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India's GDP: विश्व बैंक ने अपनी रिपोर्ट में बताया कि भारतीय अर्थव्यवस्था फिलहाल स्टेबल है लेकिन आने वाले समय में कई चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है
डीएनए हिंदी: कोरोना महामारी (Covid-19) के बाद जहां दुनिया भर की अर्थव्यवस्था ध्वस्त होने के बाद फिर से पटरी पर लौटने लगी थी. वहीं रूस और यूक्रेन की लड़ाई ने इसे फिर से बर्बादी की कगार पर ला दिया. देश की अर्थव्यवस्था को बचाने के लिए अमेरिका से लेकर भारत तक में ब्याज दरों में इजाफा किया जा रहा है. हालांकि अब वर्ल्ड बैंक (World Bank) ने इसपर एक चौंकाने वाला रिपोर्ट पेश किया है. वर्ल्ड बैंक ने अपनी इंडिया ग्रोथ आउटलुक रिपोर्ट में भारत को लेकर दावा किया है कि FY22-23 में भारत की GDP विकास दर घटकर 6.9 प्रतिशत हो सकती है. यानी वित्त वर्ष 22-23 में भारत का सकल घरेलू उत्पाद थोड़ा धीमा पड़ने का अनुमान है.
भारतीय अर्थव्यवस्था को चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है
वर्ल्ड बैंक ने अपने इंडिया ग्रोथ आउटलुक रिपोर्ट में कहा कि आने वाले समय में भारतीय अर्थव्यवस्था को बहुत सी चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है. हालांकि भारत की अर्थव्यवस्था पर वैश्विक अस्थिरता के प्रभाव की वजह से असर पड़ेगा. वर्ल्ड बैंक का कहना है कि सप्लाई चैन की समस्या और यूक्रेन-रूस के बीच चल रही लड़ाई की वजह से भारत की अर्थव्यवस्था पर कोई खास असर देखने को नहीं मिल रहा है. बहरहाल बैलेंस ऑफ ट्रेड काफी बिगड़ रहा है और इम्पोर्ट बिल में बढ़ोतरी होने की वजह से मुद्रास्फीति (Inflation) बढ़ सकती है.
भारत की विकास दर में बढ़ोतरी
विश्व बैंक ने बताया कि फाइनेंशियल ईयर 21-22 में भारत की GDP 8.7 प्रतिशत थी जो कि 22-23 में घटकर 6.9 प्रतिशत पर सिमट सकती है. हालांकि इन सबके बावजूद भी कयास लगाया जा रहा है कि तेजी के साथ बढ़ते अर्थव्यवस्थाओं में भारत का नाम भी मौजूद रहेगा. साथ ही यह भी कहा कि उभरती अर्थव्यवस्थाओं में मंदी भारत को एक बेहतर वैकल्पिक निवेश के तौर पर भी पेश करेगा, जिससे भारत में तेजी के साथ निवेश के आप्शन खुलेंगे.
विश्व बैंक ने भारत की जीडीपी को लेकर पहले 7.5 प्रतिशत का अनुमान जताया था. हालांकि वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में जीडीपी में बधोअत्री पिछली तिमाही में 13.5 प्रतिशत के मुकाबले धीमी होकर 6.3 प्रतिशत हो गई.
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