डीएनए एक्सप्लेनर
Delhi Dust Storm: दिल्ली समेत पूरे उत्तर भारत में बुधवार को तापमान लगभग 40 डिग्री सेल्सियस के करीब पहुंच गया था, लेकिन भीषण आर्द्रता के चलते यह 50 डिग्री सेल्सियस जैसा अनुभव दे रहा था. शाम को अचानक मौसम बदला और 79 किमी/घंटा की गति वाली धूल भरी आंधी आ गई. पिछले कई दिन से यही हो रहा है.
Delhi Dust Storm: दिल्ली-NCR समेत समूचे उत्तर भारत में 23 मई से 'नौतपा' शुरू होने जा रहा है, जब 9 दिन तक गर्मी अपने भीषण स्तर पर रहती है. हालांकि नौतपा जैसी हीटवेव का अनुभव पूरे उत्तर भारत ने बुधवार (21 मई) को ही दिन में कर लिया था, जब तापमान 40 डिग्री सेल्सियस पहुंचने के बाद इसका अनुभव भीषण आर्द्रता के चलते 50 डिग्री सेल्सियस के बराबर हो रहा था. इसके बाद अचानक शाम को मौसम ने पलटी मारी और 79 किमी/घंटा की धूल भरी आंधी ने पूरे उत्तर भारत को अपनी गिरफ्त में ले लिया. हर तरफ भयंकर तूफान और उसके साथ भीषण बारिश व ओलावृष्टि के चलते पेड़ उखड़ गए, होर्डिंग उड़ गए और जान-माल का भी नुकसान हुआ है, लेकिन इससे तापमान में गिरावट आ गई है. पिछले 4 सप्ताह के दौरान यह पहला मौका नहीं है, जब गर्मी अचानक चरम पर पहुंचने के बाद इस तरह की धूल भरी आंधी चल रही है. इस आंधी के चलते पूरे उत्तर भारत की हवा में आंखों से नहीं दिखने वाले धूल के बेहद महीन कण PM2 और PM10 की मात्रा बढ़ गई है, जिससे आसमान में एक धुंध जैसी चादर भी दिख रही है. हालांकि बुधवार को धूल भरी आंधी के बाद उतनी ही तेज बारिश से धूल की यह चादर थोड़ी धुल गई है, लेकिन अब भी इसका असर साफ महसूस हो रहा है.
चलिए 5 पॉइंट्स में जानते हैं कि बार-बार अचानक गर्मी चरम पर पहुंचने और फिर धूल भरी आंधी चलने का कारण क्या है-
1. हरियाणा के ऊपर बना है 'साइक्लोनिक इफेक्ट'
भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (India Meteorological Department) के वैज्ञानिकों का कहना है कि हरियाणा और इसके आसपास के इलाकों के ऊपर इस समय चक्रवाती प्रभाव (Cyclonic Effect) बना हुआ है. इसके चलते इन इलाकों में हवाओं का चक्रवाती प्रवाह (cyclonic circulation) बन रहा है यानी हवा लगातार भंवर की तरह घूम रही है. इसके चलते हवा की दिशा पूरब से पश्चिम की तरफ चल रही है. पंजाब और बांग्लादेश तक फैली हवाओं से लोअर ट्रॉपोस्फेरिक लेवल्स (lower tropospheric levels) भी बन रहे हैं, जो मौसम को प्रभावित कर रहे हैं और बार-बार आंधी व बारिश का कारण बन रहे हैं. इन हवाओं में बुधवार को अरब सागर और बंगाल की खाड़ी, दोनों जगह से आने वाली नमी के गर्म हवाओं से जुड़ने के कारण इसका प्रभाव और ज्यादा बढ़ गया. इससे लोअर ट्रॉपोस्फेरिक लेवल्स और भी ज्यादा प्रभावी हो गया, जिससे निम्न दबाव का इलाका बनने के कारण हवाओं की गति बुधवार को ज्यादा तूफानी हो गई और जगह-जगह तबाही का कारण बन गई.
2. धूल क्यों आ रही है आंधी में बहुत ज्यादा?
IMD के वैज्ञानिकों ने बताया था कि पश्चिमी राजस्थान से तेज हवाओं के उत्तर भारत की तरफ आने के कारण उनमें धूल की मात्रा बहुत ज्यादा है. 14 मई की रात से रेगिस्तानी इलाके से आ रही ये हवाएं 15 से 25 किलोमीटर प्रति घंटा की गति से धरती की सतह के करीब चल रही थीं, जिससे पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, उत्तरी राजस्थान और उत्तर प्रदेश में धूल भरी आंधी जैसे हालात महसूस हो रहे हैं. दिल्ली-NCR में इसका असर ज्यादा महसूस होता है, क्योंकि यहां पर इसमें वाहनों के धुएं का प्रदूषण और बड़े पैमाने पर हो रहे निर्माण कार्यों से उड़ने वाली धूल भी मिल जाती है.
3. कल के लिए भी आया है मौसम विभाग का अलर्ट
मौसम विभाग ने गुरुवार (23 मई) की सुबह दिल्ली-NCR के लिए फिर से Yellow Alert जारी किया है. यह अलर्ट 23 मई यानी शुक्रवार के लिए जारी किया गया है. इस अलर्ट में दिल्ली के अलावा नोएडा, गुरुग्राम, फरीदाबाद, गाजियाबाद में भारी बारिश और आंधी-तूफान आने का अनुमान जताया गया है. IMD के सीनियर साइंटिस्ट डॉ. नरेश कुमार के मुताबिक, शुक्रवार शाम और फिर रात में करीब 40 किलोमीटर प्रति घंटा की गति से आंधी चल सकती है और बारिश भी हो सकती है. हालांकि इसके बाद शनिवार (24 मई) को भी आसमान में बादल रहेंगे, लेकिन तापमान बढ़ने लगेगा.
4. कब तक रहेगी धूल भरी आंधी की परेशानी?
IMD साइंटिस्ट डॉ. नरेश कुमार का अनुमान है कि दिल्ली-NCR समेत उत्तर भारत में साइक्लोनिक प्रभाव 25 मई तक बना रहेगा. रविवार (25 मई) तक पंजाब और बांग्लादेश से आ रही हवाओं के कारण मौसम में हो रहा यह बदलाव जारी रहेगा. यही कारण है कि तूफानी हवाओं के साथ बारिश-ओलावृष्टि का खतरा बना रहेगा. इस स्थिति में 25 मई के बाद थोड़ा सुधार हो सकता है.
5. क्या सामान्य है इस मौसम में ऐसी आंधी?
वेदर एक्सपर्ट्स का कहना है कि गर्मी के मौसम में इस तरह धूल भरी आंधी चलना उत्तर भारत में सामान्य बात है. उत्तर भारत में मानसून के आगमन से पहले पश्चिमी राजस्थान और उससे सटे पाकिस्तानी रेगिस्तानी इलाके से ऐसी धूल भरी आंधी हर साल चलती हैं, जो वायु प्रदूषण का नेचुरल सोर्स है. ऐसे में इस दौरान हवा में प्रदूषण बढ़ने को हम रोक नहीं सकते हैं. हम केवल उसकी चपेट में आकर अपना नुकसान होने से बचा सकते हैं.
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