-दूसरे के 'कट्टर दुश्मन' होते हैं इन 2 मूलांक के लोग, सूर्य और शनि देव का रहता है प्रभाव

EC On Sir Issues: देश में Sir की दिशा में बड़ा कदम, चुनाव आयोग ने राज्यों को जारी किए नये दिशा निर्देश

IIT बॉम्बे में स्टूडेंट ने छत से कूदकर दी जान, कारण पता लगाने में जुटी पुलिस

Oldest Frozen Embryo Baby: विज्ञान का चमत्कार! 1994 में स्टोर किए गए भ्रूण से 30 साल बाद जन्मा दुनिया का सबसे 'बुजुर्ग नवजात' 

PM Kisan 20th Installment: पीएम किसान योजना की किस्त प्रधानमंत्री ने आज बनारस से की ट्रांसफर, पैसा आया या नहीं? 5 मिनट में चेक करें

12th फेल के लिए विक्रांत मैसी ने चार्ज की थी इतनी रकम, जानें नेशनल अवॉर्ड जीतने वाले एक्टर की नेटवर्थ

कैसी होनी चाहिए Arthritis मरीजों की डाइट? जानें Uric Acid को कंट्रोल में रखने के लिए क्या खाएं, क्या नहीं

दोपहर के किन 2 घंटों के दौरान डूबने से होती है सबसे ज्यादा मौत? नदी-झरने या पूल में जाने से पहले पढ़ें ये खबर

Tatkal tickets New Rule:अब एक व्यक्ति कितने तत्काल टिकट बुक कर सकता है? जानिए रेलवे का नया नियम

आजादी के 78 साल बाद भी अंग्रेजों के कब्जे में है ये रेलवे ट्रैक, हर साल देना पड़ता है करोड़ों का लगान

भारत भले ही 15 अगस्त 1947 को स्वतंत्र हो गया हो, लेकिन आज भी देश में एक ऐसा रेलवे ट्रैक मौजूद है जिस पर अंग्रेजों का कब्जा बना हुआ है. भारत सरकार हर साल इसे रॉयल्टी के रूप में करोड़ों रुपये देती है. 

राजा राम | Jul 01, 2025, 07:59 PM IST

1.रेलवे ट्रैक पर अंग्रेजों का कब्जा बना

रेलवे ट्रैक  पर अंग्रेजों का कब्जा बना
1

भारत भले ही 15 अगस्त 1947 को स्वतंत्र हो गया हो, लेकिन आज भी देश में एक ऐसा रेलवे ट्रैक मौजूद है जिस पर अंग्रेजों का कब्जा बना हुआ है. महाराष्ट्र के अमरावती से मुर्तजापुर तक फैला 190 किलोमीटर लंबा शकुंतला रेलवे ट्रैक आज भी ब्रिटेन की एक निजी कंपनी के स्वामित्व में है. यह ट्रैक अंग्रेजों के समय में कपास के व्यापार के लिए बनाया गया था और आज भी भारत सरकार इस पर चलने वाली ट्रेनों के लिए हर साल करोड़ों की रॉयल्टी देती है.

Advertisement

2.शकुंतला रेलवे ट्रैक का इतिहास

शकुंतला रेलवे ट्रैक का इतिहास
2

इस रेलवे ट्रैक का निर्माण 1903 में ब्रिटेन की क्लिक निक्सन एंड कंपनी ने शुरू किया था. इसके लिए सेंट्रल प्रोविंस रेलवे कंपनी (CPRC) का गठन किया गया, और 1916 में यह ट्रैक पूरी तरह तैयार हो गया. यह ट्रैक मुख्य रूप से अमरावती क्षेत्र से कपास मुंबई पोर्ट तक पहुंचाने के लिए बिछाया गया था.
 

3.'शकुंतला पैसेंजर' की कहानी

'शकुंतला पैसेंजर' की कहानी
3

इस ट्रैक पर 'शकुंतला पैसेंजर' नाम की एकमात्र ट्रेन चलाई जाती थी, जिसमें शुरुआत में केवल 5 डिब्बे और स्टीम इंजन होता था.  1994 के बाद इसमें डीजल इंजन लगाया गया और डिब्बों की संख्या बढ़ाकर 7 कर दी गई. यह ट्रेन 17 छोटे स्टेशनों से गुजरती थी और इसकी रफ्तार मात्र 20 किलोमीटर प्रति घंटे थी.

4.अब तक कायम है अंग्रेजों का हक

अब तक कायम है अंग्रेजों का हक
4

भारत के आजाद होने के बाद भी इस ट्रैक का स्वामित्व ब्रिटिश कंपनी के पास बना रहा. भारतीय रेलवे ने 1947 में कंपनी के साथ एक समझौता किया, जिसके तहत हर साल करीब 1.20 करोड़ रुपये की रॉयल्टी कंपनी को दी जाती है. कई बार सरकार ने इसे खरीदने की कोशिश की, लेकिन अब तक कोई समाधान नहीं निकल पाया.

5.जर्जर हो चुका है ट्रैक

जर्जर हो चुका है ट्रैक
5

ट्रैक की हालत पिछले कई दशकों से बेहद खराब हो चुकी है. ब्रिटिश कंपनी ने रखरखाव पर कोई ध्यान नहीं दिया, जिससे शकुंतला पैसेंजर की रफ्तार और सेवाएं प्रभावित हुईं. 2020 से यह ट्रेन पूरी तरह बंद है, लेकिन स्थानीय लोगों की मांग है कि इसे फिर से शुरू किया जाए.
 

6.क्या भारत को अब भी लगान देना चाहिए?

क्या भारत को अब भी लगान देना चाहिए?
6

भारत के आजाद होने के 78 साल बाद भी किसी विदेशी कंपनी को रेलवे ट्रैक का स्वामित्व देना और करोड़ों की रॉयल्टी चुकाना, सोचने पर मजबूर करता है. यह सवाल अब जरूरी हो गया है कि क्या अब समय नहीं आ गया कि भारत इस ऐतिहासिक बोझ से भी खुद को मुक्त कर ले?

Read More
Advertisement
Advertisement
पसंदीदा वीडियो
Advertisement