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डीएनए एक्सप्लेनर
Economic Recession: पूरी दुनिया में आर्थिक मंदी के बादल मंडरा रहे हैं. अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की टैरिफ नीतियों और वैश्विक परिस्थितियों ने निवेशकों को चिंता में डाल दिया है.
भारत से लेकर अमेरिका तक के बाजार पिछले कुछ महीनों में गिरावट का दौर देख रहे हैं. नौकरियों में छंटनी का संकट एक बार फिर गहराने लगा है. पूरी दुनिया के आर्थिक विश्लेषक बड़े संकट की आशंका जता रहे हैं. भारत के शेयर बाजार (Indian Share Market) की बात करें, तो पिछले 6 महीने में इसमें 9 फीसदी से ज्यादा गिरावट देखी गई है. अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के टैरिफ फैसले ने भी अमेरिकी बाजार को सकते में डाल दिया है. पूरी दुनिया के निवेशक इस गिरावट के दौर के जल्द से जल्द खत्म होने की दुआ मांग रहे हैं. क्या वाकई में दुनिया एक बड़ी मंदी की तरफ बढ़ गई है? अगर एक बार फिर आर्थिक मंदी का दौर आता है, तो भारत से लेकर अमेरिका तक इसका क्या असर पड़ेगा समझें यहां.
दुनिया भर में 2008 जैसी एक और मंदी की आशंका कुछ विश्लेषक जता रहे हैं. अमेरिकी अर्थव्यवस्था में मंदी की बढ़ती आशंका ने भारत के निवेशकों को भी चिंता में डाल दिया है. मार्च के शुरुआत में गोल्डमैन सैक्स (Goldman Sachs) ने मंदी की संभावना 20% तक कर दी है. मशहूर अर्थशास्त्री ओलु सोनोला (Olu Sonola) का भी कहना है कि दुनिया एक बड़े वैश्विक आर्थिक संकट के मुहाने पर खड़ी है. जेपी मॉर्गन ने भी मार्च में प्रकाशित अपनी रिपोर्ट में मंदी की आशंका को बढ़ाकर 40 फीसदी कर दिया है. ये आंकड़े डरावने हैं और इसके साथ ही छंटनी और नौकरी का संकट भी जुड़ गया है.
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डोनाल्ड ट्रंप की टैरिफ नीतियों की वजह से पूरी दुनिया में एक ट्रेड वॉर जैसा संकट बनता दिख रहा है. इसके अलावा रूस और यूक्रेन के बीच तीन साल से ज्यादा से चल रहे युद्ध ने यूरोप की अर्थव्यवस्था को प्रभावित किया है. इजरायल और गाजा के बीच जारी संघर्ष जैसी घटनाओं से पूरी दुनिया की अर्थव्यवस्था बड़े पैमान पर प्रभावित हो रही है. अरब देशों में संकट की स्थिति बनी है और भारतीय बाजार भी पिछले 6 महीने में बड़ी गिरावट का शिकार हुए हैं.
अगर अमेरिका में आर्थिक मंदी आती है, तो उसका असर भारत में बड़े पैमाने पर होगा. भारत के आईटी, एआई टेक्नोलॉजी और फॉर्मा सेक्टर में लाखों नौकरियों पर संकट के बादल मंडराने लगेंगे. नई नौकरियों में भर्ती और रोजगार का संकट भी बनेगा. इसके अलावा दुनिया के दूसरे देशों में काम कर रहे भारतीयों की नौकरी पर भी इसका असर पड़ेगा. बड़े पैमाने पर इसका असर देश की आर्थिक रफ्तार और दूसरे क्षेत्रों पर भी पड़ सकता है.
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