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पशुपति पारस की NDA से विदाई, चिराग पासवान को सीएम बनाने की मांग... चुनाव से पहले बिहार में दरकने लगा सत्तारूढ़ गठबंधन!

Bihar Politics: लोकसभा चुनाव 2024 में पशुपति पारस 6 सीटों पर दावेदारी ठोक रहे थे, लेकिन आखिरी वक्त में चिराग पासवान की NDA में वापसी हो गई. इसके बाद पशुपति को हाशिए पर धकेल दिया गया.

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पशुपति पारस की NDA से विदाई, चिराग पासवान को सीएम बनाने की मांग... चुनाव से पहले बिहार में दरकने लगा सत्तारूढ़ गठबंधन!

pashupati paras

बिहार में राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी (RLJP) के अध्यक्ष और पूर्व केंद्रीय मंत्री पशुपति कुमार पारस (Pashupati Kumar Paras) ने एनडीए से नाता तोड़ दिया है. पशुपति पारस ने NDA छोड़ने की वजह अपना ‘स्वाभिमान’ बताया. उन्होंने ने कहा कि जिस तरह लोकसभा चुनाव 2024 में उनके सांसदों के टिकट काटे गए, इससे उनको गहरा आघात पहुंचा. इतना ही नहीं इसके बाद भी उनको गठबंधन में कोई तवज्जों नहीं दी जा रही थी. 

अंबेडकर जंयती के मौके पर पशुपति पारस ने ऐलान किया था कि आरएलजेपी का एनडीए से कोई नाता नहीं है. उन्होंने कहा कि हम 2014 में बड़े भाई राम विलास पासवान के नेतृत्व में हम NDA में शामिल हुए थे. हमने निःस्वार्थ भाव से एनडीए का साथ दिया था, लेकिन बीजेपी ने हमारी पीट में छुरा भौंकने का काम किया. धन बल पर लोकसभा चुनाव में हमारे सांसदों के टिकट काट दिए गए. 

लोकसभा चुनाव के बाद से ही शुरू हुई दरार!
पिछले लोकसभा चुनाव तक पशुपति पारस खुद केंद्र में मंत्री थे. उनकी पार्टी 6 सीटों पर दावेदारी कर रही थी, लेकिन आखिरी वक्त में चिराग पासवान की NDA ने सारा खेल बिगाड़ दिया और पशुपति को हाशिए पर धकेल दिया गया. उनकी जगह लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) को एनडीए की तरफ से पांच सीटें दी गईं और चिराग पासवान की पार्टी ने इन सभी सीटों पर जीत दर्ज की. 

लोकसभा चुनाव के बाद उन्हें डर था कि कहीं बिहार चुनाव में भी उनके साथ ऐसा धोखा नहीं हो जाए. इसलिए उन्होंने पहले ही NDA से अपनी राह जुदा करने का फैसला किया. संख्याबल के लिहाज से देखा जाए तो पशुपति की पार्टी का लोकसभा और राज्यसभा में एक भी सदस्य नहीं है. बिहार विधानसभा में भी पार्टी शून्य है. हां, विधान परिषद में RLJP का एक सदस्य जरूर है. अब सवाल उठ रहा है कि क्या आरएलजेपी बिहार चुनाव में एनडीए को नुकसान पहुंचा सकती है?

2024 में लिखी जा चुकी थी पटकथा

राजनीतिक जानकारों की मानें तो एनडीए से अलग होने का फैसला पशुपति पारस ने भले ही अब लिया हो, लेकिन इसकी पटकथा 2024 के चुनाव के बाद ही लिखी जा चुकी थी. बिहार चुनाव में भले ही उसकी पार्टी खास प्रभाव न डाल पाए, लेकिन अगर वह महागठबंधन में शामिल होते हैं तो लालू यादव की राजद को जरूरत फायदा हो सकता है. क्योंकि इस चुनाव में अगर 500 वोट भी कटी तो उसका भी बहुत महत्व रहेगा. 

एनडीए छोड़ने के बाद पशुपित पारस ने ऐलान किया था कि उनकी पार्टी 243 सीटों पर चुनाव की तैयारी कर रही है. वह सभी विधानसभाओं में जाएगी और अपनी ताकत को अजमाएगी. उनका दावा है कि चिराग पासवान ने बीजेपी को गलत जानकारी दी है कि बिहार दलित उनके साथ हैं. इस चुनाव से सारी गलतफहमियां दूर हो जाएंगी.

चिराग पासवान को सीएम बनाने की मांग
वहीं, लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के अध्यक्ष और केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान को मुख्यमंत्री बनाने की मांग उठने लगी है. युवा लोजपा (रामविलास) ने चिराग पासवान को चुनाव लड़ने का निमंत्रण दिया है. युवा लोजपा (रामविलास) के प्रदेश अध्यक्ष वेद प्रकाश पांडेय ने कहा कि कार्यकारिणी समिति की बैठक में इस संबंध में प्रस्ताव पास किया गया कि हमारे राष्ट्रीय अध्यक्ष को 2025 में बिहार विधानसभा चुनाव लड़ना चाहिए. चिराग पासवान के जीजा और जमुई से सांसद अरुण भारती ने कहा कि बिहार के युवा चिराग पासवान को बहुत पसंद करते हैं. वह उनको मुख्यमंत्री के रूप में देखना चाहते हैं.

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