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सुप्रीम कोर्ट की यूपी सरकार को फटकार, प्रयागराज में घरों को 'अमानवीय' तरीके से ध्वस्त करने पर नाराज, कानून की दिलाई याद

सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को उत्तर प्रदेश सरकार और प्रयागराज विकास निकाय को घरों के 'अमानवीय और अवैध' विध्वंस के लिए फटकार लगाई, और अधिकारियों को याद दिलाया कि 'देश में कानून का शासन है.'

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सुप्रीम कोर्ट की यूपी सरकार को फटकार, प्रयागराज में घरों को 'अमानवीय' तरीके से ध्वस्त करने पर नाराज, कानून की दिलाई याद

Supreme Court on UP Demolition: सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को उत्तर प्रदेश सरकार और प्रयागराज विकास निकाय को घरों के 'अमानवीय और अवैध' विध्वंस के लिए फटकार लगाई, और अधिकारियों को याद दिलाया कि 'देश में कानून का शासन है.'

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि नागरिकों के आवासीय ढांचों को इस तरह से ध्वस्त नहीं किया जा सकता. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि प्रयागराज में हुई तोड़फोड़ ने उसकी अंतरात्मा को झकझोर दिया है. साथ ही कोर्ट ने कहा कि आश्रय का अधिकार और कानून की उचित प्रक्रिया नाम की कोई चीज होती है. सुप्रीम कोर्ट ने प्राधिकरण को निर्देश दिया कि वह छह सप्ताह के भीतर प्रत्येक मकान मालिक को 10 लाख रुपये का मुआवजा दे. 

अंतरात्मा को झटका

सुप्रीम कोर्ट ने 24 मार्च को भी इसी तरह के बयान दिए थे, जिसमें प्रयागराज में 'अत्याचारी' तरीके से मकान ढहाने के लिए उत्तर प्रदेश सरकार की आलोचना की गई थी और कहा था कि इससे उसकी अंतरात्मा को झटका लगा है. जस्टिस अभय एस ओका और उज्जल भुइयां की पीठ अधिवक्ता जुल्फिकार हैदर, प्रोफेसर अली अहमद और अन्य लोगों की याचिका पर सुनवाई कर रही है, जिनके मकान ढहाए गए थे. इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने मकान ढहाने को चुनौती देने वाली उनकी याचिका खारिज कर दी.

गलत कार्रवाई

याचिकाकर्ताओं ने आरोप लगाया कि प्रयागराज जिले के थाना खुल्दाबाद के लूकरगंज में नजूल प्लॉट नंबर 19 के एक हिस्से पर खड़े कुछ निर्माणों के संबंध में 6 मार्च, 2021 को उन्हें नोटिस दिया गया था. याचिकाकर्ताओं के वकील ने कहा था कि राज्य सरकार ने गलत तरीके से मकानों को ध्वस्त कर दिया, यह सोचकर कि जमीन गैंगस्टर-राजनेता अतीक अहमद की है, जो 2023 में पुलिस मुठभेड़ में मारा गया था.

सर्वोच्च न्यायालय ने पहले भी कहा था कि उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा प्रयागराज में बिना उचित कानूनी प्रक्रिया का पालन किए घरों को ध्वस्त करना 'चौंकाने वाला और गलत संकेत' देता है.


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राज्य की कार्रवाई का बचाव करते हुए, अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणी ने 24 मार्च की सुनवाई के दौरान नोटिस देने में पर्याप्त 'उचित प्रक्रिया' का पालन करने का आश्वासन दिया था. आर वेंकटरमणी ने बड़े पैमाने पर अवैध कब्जों की ओर इशारा करते हुए कहा था कि राज्य सरकार के लिए अनधिकृत कब्जों को नियंत्रित करना मुश्किल है.

 

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