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पिता ने गली-गली घूम कर जुटाया चंदा, बेटे ने गोल्ड मेडल जीत बढ़ाया मान, गाजीपुर जिले में गूंजा दिवाकर पासवान का नाम

उत्तर प्रदेश के गाजीपुर में एक बेटे ने अपने पिता का ही नहीं बल्कि पूरे गांव का नाम रोशन किया है. दिवाकर का नाम अब पूरा गाजीपुर जानता है. दिवाकर की कहानी प्रेरणा से भरी है.

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पिता ने गली-गली घूम कर जुटाया चंदा, बेटे ने गोल्ड मेडल जीत बढ़ाया मान, गाजीपुर जिले में गूंजा दिवाकर पासवान का नाम

उत्तर प्रदेश के गाजीपुर में एक बेटे ने सिर्फ अपना ही नहीं बल्कि पूरे गांव का नाम रोशन कर दिया है. अब गाजीपुर जिले में हर तरफ दिवाकर पासवान का नाम सुनाई दे रहा है. दिवाकर ने अखिल भारतीय अंतर-राज्य एथलेटिक्स चैंपियनशिप में 200 और 400 मीटर दौड़ में गोल्ड मेडल जीकर इतिहास रचा है. यही नहीं, उन्होंने कई राज्य स्तरीय प्रतियोगिताओं में भी पदक जीते हैं.

पिता ने ऐसे जुटाया चंदा
बेटे की इस सफलता के पीछे पिता की कड़ी मेहनत का पसीना भी जुड़ा है. अपने बेटे के सपनों को पूरा करने के लिए पिता विरेंद्र पासवान ने गांव वालों से चंदा लेकर बेटे को जूते दिलाए. फिर दिवाकर ने कोच चंद्रभान यादव, संजीव श्रीवास्तव और निर्मल कुमार शाही की देखरेख में दौड़ की शुरुआत की. अभी वह वाराणसी में कोच जितेंद्र कुमार के साथ अभ्यास कर रहे हैं. 

दिवाकर ने भी पिता की मेहनत को खाली हाथ नहीं जाने दिया और 2023 में उन्होंने स्कूल स्टेट, स्कूल नेशनल और जूनियर स्टेट चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल जीतकर अपना, अपने पिता का और अपने गांव का नाम रोशन किया. इसके बाद 2024 में यूपी स्टेट अंडर-23 और ऑल इंडिया यूनिवर्सिटी चैंपियनिशिप में भी उन्होंने गोल्ड मेडल जीता. 


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किस गांव के दिवाकर पासवान
सेवराई गांव के रहने वाले वीरेंद्र पासवान के तीन बेटे दीपक, दिवाकर और अनंत है. परिवार की रोजी-रोटी चलाने के लिए दिवाकर के बड़े भाई और पिता फेरी लगाकर परिवार पालते हैं. दिवाकर स्नातक की पढ़ाई करने के साथ ही एथलेटिक्स में भी करियर बनाने का सपना सजाए हुए हैं. जिसके लिए वह वाराणसी में रहकर अपनी पढ़ाई के साथ ही अपने सपनों की भी तैयारी कर रहे हैं. दिवाकर के पिता के पास इतना पैसा नहीं होता था कि वह बेटे के लिए एक जोड़ी जूता खरीद सकें, जिससे कि बेटा दौड़ लगाए. लेकिन गांव के लोगों ने अपने बेटे की पूरी मदद की और समय-समय पर उसके लिए जूते के साथ ही जरूरत का हर सामान चंदा लगाकर पूरा किया करते थे.

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