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डीएनए मनी
New tax regime vs Old tax regime: 1 फरवरी 2020 को बजट पेश करते हुए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने टैक्सपेयर्स के लिए नया टैक्स स्लैब इंट्रोड्यूस किया था. नए टैक्स स्लैब में टैक्सपेयर को पुराने के मुकाबले ज्यादा टैक्स बेनिफिट दिए गए थे. 1 अप्रैल 2020 से नया टैक्स स्लैब लागू हो गया है.
डीएनए हिंदीः इनकम टैक्स रिटर्न (Income Tax Return) भरने में एक हफ्ता भी नहीं बचा है. 31 जुलाई टैक्स रिटर्न भरने की आखिरी डेट (Income Tax Return Deadline) है. वहीं दूसरी ओर कई टैक्सपेयर्स इस कंफ्यूजन में हैं कि आखिर किस व्यवस्था (New tax regime vs Old tax regime) के तहत अपना टैक्स भरें. खासकर वो नए टैक्सपेयर्स जो पहली बार रिटर्न फाइल कर रहे हैं. 1 फरवरी 2020 को बजट पेश करते हुए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Finance Minister Nirmala Sitharaman) ने टैक्सपेयर्स के लिए नया टैक्स स्लैब इंट्रोड्यूस किया था. नए टैक्स स्लैब (New Tax Slab) में टैक्सपेयर को पुराने के मुकाबले ज्यादा टैक्स बेनिफिट दिए गए थे. 1 अप्रैल 2020 से नया टैक्स स्लैब लागू हो गया है. अब आपको कौन सा स्लैब चुनना है इस बात का फैसला आप तभी कर सकते हैं, जब आपको दोनों के फायदों और नुकसान के बारे में पता होगा. आइए आपको भी बताते हैं कि दोनों के फायदे और नुकसान क्या हैं.
टैक्सपेयर्स के लिए जरूरी बात
अगर आप नया टैक्स स्लैब चुन रहे हैं तो आपको जरूरी बातों का ख्याल रखना काफी जरूरी है. जानकारों के अनुसार इस नए स्लैब के फायदों को समझाने के लिए इसके स्लैब को समझना काफी जरूरी है. उसके बिना आपको कुछ भी समझ नहीं आएगा.
नया टैक्स स्लैब
इनकम (रुपए) | टैक्स (प्रतिशत) |
2.5 लाख | 0 |
2.5-5 लाख | 5 |
5.-7.5 लाख | 10 |
7.5-10 लाख | 15 |
10-12.5 लाख | 20 |
12.5-15 लाख | 25 |
15 से ज्यादा | 30 |
नए टैक्स स्लैब में कहां मिलते हैं फायदे
पुराने टैक्स स्लैब पर कहां-कहां होता है फायदा
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किसी भी टैक्स स्लैब में जा सकता है टैक्सपेयर
टैक्सपेयर्स के लिए सबसे खास बात तो ये है कि अगर आप इस नए टैक्स स्लैब को चूज कर आईटीआर भरते हैं और अगले साल आपको लगता है कि नए टैक्स स्लैब में ज्यादा फायदा मिलेगा तो वा आराम से जा सकते हैं. ऐसे ही इसका उल्टा भी कर सकते हैं. लेकिन इस फायदा कुछ खास वर्ग के टैक्सपेयर्स को दकया जाता है. नौकरी करने वाला आदमी नए स्लैब से पुराने में स्लैब में दोबारा से स्विच कर सकता हैै. साथ जिनकी सैलेरी, किराए या अन्य सोर्स से आय है, वो हर बार अपने टैक्स स्लैब में बदलाव कर सकते हैं. अगर आप कोई बिजनेसमैन है तो सिर्फ एक बार ही अपने टैक्स स्लैब मूें बदलाव कर सकते हैं.
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