एजुकेशन
CA मीनल गोयल ने एक लिंक्डइन पोस्ट में बताया है कि मिडिल क्लास की कमाई का एक बड़ा हिस्सा प्राइवेट स्कूलों में जा रहा है. इस एक वजह से मिडिल क्लास के खर्च काबू में नहीं आ पा रहे हैं.
आज के समय में हर कोई अपने बच्चों को प्राइवेट स्कूल में पढ़ाना चाहता है. इसकी एक बड़ी वजह है सरकारी स्कूलों में पढ़ाई की व्यवस्था और दूसरी बड़ी वजह है स्टेटस. कई राज्य ऐसे हैं जहां इंग्लिश मीडियम सरकारी स्कूल नहीं हैं, ऐसे में अपने बच्चों को अंग्रेज़ी स्कूलों में पढ़ाने का सपना देखने वाले माता-पिता उन्हें प्राइवेट स्कूलों में पढ़ाने को मजबूर हैं. लेकिन प्राइवेट स्कूलों की फीस दिन पर दिन इतनी बढ़ रही है कि उसका सीधा असर मिडिल क्लास के बजट पर पड़ रहा है.
एक लिंक्डइन पोस्ट में CA मीनल गोयल ने लिखा है, 'अपने बच्चे को प्राइवेट स्कूल में मत भेजो, ये आंकड़े सुनेंगे तो शायद आप भी यही कहेंगे.'उन्होंने ज्यादातर स्कूलों का फी स्ट्रक्चर भी बताया. लिखा-
एडमिशन फी- 35000 रुपये
ट्यूशन फी- 1.4 लाख रुपये
एनुअल चार्जेस- 38,000 रुपये
ट्रांसपोर्ट- 44-73 हजार रुपये
किताबें और वर्दी- 20-30 हजार रुपये
यानी एक बच्चे पर साल का 2.5 से 3.5 लाख रुपये. सामान्य स्कूलों में फीस 1-1.5 लाख होती है और एलीट स्कूलों की फीस 4 लाख से भी ऊपर जाती . मीनल गोयल ने लिखा कि आज के टाइम पर कई फिनटेक स्टार्टअप स्कूल की पढ़ाई के लिए लोन ऑफर कर रहे हैं, क्योंकि स्कूल की फीस इतनी ज्यादा बढ़ गई है.
मीनल गोयल ने लिखा, 'भारत की औसत इनकम 4.5 लाख सालाना है. प्राइवे स्कूलों की औसत फीस 2-4 लाख रुपये सालाना है. यह कमाई का 40 से 80 प्रतिशत है. '
CA ने लिखा कि आज के समय पर इलाज में बढ़ी महंगाई पर सभी बात कर रहे हैं लेकिन महंगी हुई पढ़ाई का असर हर घर के फाइनेंसेस पर पड़ रहा है और इसकी वजह से मिडिल क्लास डूब रहा है.
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