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Delhi Liquor Scam: खास ब्रांड को फायदा, गिने-चुने डिस्ट्रीब्यूटर्स को कंट्रोल, दिल्ली में शराब घोटाले के खेल की इनसाइड स्टोरी

Delhi Liqour Scam: दिल्ली में अरविंद केजरीवाल की अगुवाई वाली आम आदमी पार्टी की सरकार के समय आई नई शराब नीति पर बेहद सवाल उठे थे, जिनकी जांच जारी है. अब महालेखा नियंत्रक (CAG) की रिपोर्ट सामने आई है, जिसमें पूरा खेल समझाया गया है.

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Delhi Liquor Scam: खास ब्रांड को फायदा, गिने-चुने डिस्ट्रीब्यूटर्स को कंट्रोल, दिल्ली में शराब घोटाले के खेल की इनसाइड स्टोरी

Delhi Liquor Scam: दिल्ली में भले ही सत्ता बदल गई हो, लेकिन शराब नीति घोटाले (Delhi Liquor Policy Scam) की गूंज अब भी कम नहीं हुई है. अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) के नेतृत्व वाली आम आदमी पार्टी (Aam Aadmi Party) के दिल्ली में पिछले 12 साल से चल रहे एकछत्र राज को उखाड़ देने वाली शराब नीति पर बेहद सवाल उठे थे. इन सवालों के कारण ही केजरीवाल सरकार को यह नीति वापस लेनी पड़ी थी, लेकिन उसकी जांच का जिन्न अब तक उनके पीछे पड़ा हुआ है. अब भाजपा (BJP) ने दिल्ली में अपनी सरकार बनते ही महालेखा नियंत्रक की रिपोर्ट (CAG Report on Delhi Liquor Policy) को विधानसभा में पेश कर दिया है, जिसमें यह बताया गया है कि केजरीवाल सरकार की दिल्ली आबकारी नीति 2021-22 (Delhi Excise Policy) के कारण कैसे राष्ट्रीय राजधानी में एक शराब सिंडिकेट कायम हो गई. इस रिपोर्ट में सरकार, शराब विक्रेताओं और निर्माताओं के गठजोड़ के पूरे खेल का खुलासा किया गया है, जिससे राजधानी में एक खास ब्रांड की शराब और उसके डिस्ट्रीब्यूटर्स को ही जमकर लाभ हुआ था.

25 ब्रांड के कब्जे में थी 70 फीसदी सप्लाई
विधानसभा में पेश की गई कैग रिपोर्ट (CAG Report) में दिल्ली में नई शराब नीति के दौरान चले खेल के बारे में बताया गया है. इसमें कहा गया है कि नई नीति लागू होने पर पूरी दिल्ली की 70 फीसदी शराब बिक्री पर महज 25 खास ब्रांड का कब्जा हो गया था, जबकि यहां IMFL के तहत 367 ब्रांड रजिस्टर्ड हैं. पूरी राजधानी में केवल 3 शराब डिस्ट्रीब्यूटर्स को 71 फीसदी से अधिक की सप्लाई पर कंट्रोल दिया गया ताकि कुछ खास लोगों को फायदा पहुंचाया जा सके. 

जिन ब्रांड का नाम नहीं सुना, वे पीने को मजबूर हुए लोग
कैग रिपोर्ट में इस बात पर सवाल उठाया गया है कि शराब बिक्री के कुछ होलसेलर्स को नई शराब नीति में खुली छूट दी गई. इस नीति में शराब कंपनियों और होलसेलर्स के बीच के स्पेशल अरेंजमेंट के कारण लोगों को ऐसे ब्रांड की शराब पीने को मजबूर होना पड़ा, जिनके बारे में उन्होंने सुना भी नहीं था. दरअसल एक होलसेल डीलर को एक कंपनी के सारे ब्रांड्स की शराब की आपूर्ति का कंट्रोल दे दिया गया. इसका नतीजा यह रहा कि बाजार में बिकने वाली शराब के 70 फीसदी हिस्से पर 25 ब्रांड की शराब का कब्जा रहा, जबकि इसमें भी 46 फीसदी से ज्यादा बिक्री केवल 10 ब्रांड की शराब की हुई.

इस तरह चला डिस्ट्रीब्यूटर्स का खेल
नई शराब नीति ने पूरा खेल डिस्ट्रीब्यूटर्स के हाथ में सौंप दिया. दिल्ली में रजिस्टर्ड 367 IMFL ब्रांड्स की आपूर्ति 13 थोक डीलर्स के पास थी, लेकिन असली मलाई सिर्फ तीन डिस्ट्रीब्यूटर्स के ही खाते में आई. इन्होंने 71.70 फीसदी शराब डिस्ट्रीब्यूशन संभाला. ब्रिंडको और महादेव लिकर ने दिल्‍ली में बिकने वाले शीर्ष 25 ब्रांड्स में से 7-7 की, जबकि इंडोस्पिरिट ने छह ब्रांड्स की खास आपूर्ति की. इन तीनों ने ही कुल 367 ब्रांड्स में से सबसे ज्यादा ब्रांड की सप्लाई की. इंडोस्पिरिट ने 76 ब्रांड्स, महादेव लिकर ने 71 ब्रांड्स और ब्रिंडको ने 45 ब्रांड्स की शराब की सप्लाई की.

पहले साल 101 लाइसेंस, नई नीति में महज 14
नई शराब नीति में लाइसेंस बांटने में भी जमकर गोलमाल किया गया. कैग रिपोर्ट के मुताबिक, साल 2020-21 की शराब नीति में 101 लाइसेंस थोक आपूर्ति के लिए बांटे गए थे. इनमें IMFL के 77 और FL के 24 लाइसेंस थे. नई नीति में ये आपूर्ति लाइसेंस महज 14 संस्थाओं को बांट दिए गए. रिटेल वेंडिंग लाइसेंस में भी खेल हुआ. पहले साल जहां चार सरकारी निगमों के 377 और निजी व्यक्तियों के 262 लाइसेंस थे, वहीं नई नीति में पूरी दिल्ली को महज 32 जोन (849 वेंड्स) में तब्दील करके टेंडरिंग के माध्यम से 22 संस्थाओं को लाइसेंस दे दिए गए.

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