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कौन था भारत का सबसे पहला IAS अफसर, 21 की उम्र में बना था अधिकारी, भाई को मिला था नोबेल अवॉर्ड

Who was First Indian IAS Officer: आईएएस अफसर यानी नौकरशाह बनना ब्रिटिश राज में भी युवाओं को उतना ही आकर्षित करता था, जितना आज की तारीख में करता है. ब्रिटिश राज में इंडियन सिविल सर्विसेज यानी ICS अफसर चुने जाते थे. क्या आप जानते हैं कि भारत के पहले ICS अफसर कौन थे? चलिए हम बताते हैं.

कुलदीप पंवार | May 23, 2025, 01:42 AM IST

1.सत्येंद्रनाथ बने थे 21 की उम्र में भारत के पहले 'अपने' ICS अफसर

सत्येंद्रनाथ बने थे 21 की उम्र में भारत के पहले 'अपने' ICS अफसर
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सत्येंद्रनाथ टैगोर ने 1863 में लंदन जाकर इंडियन सिविल सर्विसेज (Indian Civil Service) एग्जाम में बाजी मारते हुए देश को पहला 'अपना' ICS अफसर दिया था. इसे एक बड़ा बैरियर ब्रेक करना माना गया था, क्योंकि ICS एग्जाम एक अंग्रेज द्वारा इस तरीके से डिजाइन किया गया था कि इसे अंग्रेज कैंडिडेट ही पास कर सकें. सत्येंद्रनाथ इसे पास करने वाले पहले भारतीय ही नहीं बने बल्कि उन्होंने सिविल सर्विसेज में अन्य भारतीयों की एंट्री की भी राह खोल दी.

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2.कौन थे सत्येंद्रनाथ टैगोर, नामी परिवार से था वास्ता

कौन थे सत्येंद्रनाथ टैगोर, नामी परिवार से था वास्ता
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सत्येंद्रनाथ टैगोर (Satyendranath Tagore) गुरुदेव के नाम से मशहूर कवि व लेखक रविंद्रनाथ टैगोर (Rabindranath Tagore) के बड़े भाई थे. उनका परिवार पश्चिम बंगाल के नामी परिवारों में शामिल था. रविंद्रनाथ टैगोर भारत के पहले नोबेल पुरस्कार विजेता भी बने थे, जिन्होंने भारत का राष्ट्र गान (National Anthem of India) भी लिखा है. सत्येंद्रनाथ टैगोर का जन्म कोलकाता में 1 जून, 1842 को हुआ था, जबकि उनका निधन 9 जनवरी, 1923 को हुआ था.

3.बॉम्बे प्रेसिडेंसी जैसी अहम जिम्मेदारी दी गई थी सत्येंद्रनाथ को

बॉम्बे प्रेसिडेंसी जैसी अहम जिम्मेदारी दी गई थी सत्येंद्रनाथ को
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सत्येंद्रनाथ टैगोर के ICS अफसर बनने से अंग्रेज इतने प्रभावित हुए थे कि 1964 में उनके भारत वापस लौटने पर उन्हें बॉम्बे प्रेसिडेंसी (Bombay Presidency) की जिम्मेदारी दी गई. उस जमाने में भी बॉम्बे प्रेसिडेंसी उतनी ही अहम थी, जितनी आज की तारीख में मुंबई भारत की आर्थिक राजधानी कही जाती है. बॉम्बे के बाद सत्येंद्रनाथ को मराठा साम्राज्य की दूसरी राजधानी सतारा, फिर अहमदाबाद और पुणे जैसे शहरों को संभालने की जिम्मेदारी दी गई थी. हालांकि उन्हें भी अंग्रेजों की तरफ से रंगभेद का सामना करना पड़ा था.

4.समाज सुधारों के लिए याद किए जाते हैं सत्येंद्रनाथ

समाज सुधारों के लिए याद किए जाते हैं सत्येंद्रनाथ
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सत्येंद्रनाथ टैगोर केवल भारत के पहले ICS अफसर ही नहीं थे बल्कि वे देश में कई समाज सुधारों को लागू कराने में अहम भूमिका के लिए भी याद किए जाते हैं. खासतौर पर उन्हें महिला सशक्तीकरण को बढ़ावा देने के लिए जाना जाता है. उन्होंने महिलाओं में मॉडर्न फैशन की शुरुआत कराने में अहम भूमिका निभाई थी. उनकी पत्नी जनानदाननंदिनी देवी खुद पारसी स्टाइल में साड़ी पहनती थीं. सत्येंद्रनाथ टैगोर ब्रह्मो समाज (Brahmo Samaj) के भी एक्टिव मेंबर थे, जो समाज में जातीय भेदभाव को कम करने की दिशा में अहम काम कर रही थी. फोटो में उनकी पत्नी भी साथ में मौजूद हैं.

5.अपने भाई की तरह ही कवि, लेखक और कंपोजर भी थे सत्येंद्रनाथ

अपने भाई की तरह ही कवि, लेखक और कंपोजर भी थे सत्येंद्रनाथ
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सत्येंद्रनाथ महज नौकरशाह नहीं थे बल्कि उनके अंदर भी अपने भाई रविंद्रनाथ टैगोर की तरह कई टेलेंट छिपे हुए थे. टैगोर परिवार के सदस्यों की तरह उनके खून में भी क्रिएटिविटी जमकर बसी हुई थी. वे कवि, लेखक और कंपोजर भी थे और उन्होंने बंगाली साहित्य व संगीत में अहम योगदान भी दिया था. उन्होंने अपने पिता महर्षि देवेंद्रनाथ टैगोर की आत्मकथा को बंगाली से अंग्रेजी में अनुवादित किया था. उनकी लिखी किताब 'बौद्ध धर्मा' को बुद्धिवादी दर्शन की अहम किताबों में गिना जाता है. उनका लिखा खाना 'मिले सबे भारत संतान' को देशभक्ति के अहम गानों में गिना जाता था. इसे भारत का पहला राष्ट्रगान भी कहा जाता है. कई मौकों पर उनके छोटे भाई गुरुदेव रविंद्रनाथ टैगोर ने भी अपने किए कामों के लिए उन्हें ही प्रेरणा बताया था.

6.कई भाषाओं के ज्ञाता थे सत्येंद्रनाथ टैगोर

कई भाषाओं के ज्ञाता थे सत्येंद्रनाथ टैगोर
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सत्येंद्रनाथ टैगोर कई देशों में घूमे थे. इसका नतीजा था कि वे कई भाषाओं के ज्ञाता थे. बंगाली और अंग्रेजी के अलावा उनकी फारसी पर भी बेहद अहम पकड़ थी, जिसके चलते वे प्रशासनिक कार्यों को बेहद कुशलता से निपटाते थे. बता दें कि उस दौर में प्रशासनिक कार्यों के लिए फारसी ही प्रमुख भाषा थी.

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