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Uttarakhand: UCC लागू होते ही मचा बवाल! मौलानाओं की नाराजगी, कहा- चाचा और फूफी की बेटी से निकाह पर पाबंदी कबूल नहीं, देखें Video

UCC को लेकर उत्तराखंड में विवाद बढ़ता जा रहा है. जहां सरकार इसे सभी धर्मों के लिए समान कानून बताकर लागू कर रही है, वहीं मुस्लिम समुदाय के एक वर्ग को यह हस्तक्षेप लग रहा है. अब देखना होगा कि यह असंतोष आगे किस रूप में सामने आता है.

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Uttarakhand: UCC लागू होते ही मचा बवाल! मौलानाओं की नाराजगी, कहा- चाचा और फूफी की बेटी से निकाह पर पाबंदी कबूल नहीं, देखें Video

UCC Uttarakhand 

UCC: उत्तराखंड (Uttarakhand) में समान नागरिक संहिता (UCC) लागू होने के बाद मुस्लिम धर्मगुरुओं में जबरदस्त नाराजगी देखने को मिल रही है. कई मौलानाओं ने इसे मुस्लिम पर्सनल लॉ में हस्तक्षेप बताते हुए खुलकर विरोध जताया है. उनका कहना है कि केंद्र सरकार इस कानून के जरिए इस्लामिक परंपराओं को खत्म करने की कोशिश कर रही है. हाल ही में एक वायरल वीडियो में, एक मौलाना ने कहा कि UCC को लागू करने से पहले उलेमाओं से सलाह ली गई थी, लेकिन उनकी राय को अनदेखा कर दिया गया. उन्होंने जोर देकर कहा कि इस्लाम उनके खून में बसा हुआ है और वे किसी भी सूरत में अपनी धार्मिक परंपराओं से समझौता नहीं करेंगे.

शरीयत में दखल को बताया अस्वीकार्य

मौलानाओं ने UCC में शामिल कुछ प्रावधानों को लेकर खास नाराजगी जताई है. उनके अनुसार, शरीयत में चाचा और फूफी की बेटियों से निकाह करने की इजाजत दी गई है, लेकिन नया कानून इसे प्रतिबंधित कर रहा है. सोशल मीडिया पर एक वीडियो तेजी से वायरल हो रहा है, जिसमें वरिष्ठ पत्रकार अदिति त्यागी से चर्चा के दौरान मौलाना हाल ही में उत्तराखंड में लागू हुए यूसीसी पर अपनी राय व्यक्त कर रहे हैं.इसके अलावा, तलाक के बाद महिलाओं को तीन महीने की इद्दत (वेटिंग पीरियड) रखने का नियम भी खत्म कर दिया गया है, जिसे मौलानाओं ने धार्मिक हस्तक्षेप करार दिया है. उनका कहना है कि ये कानून उनकी धार्मिक स्वतंत्रता पर हमला है और वे इसे किसी भी हाल में स्वीकार नहीं करेंगे.

निकाह और लिव-इन पर सख्त नियम

UCC के तहत शादी और लिव-इन रिलेशनशिप को लेकर सख्त नियम बनाए गए हैं. इसमें 74 ऐसे रिश्तों का उल्लेख किया गया है, जिनमें निकाह और लिव-इन दोनों प्रतिबंधित होंगे. नए कानून के मुताबिक, अगर कोई निकाह करना चाहता है तो उसे पहले मौलानाओं और रजिस्ट्रार को सूचित करना होगा. रजिस्ट्रार यह तय करेगा कि शादी सार्वजनिक नैतिकता के खिलाफ तो नहीं है. यदि शादी नियमों के विरुद्ध पाई गई तो उसका रजिस्ट्रेशन रद्द कर दिया जाएगा. इस प्रावधान पर मौलाना भड़के हुए हैं और इसे मुस्लिम समाज के अधिकारों के खिलाफ बता रहे हैं.


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