भारत
दो अलग-अलग प्लेन क्रैश में सिर्फ एक-एक यात्री की जान बची और हैरानी की बात ये कि दोनों की सीट नंबर थी 11A. एक तरफ थे थाई अभिनेता रूआंगसाक, दूसरी ओर ब्रिटिश नागरिक विशाल रमेश. दोनों ने मौत को बेहद करीब से देखा, लेकिन उसी सीट पर बैठकर चमत्कारिक रूप से बच निकले.
11 दिसंबर 1998 को थाईलैंड के सुराट थानी एयरपोर्ट पर एक दर्दनाक हादसा हुआ.थाई एयरवेज फ्लाइट TG261, जो बैंकॉक से चली थी, लैंडिंग के दौरान दलदली इलाके में फिसलकर क्रैश हो गई. इस दुर्घटना में कुल 146 यात्रियों में से 101 लोगों की जान चली गई.
सीट A-11 हादसे में चमत्कार
लेकिन इस विनाशकारी हादसे में एक चमत्कार भी हुआ . उस विमान में 20 वर्षीय थाई गायक और अभिनेता रूआंगसाक लॉयचुसाक सुरक्षित बच निकले और सबसे हैरानी की बात ये थी कि वो सीट नंबर 11A पर बैठे थे. हादसे के बाद उन्होंने इस घटना को अपनी "दूसरी जिंदगी की शुरुआत" कहा और कई सालों तक फ्लाइट से दूरी बना ली.
2025 का विमान हादसा, वही सीट
हाल ही में भारत में एयर इंडिया की फ्लाइट AI171 का भीषण हादसा हुआ.अहमदाबाद एयरपोर्ट से उड़ान भरने के कुछ समय बाद यह बोइंग ड्रीमलाइनर क्रैश हो गया.विमान में सवार 242 यात्रियों में से केवल एक व्यक्ति, विशाल कुमार रमेश, ही जीवित बचे.
और एक बार फिर वही सीट नंबर 11A.विशाल इमरजेंसी एक्जिट के पास बैठे थे और जब विमान ज़मीन से टकराया, तो वो बाहर फेंक दिए गए.कई गंभीर चोटों के बावजूद उन्होंने किसी तरह खुद को संभाला और अस्पताल तक पहुंचने में कामयाब हुए. उन्होंने कहा कि “मुझे नहीं पता मैं कैसे बच गया. जब मेरी आंखें खुलीं, तो मैं खुद को सीट से निकाल रहा था और बस भाग रहा था.”
थाई सिंगर का रिएक्शन “मैं भी 11A पर था”
जब रूआंगसाक ने यह खबर देखी कि भारत में हुए विमान हादसे का इकलौता सर्वाइविंग पैसेंजर भी सीट 11A पर बैठा था, तो उन्होंने फेसबुक पर थाई भाषा में भावुक पोस्ट की “भारत में विमान दुर्घटना के जीवित बचे शख्स की तरह, मैं भी अपनी सीट 11A पर था.” उन्होंने यह भी बताया कि उनके पास 1998 के बोर्डिंग पास नहीं है, लेकिन उस समय की मीडिया रिपोर्ट्स और अखबारों में उनके सीट नंबर का ज़िक्र साफ तौर पर मिलता है.
सीट 11A इत्तेफाक या चमत्कार?
सीट 11A विमान में आमतौर पर इमरजेंसी एक्जिट के पास होती है, जहां अधिक लेग स्पेस होता है. ऐसी सीटें खतरे के समय जल्दी बाहर निकलने का मौका दे सकती हैं. लेकिन दो अलग-अलग देशों में, दो अलग-अलग हादसों में केवल इसी सीट पर बैठे लोग ही बचे रहना अब एक रहस्यमयी संयोग बन चुका है.
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