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Kerala: चर्च की जमीन से मिले 100 साल पुराने मंदिर के अवशेष! अब हिंदू भक्तों के लिए पादरियों ने किया ये ऐलान

केरल के पलाय में खुदाई के दौरान प्राचीन मंदिर के अवशेष मिले. मंदिर के इतिहास के अनुसार, यह करीब 100 साल पहले नष्ट हो गया था.

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Kerala: चर्च की जमीन से मिले 100 साल पुराने मंदिर के अवशेष! अब हिंदू भक्तों के लिए पादरियों ने किया ये ऐलान

केरल (Kerala) के पलाय में एक ऐतिहासिक खोज सामने आई है. यहां कैथोलिक डायोसिस के स्वामित्व वाली जमीन से खुदाई के दौरान एक पुराने मंदिर के अवशेष मिले हैं. मंदिर से जुड़े शिवलिंग और अन्य संरचनाओं की खोज के बाद स्थानीय हिंदू संगठनों ने इस स्थान पर पूजा-अर्चना की मांग उठाई. चर्च प्रशासन ने सौहार्दपूर्ण रवैया अपनाते हुए न केवल इसकी पुष्टि की, बल्कि ‘देवप्रसन्नम’ (एक ज्योतिषीय अनुष्ठान) की भी अनुमति दी, जिससे भगवान की इच्छा का पता लगाया जा सके.

खुदाई में मिला मंदिर का इतिहास
बीते हफ्ते, जब 1.8 एकड़ जमीन पर कसावा (टैपियोका) की खेती के लिए खुदाई चल रही थी, तब स्थानीय लोगों को मंदिर के अवशेष मिले. यह जमीन वेल्लप्पाडु के श्री वनदुर्गा भगवती मंदिर से लगभग एक किलोमीटर दूर स्थित है. रिपोर्ट्स के मुताबिक, यह मंदिर करीब सौ साल पहले नष्ट हो गया था. पहले यह भूमि एक ब्राह्मण परिवार के स्वामित्व में थी, लेकिन समय के साथ यह कई हाथों से होती हुई पलाय कैथोलिक डायोसिस के पास आ गई.

चर्च प्रशासन का सहयोगात्मक रवैया
जैसे ही इस खोज की जानकारी स्थानीय हिंदू समुदाय को मिली, उन्होंने तुरंत चर्च प्रशासन से संपर्क किया. श्री वनदुर्गा भगवती मंदिर समिति के सदस्य विनोद केएस ने बताया कि उन्हें 6 फरवरी को मंदिर के अवशेषों के बारे में जानकारी मिली. इसके बाद चर्च प्रशासन से बातचीत की गई, जिन्होंने सकारात्मक रुख अपनाते हुए देवप्रसन्नम अनुष्ठान की अनुमति दे दी.


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चर्च और हिंदू समुदाय के बीच सौहार्दपूर्ण संबंध
पलाय डायोसिस के चांसलर फादर जोसेफ कुट्टियानकल ने पुष्टि की कि खुदाई के दौरान एक मंदिर के अवशेष मिले हैं. उन्होंने कहा, 'हम हिंदू समुदाय की भावनाओं का सम्मान करते हैं और सौहार्द बनाए रखना हमारी प्राथमिकता है.' स्थानीय बुजुर्गों के अनुसार, इस स्थान पर कभी मंदिर था, जिसकी पुष्टि अब खुदाई में मिले अवशेषों से हो रही है. मंदिर समिति अब देवप्रसन्नम अनुष्ठान कराने की योजना बना रही है, जिसके बाद आगे की प्रक्रिया तय होगी.

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