भारत
Nimisha Priya Case: भारतीय मूल की नर्स निमिषा प्रिया को यमन में फांसी से बचाने के प्रयासों को बड़ी सफलता मिली है. सूफी नेताओं की मध्यस्थता और भारत सरकार की कोशिशों से उसकी फांसी फिलहाल टल गई है.
यमन की जेल में बंद भारतीय नर्स निमिषा प्रिया को लेकर एक बड़ी राहत की खबर सामने आई है. 16 जुलाई को तय की गई फांसी की सजा को फिलहाल टाल दिया गया है. यह संभव हो सका है भारत सरकार की कोशिशों और खासतौर पर सूफी नेता कंथापुरम एपी अबूबकर मुसलियार और शेख हबीब उमर बिन हाफिज की मध्यस्थता से. इस पहल को सिर्फ एक महिला की जान बचाने के प्रयास के रूप में नहीं, बल्कि दो संस्कृतियों और देशों के बीच मानवीय संवाद के नए पुल के रूप में देखा जा रहा है.
दरअसल, केरल की रहने वाली नर्स निमिषा प्रिया पर 2017 में यमन में अपने यमनी बिजनेस पार्टनर तलाल अब्दो महदी की हत्या का आरोप लगा था. जांच और कानूनी प्रक्रिया के बाद 2020 में उसे फांसी की सजा सुनाई गई. जिसके बाद उन्हें 2023 में उसकी आखिरी अपील भी खारिज कर दी गई. इसके बाद से वह सना की जेल में बंद है और उसकी मां व परिजन भारत में उसकी रिहाई की उम्मीद लगाए बैठे थे.
भारत सरकार की कोशिशों के बावजूद यमन की जटिल परिस्थितियों के कारण बात नहीं बन पा रही थी. ऐसे में 94 वर्षीय सूफी नेता कंथापुरम मुसलियार ने पहल की और प्रमुख सूफी विद्वान शेख हबीब उमर के अनुयायियों को मध्यस्थता में लगाया गया. यमन के धमार शहर में महदी के परिवार से प्रतिनिधियों की बातचीत हुई, जिसमें मुआवजे के विकल्प पर विचार किया गया.
मिली जानकारी के अनुसार मंगलवार को हुई बैठक में महदी का एक करीबी रिश्तेदार भी शामिल हुआ, जो यमन की शूरा काउंसिल का सदस्य और न्यायाधीश है. चूंकि वह भी सूफी पंथ का अनुयायी है, इसलिए समझौते की संभावनाएं मजबूत हुईं. उसी के बाद 16 जुलाई की फांसी को टालने की घोषणा हुई. आपको बता दें विदेश मंत्रालय भी लगातार इस मामले पर नजर बनाए हुए था. भारत ने इस मामले पर यमन सरकार से समय मांगा ताकि आपसी सहमति के जरिए कोई समाधान निकाला जा सके. इस दौरान भारतीय अधिकारियों ने जेल प्रशासन से लगातार संपर्क बनाए रखा था.
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