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डीएनए एक्सप्लेनर
Mark Carney Canada New PM: मार्क कार्नी बैंकिंग और वित्तीय जगत में एक भरोसमंद नेतृत्व के रूप में जाने जाते हैं. 2008 में ग्लोबल इकोनोमिक क्राइसिस के दौरान कनाडा की अर्थव्यवस्था उनकी वजह से स्थिर रही थी.
लिबरल पार्टी के नेता मार्क कार्नी (Mark Carney) ने शुक्रवार को कनाडा के 24वें प्रधानमंत्री रूप में शपथ ली. भारत के साथ चल रहे खराब रिश्ते और अमेरिका संग टैरिफ वॉर के बीच मार्क कार्नी पदभार संभाला है. जस्टिन ट्रूडो ने इसी साल जनवरी प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था. लेकिन उन्होंने कहा था कि जब तक उनकी पार्टी प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार नहीं चुन लेती वह इस पद पर बने रहेंगे. ट्रूडो के कार्यकाल में कनाडा के कई देशों संग रिश्ते खराब हुए थे. इनमें पहले नंबर भारत था.
मार्क कार्नी के प्रधानमंत्री बनने के बाद उनके सामने सबसे बड़ी चुनौती यही होगी कि वह भारत-अमेरिका समेत अन्य देशों से अपने संबंध कैसे सुधारे. कार्नी ने कहा कि कनाडा के पास समान सोच वाले मित्र देशों के साथ व्यापार को ट्रैक पर लाने का अवसर है. हमारे पास भारत के संग संबंधों को सुधारने का मौका है.
कनाडा में इसी साल अक्टूबर में संघीय चुनाव होने हैं. लेकिन कार्नी चुनाव का ऐलान पहले ही कर सकते हैं. ब्लूमर्ग की रिपोर्ट के मुताबिक, मार्क कार्नी पहले नया मंत्रिमंडल का विस्तार करेंगे. इसमें मंत्रियों की संख्या आधी की जा सकती है. अभी ट्रूडो कैबिनेट में प्रधानमंत्री समेत 37 मंत्री थे. लेकिन मार्क कार्नी कैबिनेट का आकार लगभग आधा घटाकर 15-20 मंत्रियों का कर सकते हैं.
मार्क कार्नी बैंकिंग और वित्तीय जगत में एक भरोसमंद नेतृत्व के रूप में जाने जाते हैं. 2008 में वो बैंक ऑफ कनाडा के प्रमुख थे. उस दौरान दुनिया भर में ग्लोबल इकोनोमिक क्राइसिस (Global Economic Crisis) चल रहा था, लेकिन कार्नी ने कनाडा की अर्थव्यवस्था को डगमागने नहीं दिया और स्थिर रखा. 2023 में मार्क कार्नी बैंक ऑफ इंग्लैंड के पहले गैर-ब्रिटिश गवर्नर बने. वहां भी उन्होंने ब्रेक्सिट के समय आर्थिक प्रभावों को कम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई.
जून 2023 में कनाडा के सर्रे में खालिस्तानी नेता हरदीप सिंह निज्जर की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी. इस हत्या के लिए कनाडा के पीएम जस्टिन ट्रूडो ने भारत को जिम्मेदार ठहराया था. उन्होंने आरोप लगाया कि भारतीय एजेंटों के इशारे पर निज्जर की हत्या की गई. भारत ने इन आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया. इसके बाद दोनों देशों के बीच बयानबाजी तेज हो गई और नौबत यहां तक पहुंच गई कि एक दूसरे के डिप्लोमैट्स को देश छोड़कर जाना पड़ा. भारत-कनाडा ने एक दूसरे के राजनयिकों को निष्कासित कर दिया था.
कनाडा के साथ भारत के रिश्तों में इतनी खटास पैदा हो गई कि सोवियत यूनियन के विघटन के दौरान भी पश्चिम देशों के साथ हिंदुस्तान के संबंध इतने खराब नहीं हुए. लेकिन अब जस्टिन ट्रूडो के प्रधानमंत्री पद से हटने के बाद कनाडा-भारत के रिश्तों में सुधार की उम्मीद जगी है.
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