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बिहार में लाखों मतदाताओं के अधिकार पर संकट, चुनाव आयोग के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती, समझें पूरा मामला

Bihar Election 2025: बिहार में चुनाव आयोग के द्वारा मतदाता सूची के एसआईआर रिवीजन के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है. यह आदेश लाखों मतदाताओं के अधिकारों को प्रभावित कर सकता है.

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बिहार में लाखों मतदाताओं के अधिकार पर संकट, चुनाव आयोग के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती, समझें पूरा मामला

Bihar Election 2025

Bihar Election 2025: बिहार में आगामी विधानसभा चुनावों को लेकर मतदाता सूची के रिवीजन के लिए चुनाव आयोग के हालिया आदेश पर विवाद खड़ा हो गया है. इस आदेश के खिलाफ एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR) ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है. ADR ने आरोप लगाया कि चुनाव आयोग का यह आदेश मनमाना और संविधान विरोधी है, जिससे लाखों मतदाता अपने मतदान के अधिकार से वंचित हो सकते हैं.

इस आदेश में कई समस्याएं

दरअसल, चुनाव आयोग ने 24 जून को बिहार में वोटर लिस्ट के रिवीजन के लिए एसआईआर (स्पेशल इंटेंसिव रिविजन) की घोषणा की थी. आयोग का तर्क था कि रिवीजन प्रक्रिया से मतदाता सूची को और अधिक सटीक किया जाएगा. हालांकि, ADR का कहना है कि इस आदेश में कई समस्याएं हैं, जिनका असर विशेष रूप से उन लोगों पर पड़ेगा जिनके पास आधार कार्ड, राशन कार्ड जैसे सामान्य पहचान पत्र नहीं हैं. कोर्ट में दायर याचिका में यह भी कहा गया है कि इस आदेश से विशेष रूप से एससी, एसटी, वंचित वर्ग और प्रवासी श्रमिकों के मतदाता सूची से बाहर होने का खतरा है. इन वर्गों के पास जन्म प्रमाणपत्र जैसे दस्तावेज नहीं होते हैं, जो चुनाव आयोग के आदेश के तहत आवश्यक हैं. इसके अलावा, बिहार में गरीबी और बड़ी संख्या में माइग्रेशन के कारण कई लोगों के पास इन दस्तावेजों को प्राप्त करने का समय और संसाधन नहीं हैं.

चुनाव प्रक्रिया की स्वतंत्रता और निष्पक्षता पर सवाल

याचिका में आगे बताया गया है कि, चुनाव आयोग ने रिवीजन के लिए जो समयसीमा तय की है, वह भी अधूरी है यदि यह आदेश रद्द नहीं किया गया, तो लाखों मतदाताओं का वोट देने का अधिकार छीन लिया जाएगा, जिससे चुनाव प्रक्रिया की स्वतंत्रता और निष्पक्षता पर सवाल उठेंगे. अब इस मामले में सुप्रीम कोर्ट से दखल देने की मांग की गई है.


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बिहार में नवंबर में विधानसभा चुनाव

इस याचिका में यह भी कहा गया है कि चुनाव आयोग का यह आदेश संविधान के अनुच्छेद 14, 19, 21, 325 और 326 का उल्लंघन करता है. यह चुनाव प्रक्रिया की निष्पक्षता और पारदर्शिता के सिद्धांतों से भी विपरीत है. बिहार में नवंबर में विधानसभा चुनाव होने हैं और यह मामला चुनाव आयोग के आदेश के प्रभाव को लेकर राजनीतिक और कानूनी दृष्टि से महत्वपूर्ण बन गया है.

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