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भारत
मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने दोनों तरफ से दलील सुनने के बाद फैसला सुनाया और महिला की याचिका को खारिज कर दिया. कोर्ट ने कहा कि महिला के आरोपों का कोई सुबूत नहीं है.
मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने फैमिली कोर्ट के खिलाफ दी गई एक महिला की याचिका को खारिच कर दिया. महिला ने दावा किया था कि पारिवारिक अदालत ने उसके पति की तलाक की याचिका को उसके खिलाफ क्रूरता के आधार पर अनुमति दी गई. महिला ने आरोप लगाया कि उसका पति उसके साथ मारपीट करता है और 25 लाख रुपये दहेज डिमांड करता है. लेकिन पति ने इन आरोपों को बेबुनियाद बताते हुए कुछ और ही कहानी बताई. पति ने आरोप लगाया कि उसकी पत्नी अपने पुरुष दोस्तों से अश्लील चैटिंग करती है. जब उसने रोकने की कोशिश की तो यह आरोप लगाया गया.
हाईकोर्ट ने इस मामले में फैसला सुनाते हुए महिला की याचिका खारिज कर दी. कोर्ट ने कहा कि कोई भी पति यह बात बर्दाश्त नहीं कर सकता है कि उसकी पत्नी अपने मोबाइल पर किसी और से अश्लील चैटिंग करे. हाईकोर्ट ने कहा कि कोई भी पति या पत्नी शादी के बाद अपने दोस्तों से अश्लील बातें नहीं कर सकता है. शादी के बाद पति-पत्नी को भी आजादी होती है कि वह किसी से बात करे, लेकिन अपनी जिंदगी के बारे में किसी से अश्लील चैटिंग नहीं करना चाहिए.
क्या है पूरा मामला?
दरअसल, यह मामला साल 2018 का है. कपल की इसी साल शादी हुई थी. पति आंशिक रूप से सुन नहीं सकता. इसकी जानकारी लड़की वालों को शादी से पहले ही दे दी गई थी. पति का आरोप है कि शादी के कुछ महीने बाद ही पत्नी ने उसकी मां के साथ दुर्व्यवहार शुरू कर दिया था और ससुराल छोड़कर चली गई थी. पति ने आरोप लगाया कि पत्नी अपने पुराने प्रेमी से मोबाइल पर चैटिंग करती थी. जब उसे पता चला तो रोकने की कोशिश की. लेकिन वह रुकने की बजाय उनकी शारीरिक संबंध की अश्लील बातें अपने एक्स से करने लगी.
वहीं, पत्नी ने अपना पक्ष रखते हुए कोर्ट को बताया कि जिन पुरुषों से चैटिंग का आरोप लगाया जा रहा है, उससे उसका कोई संबंध नहीं है. महिला ने दावा किया कि उसका मोबाइल हैक हो गया था. उसके खिलाफ सबूत बनाने के लिए उन दो पुरुषों को उन्हीं ने मैसेज किए थे. पत्नी ने आरोप लगाया कि वह उसके साथ मारपीट करता है और 25 लाख रुपये का दहेज मांगता है. पत्नी ने यह भी कहा कि उसके मोबाइल की चैट को निकालकर देखना निजता के अधिकार का उल्लंघन है.
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कोर्ट ने दोनों तरफ से दलील सुनने के बाद फैसला सुनाया और महिला की याचिका को खारिज कर दिया. कोर्ट ने कहा कि महिला के आरोपों का कोई सुबूत नहीं है. साथ ही कहा कि पुरुष हो या महिला शादी के बाद अन्य व्यक्ति से आपकी बातें ऐसी होनी चाहिए जिससे आपके पार्टनर को कोई आपत्ति न हो. अगर शादी के बाद भी पति या पत्नी ऐसी बातें करना जारी रखता है तो यकीनन वो मानसिक क्रूरता की वजह बनेगा.
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