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Russia Ukraine War: यूक्रेन से MBBS कर रहे छात्रों का अब क्या होगा? NMC गाइडलाइंस से बर्बाद होगी डिग्री या बाकी हैं विकल्प?

FMG के लिए MBBS उम्मीदवार को अपना कोर्स शुरू करने के बाद 10 साल के भीतर मेडिकल प्रैक्टिस के लिए अप्‍लाई करना होता है.

Russia Ukraine War: यूक्रेन से MBBS कर रहे छात्रों का अब क्या होगा? NMC गाइडलाइंस से बर्बाद होगी डिग्री या बाकी हैं विकल्प?

medical students in ukraine pursuing mbbs fear for loss degree nmc guidelines for fmgs other options

डीएनए हिंदीः यूक्रेन पर रूस के बीच जारी जंग (Russia Ukraine War) के दुष्परिणाम धीरे-धीरे सामने आने लगे हैं. यूक्रेन में मेडिकल की पढ़ाई करने गए गए छात्र अभी भी फंसे हुए हैं. मंगलवार को एक भारतीय छात्र की मौत के बाद इनमें दहशत का मौहाल हैं. यूक्रेन के पड़ोसी देशों के बॉर्डर पर फंसे छात्रों को निकालने और उनका सकुशल वापसी के लिए भारत सरकार ऑपरेशन गंगा अभियान चला रहा है. देश वापसी कराने वाले छात्रों ने राहत की सांस तो ली है लेकिन मेडिकल की पढ़ाई बीच में छोड़ कर आ रहे 18 हजार से अधिक छात्रों का भविष्‍य फिलहाल अधर में लटका गया है.  

क्या भारत में कर सकेंगे पढ़ाई पूरी?
यूक्रेन से वापस आने वाले मेडिकल छात्र देश की किसी भी यूनिवर्सिटी से अपनी पढ़ाई पूरी नहीं कर पाएंगे. दरअसल फॉरेन मेडिकल ग्रेजुएट (FMG) के लिए नेशनल मेडिकल कमीशन (NMC) ने 2021 में गाइडलाइंस जारी की थी. इसके अनुसार किसी भी MBBS छात्र को पढ़ाई के बीच में किसी विदेशी यूनिवर्सिटी से किसी भारतीय यूनिवर्सिटी में ट्रांसफर करने की अनुमति नहीं है. ऐसा इसलिए हैं कि दोनों के लिए एडमिशन, दिशानिर्देश और चयन मानदंड अलग-अलग हैं. FMG केवल अपना कोर्स पूरा करने के बाद और जरूरी इंटर्नशिप खत्‍म करने के बाद ही प्रैक्टिस के लिए भारत लौट सकते हैं. 

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क्या खत्म हो जाएगी डिग्री?
नेशनल मेडिकल कमीशन ने FMG के लिए नियम काफी सख्त किए हुए हैं. 2021 की गाइडलाइन के अनुसार कोई भी छात्र अगर विदेश से एमबीबीएस की पढ़ाई करता है तो उसे अपने ही मेडिकल संस्थान से 12 महीने की इंटर्नशिप पूरी करनी होती है. इतना ही नहीं जब वह विदेश में इंटर्नशिप पूरी कर भारत लौटता है तो उसे यहां पर भी किसी संस्थान में 12 महीने की इंटर्नशिप पूरी करनी होगी. भारत में एमबीबीएस की पढ़ाई चार साल में पूरी हो जाती है जबकि यूक्रेन में यह छह साल में पूरी होती है. ऐसे में भारतीय छात्रों को दो साल की इंटर्नशिप अलग से करनी होती है. ऐसे में उनकी पढ़ाई ही 8 साल में पूरी हो पाती है. नई गाइडलाइन के मुताबिक FMG के लिए MBBS उम्मीदवार को अपना कोर्स शुरू करने के बाद 10 साल के भीतर मेडिकल प्रैक्टिस के लिए अप्‍लाई करना होता है.

छात्रों के सामने क्या समस्या?
रूस और यूक्रेन के बीच जारी जंग के बाद हालात जल्द सामान्य होते दिखाई नहीं दे रहे हैं. कई हॉस्पीटल और संस्थानों की बिल्डिंग हमले में पूरी तरह तबाह हो चुकी है. इसका सीधा असर मेडिकल की पढ़ाई पर पड़ेगा. यूक्रेन से वापस आ रहे छात्रों के पास पढ़ाई के लेकर उनकी यूनिवर्सिटी की ओर से कोई स्पष्टीकरण भी नहीं है. भारत में इन छात्रों को अपनी पढ़ाई पूरी करने के लिए 2 साल का समय मिलता है. अगर एडमिशन लेने के 10 साल के अंदर इन्होंने मेडिकल प्रैक्टिस के लिए आवेदन नहीं दिया तो इनकी डिग्री बर्बाद हो सकती है.   

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छात्रों के पास क्या विकल्प?
फिलहाल FMG के लिए भारतीय यूनिवर्सिटी में एडमिशन होना संभव नहीं है. ताजा हालात को देखते हुए भी भारत में पहले ही मेडिकल सीटों की कमी के चलते इन छात्रों के यहां किसी संस्थान में ट्रांसफर होने की संभावना ना के बराबर है. हालांकि कोरोना काल में जिस तरह छात्रों को कुछ छूट दी गई थी, संभव है जल्द यूक्रेन के हालात सामान्य ना होने पर इन छात्रों को 10 साल के समय को बढ़ा कर आगे मौका दिया जा सके.  

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