डीएनए मनी
राजा राम | Jul 20, 2025, 04:52 PM IST
1.नीचे बैठे यात्रियों को असुविधा होती है
भारतीय रेलवे में सफर करना लाखों लोगों के लिए रोजमर्रा का हिस्सा है. लेकिन कई बार छोटी-छोटी बातों को लेकर यात्रियों के बीच विवाद हो जाता है. ऐसा ही एक मामला है ट्रेन के स्लीपर या एसी कोच में मिडिल बर्थ को लेकर है. कई बार लोग सुबह देर तक मिडिल बर्थ पर लेटे रहते हैं, जिससे नीचे बैठे यात्रियों को असुविधा होती है.
2.मिडिल बर्थ को लेकर एक खास नियम
रेलवे ने इस समस्या को समझते हुए मिडिल बर्थ को लेकर एक खास नियम तय किया है. यह नियम हर यात्री की सुविधा को ध्यान में रखकर बनाया गया है. इसके तहत मिडिल बर्थ पर सोने का एक निश्चित समय तय है, जिसे सभी यात्रियों को मानना जरूरी है.
3.नीचे बैठे यात्रियों के लिए जगह देनी होती है
रेलवे की गाइडलाइन के अनुसार, रात 10 बजे से सुबह 6 बजे तक यात्री मिडिल बर्थ पर लेट सकते हैं. इस समय के बाद उन्हें अपनी सीट फोल्ड करके नीचे बैठे यात्रियों के लिए जगह देनी होती है.
4.अन्य यात्रियों को बैठने में परेशानी होती है
कई बार देखा गया है कि कुछ यात्री सुबह 6 बजे के बाद भी मिडिल बर्थ को फोल्ड नहीं करते, जिससे अन्य यात्रियों को बैठने में परेशानी होती है. यह ना सिर्फ असुविधाजनक है बल्कि रेलवे के नियमों का उल्लंघन भी है.
5.नियम समझाकर सीट फोल्ड करवाएगा
अगर कोई यात्री इस नियम को नहीं मानता है, तो आप इसकी शिकायत टीटीई या कोच अटेंडेंट से कर सकते हैं. रेलवे का कर्मचारी संबंधित यात्री को नियम समझाकर सीट फोल्ड करवाएगा.
6.ऐसे यात्रियों को चेतावनी भी दी जा सकती है
जरूरत पड़ने पर ऐसे यात्रियों को चेतावनी भी दी जा सकती है. हालांकि, ज्यादातर मामलों में टीटीई के समझाने के बाद मामला सुलझ जाता है.
7.नियमों का पालन करें
रेलवे बार-बार यात्रियों से अपील करता है कि यात्रा के दौरान नियमों का पालन करें ताकि सभी को आरामदायक सफर मिल सके. मिडिल बर्थ को लेकर बना यह नियम इसी उद्देश्य से लागू किया गया है.
8.रेलवे स्टाफ से संपर्क कर सकते हैं
यात्रा के दौरान किसी भी तरह की असुविधा होने पर यात्री बेझिझक रेलवे स्टाफ से संपर्क कर सकते हैं.