बॉलीवुड
डायरेक्टर श्रीराम राघवन (ShriRam Raghvan) की आने वाली दिग्गज एक्टर धर्मेंद्र (Dharmendra) , अमिताभ बच्चन (Amitabh Bachchan) के नाती अगस्त्य नंदा (Agastya Nanda) की फिल्म इक्कीस (Ikkis) मुश्किल में पड़ गई है. दरअसल, फिल्म में वॉर हीरो के परमवीर चक्र से मामला जुड़ा है.
बॉलीवुड में कई ऐसी फिल्में है, जो भारत पाकिस्तान वॉर पर बनी हैं. वहीं, डायरेक्टर श्रीराम राघवन (ShriRam Raghvan) एक वॉर फिल्म के साथ सिल्वर स्क्रीन पर वापसी कर रही हैं. नेशनल अवॉर्ड विनर फिल्म निर्माता, जो कि एक हसीना थी (Ek Haseena Thi), जॉनी गद्दार(Johny Gaddar) , बदलापुर (Badlapur) और अंधाधुन (Andhadhun) जैसी फिल्मों के लिए जाने जाते हैं. उनकी आने वाली फिल्म जिसका नाम इक्कीस (Ikkis) है, जिसमें दिग्गज एक्टर धर्मेंद्र (Dharmendra) , अमिताभ बच्चन (Amitabh Bachchan) के नाती अगस्त्य नंदा (Agastya Nanda) और पाताल लोक (Patal Lok) स्टार जयदीप अहलावत (Jaideep Ahlawat) नजर आने वाले हैं. वहीं, यह फिल्म रिलीज से पहले ही मुश्किल में फंस गई है.
दरअसल, शनिवार को फिल्म के निर्माताओं ने फिल्म की रिलीज की डेट के बारे में दर्शकों को जानकारी दी और इसका पहला लुक जारी किया. इक्कीस भारतीय वॉर हीरो अरुण खेत्रपाल पर आधारित है और 2 अक्टूबर 2025 को गांधी जयंती के मौके पर सिनेमाघरों में रिलीज की जाएगी. हालांकि फिल्म में अरुण को परमवीर चक्र के सबसे कम उम्र के प्राप्तकर्ता के रूप में गलत तरीके से दिखाया गया है. जबकि अरुण को मरणोपरांत 21 साल की उम्र में यह सम्मान दिया गया था. वहीं, असल में यह 1999 के कारगिल वीर योद्धा योगेंद्र सिंह यादव को यह अवॉर्ड मिला है, जब वह महज 19 साल के थे. उस दौरान उन्हें परमवीर चक्र से सम्मानित किया गया था.
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दिनेश विजान की मैडॉक फिल्म्स द्वारा निर्मित श्रीराम राघवन की निर्देशित यह फिल्म बसंतर की लड़ाई की आधारित है, जो भारत और पाकिस्तान के बीच 1971 के वॉर का अहम हिस्सा थी.
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बसंतर की लड़ाई भारत-पाकिस्तान के बीच नदी से जुड़ी है. बसंतर की लड़ाई शंकरगढ़ में बसंतर नदी पर लड़ी गई थी, जो रावी नदी में बहती है. शकरगढ़ पर लड़ाई, जिसके माध्यम से बसंतर नदी बहती है, पाकिस्तान द्वारा पूर्वा पाकिस्तान(अब बांग्लादेश) में आगे बढ़ रहे भारतीय बलों को परेशान करने के लिए की गई थी. क्योंकि बांग्लादेश की आजादी के लिए लड़ाई के बाद भारतीय सेना का पलड़ा भारी हो रहा था. शकरगढ़ का क्षेत्र आसानी से बचाव योग्य नहीं था. पाकिस्तान के खिलाफ इस लड़ाई में खेत्रपाल ने बहादुरी दिखाई.
इस भीषण युद्ध में अरुण खेत्रपाल स्थिति के एकमात्र प्रभारी के रूप में उभरे. दबाव बहुत ज्यादा था लेकिन वे झुके नहीं, उन्होंने दुश्मन के गढ़ों पर अपना हमला जारी रखा. उन्होंने आने वाले पाकिस्तानी सैनिकों और टैंकों पर बेतहाशा हमला किया और इस प्रक्रिया में एक पाकिस्तानी टैंक को नष्ट कर दिया. दूसरी तरफ़, पाकिस्तानी सेना को भी मात देना आसान नहीं था, उन्होंने फिर से संगठित होकर जवाबी हमला किया. खेत्रपाल ने अपने दो बचे हुए टैंकों के साथ बहादुरी से लड़ाई लड़ी और युद्ध में शहीद होने से पहले 10 पाकिस्तानी टैंकों को नष्ट कर दिया. वहीं, लगातार युद्ध के बाद पाकिस्तान ने बिना शर्त आत्मसमर्पण की पेशकश की जिसके कारण युद्ध विराम हुआ. 1971 के भारत-पाक युद्ध का परिणाम भारत द्वारा बांग्लादेश के निर्माण के रूप में सामने आया, जिसके बाद 93,000 पाकिस्तानी सैनिकों ने आत्मसमर्पण किया.
(With IANS Inputs)
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