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राजा राम | Jun 16, 2025, 09:46 PM IST
1.दुनिया के कुछ देश ऐसे हैं जहां कई आधिकारिक भाषाएं बोली जाती हैं.
भाषा महज सिर्फ बातचीत का जरिया नहीं है, यह संस्कृति, पहचान और जुड़ाव का माध्यम भी होती है. कुछ देश ऐसे हैं जिन्होंने अपनी भाषाई विविधता को गर्व से अपनाया है और कई भाषाओं को आधिकारिक दर्जा देकर यह साबित किया है कि सभी समुदायों की आवाज अहम है. आधिकारिक भाषाएं यह तय करती हैं कि स्कूलों, अदालतों और सरकारी दस्तावेजों में कौन सी भाषाएं इस्तेमाल होंगी. यह न सिर्फ प्रशासनिक सहूलियत के लिए जरूरी है, बल्कि सामाजिक समावेशन और पहचान को भी बढ़ावा देता है.
2.बोलीविया
बोलीविया इस सूची में सबसे ऊपर है. यहां कुल 37 आधिकारिक भाषाएं हैं जिन्हें 2009 के संविधान में मान्यता मिली थी. इनमें सबसे प्रमुख स्पेनिश है, लेकिन क्वेचुआ, आयमारा और गुआरानी जैसी 36 स्वदेशी भाषाएं भी शामिल हैं. यह इस बात का संकेत है कि सरकार हर जातीय समूह की सांस्कृतिक पहचान को समान महत्व देती है.
3.भारत
भारत अपनी भाषाई विविधता के लिए दुनिया भर में जाना जाता है. भारतीय संविधान की आठवीं अनुसूची के तहत 22 भाषाओं को आधिकारिक दर्जा मिला है. हिंदी और अंग्रेज़ी केंद्र सरकार की कामकाज की मुख्य भाषाएं हैं, लेकिन राज्यों में बंगाली, तमिल, मराठी, तेलुगु जैसी क्षेत्रीय भाषाओं का अलग प्रभाव है.
4.जिम्बाब्वे
अफ्रीकी देश जिम्बाब्वे ने 16 भाषाओं को आधिकारिक दर्जा देकर यह दिखाया है कि भाषाई विविधता को सम्मान देना कितना जरूरी है. अंग्रेजी के अलावा शोना, नेबेले, वेंडा और टोंगा जैसी भाषाएं वहां के स्थानीय समुदायों की पहचान से जुड़ी हैं.
5.माली
माली में फ्रेंच मुख्य प्रशासनिक भाषा है, लेकिन इसके अलावा 12 स्वदेशी भाषाओं को भी आधिकारिक रूप से मान्यता प्राप्त है. इनमें बाम्बारा, सोंगहाई और फुलफुलडे शामिल हैं. ये भाषाएं माली की सांस्कृतिक आत्मा को दर्शाती हैं और शिक्षा व स्थानीय शासन में इस्तेमाल होती हैं.
6.दक्षिण अफ्रीका
दक्षिण अफ्रीका का संविधान 11 भाषाओं को आधिकारिक दर्जा देता है, और जल्द ही इसमें दक्षिण अफ़्रीकी सांकेतिक भाषा भी जुड़ने वाली है. ज़ुलु, खोसा, अफ़्रीकी और अंग्रेजी जैसी भाषाएं यहां प्रमुख हैं, जो देश की सांस्कृतिक गहराई और बहुलता को दर्शाती हैं.