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Zelenskyy-Putin की आड़ में शांति योजना बनाते Trump का मकसद कुछ और ही है!

डोनाल्ड ट्रम्प, जिन्होंने अमेरिका जैसे देश का राष्ट्रपति बनने से पहले ही वादा किया था कि वे रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध को समाप्त कर देंगे, अभी भी शांति योजना बनाने के लिए लगातार संघर्ष करते हुए नजर आ रहे हैं. सवाल यह है कि आखिर ट्रंप दो देशों की रंजिश को खत्म करने के आतुर क्यों हैं?

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Zelenskyy-Putin की आड़ में शांति योजना बनाते Trump का मकसद कुछ और ही है!

वेस्ट के जैसे हालात हैं, उन्हें देखकर ऐसा लगता है कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप रूस-यूक्रेन युद्ध पर अमेरिका की स्थिति में एक आश्चर्यजनक बदलाव लाने जा रहे हैं. यूक्रेन पर रूस के आक्रमण से शुरू हुआ यह युद्ध पिछले तीन वर्षों से चल रहा है और डोनाल्ड ट्रंप ने इसे जल्द से जल्द समाप्त करने की कसम खाई है. और ऐसा करने की उनकी योजना कीव के लिए अमेरिका के ठोस समर्थन को कमज़ोर करने और मॉस्को के प्रति अधिक उदार होने पर आधारित प्रतीत होती है, जो अब तक वाशिंगटन समर्थित कड़े अंतर्राष्ट्रीय प्रतिबंधों के अधीन है.

ट्रंप, जिन्होंने रूस और यूक्रेन के बीच तीन साल से चल रहे युद्ध को समाप्त करने का वादा किया था, जिसका कोई अंत नज़र नहीं आ रहा है. इस दिशा में संवाद और प्रतिबंधों दोनों के माध्यम से तेज़ी से कार्रवाई कर रहे हैं.

अभी इसी सप्ताह डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन ने यूक्रेन को दी जाने वाली अमेरिकी सैन्य सहायता रोक दी है. यह निर्णय व्हाइट हाउस के ओवल कार्यालय में ट्रंप और ज़ेलेंस्की के बीच तनावपूर्ण बैठक के बाद लिया गया, जहां वे अमेरिकी मीडिया के सामने गरमागरम बहस में उलझे रहे.

व्हाइट हाउस के एक अधिकारी ने कहा कि वाशिंगटन इस बात की समीक्षा कर रहा है कि कीव को दिए गए अरबों डॉलर यूक्रेन के हमलावर रूसी बलों के खिलाफ युद्ध को समाप्त करने के लिए 'समाधान' में योगदान दे रहे हैं या नहीं.

एक अमेरिकी अधिकारी और मामले से परिचित एक ऑफिसर ने रॉयटर्स को बताया कि, ट्रंप प्रशासन रूस को प्रतिबंधों से संभावित रूप से राहत देने की योजना बना रहा है, क्योंकि अमेरिकी राष्ट्रपति मॉस्को के साथ संबंधों को बहाल करना चाहते हैं और यूक्रेन में युद्ध को रोकना चाहते हैं.

ट्रंप ने मॉस्को के साथ बातचीत शुरू करने के लिए अमेरिकी नीति को तेजी से बदला, जिसकी शुरुआत 12 फरवरी को पुतिन को फोन कॉल से हुई, उसके बाद सऊदी अरब और तुर्की में अमेरिकी और रूसी अधिकारियों के बीच बैठकें हुईं. 25 फरवरी को, उन्होंने ज़ेलेंस्की से मुलाकात की और उसके बाद पुतिन के साथ बैठक हुई.

ट्रंप और ज़ेलेंस्की के बीच की बैठक विनाशकारी साबित हुई, जिसमें अमेरिकी उपराष्ट्रपति जेडी वेंस ने यूक्रेनी राष्ट्रपति पर मदद के लिए आभारी नहीं होने का आरोप लगाया. जबकि ज़ेलेंस्की ने अपने साक्षात्कारों और ट्वीट में अमेरिका को धन्यवाद देना जारी रखा. उसके बाद ट्रंप, एलोन मस्क और अन्य अधिकारियों ने सार्वजनिक रूप से उनकी आलोचना की.

बैठक के बाद ट्रंप ने स्पष्ट किया कि ज़ेलेंस्की के बयान अमेरिका के सर्वोच्च पद और अमेरिकी लोगों के प्रति 'अनादर' थे. साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि जब भी वे 'शांति के लिए तैयार होंगे' वे वापस आ सकते हैं. ट्रंप और उनके प्रशासन के अधिकारियों ने युद्ध जारी रहने के लिए यूक्रेनी राष्ट्रपति को जिम्मेदार ठहराया है. 

ट्रंप के सहयोगी एलन मस्क ने भी स्पष्ट रूप से कहा कि, 'ज़ेलेंस्की हमेशा के लिए युद्ध चाहते हैं, जो एक कभी न खत्म होने वाले भ्रष्टाचार के मांस की चक्की है. यह बुराई है.'

इसके विपरीत, ट्रंप ने सार्वजनिक रूप से कहा कि उनके प्रशासन के तहत रूस को 'दुख के अलावा कुछ नहीं मिला' और मास्को के 'विस्तारवादी' कार्यों से निपटने के लिए पिछले अमेरिकी राष्ट्रपतियों की आलोचना की.

ट्रंप ने कहा कि 'राष्ट्रपति बुश के तहत, रूस को जॉर्जिया मिला. राष्ट्रपति ओबामा के तहत, उन्हें एक अच्छा बड़ा पनडुब्बी बेस मिला. राष्ट्रपति ट्रंप  के तहत, उन्हें कुछ नहीं मिला और राष्ट्रपति बाइडेन के तहत, उन्होंने पूरी चीज को हड़पने की कोशिश की. उन्होंने पूरे यूक्रेन को हड़पने की कोशिश की. अगर मैं यहां नहीं आता, तो वे पूरी चीज को हड़प लेते.'

ट्रंप ने इस बात को भी स्वीकार किया कि, 'मैंने रूस को दुख के अलावा कुछ नहीं दिया. हमें एक सौदा करना होगा क्योंकि बहुत से लोग मारे जा रहे हैं जिन्हें नहीं मारा जाना चाहिए. लेकिन याद रखें, ट्रंप ने उन्हें कुछ नहीं दिया और दूसरे राष्ट्रपतियों ने उन्हें बहुत कुछ दिया. उन्होंने उसे सब कुछ दिया.

गौरतलब है कि पिछले बाइडेन प्रशासन ने रूस पर 500 से अधिक प्रतिबंधों की घोषणा की थी, जिसमें कच्चे तेल जैसी वस्तुओं से लेकर खाद्य फसलों और कुछ व्यक्तियों तक शामिल थे. रॉयटर्स की रिपोर्ट के अनुसार, आने वाले दिनों में अमेरिकी और रूसी अधिकारियों के बीच इस सूची पर चर्चा की जाएगी.

रिपोर्ट यह भी बताती है कि कुछ कुलीन वर्गों सहित चुनिंदा व्यक्तियों और संस्थाओं पर प्रतिबंधों में ढील दी जाएगी. 2022 में यूक्रेन पर आक्रमण के बाद से रूस पर लगाए गए अमेरिकी प्रतिबंधों में देश के विशाल तेल और गैस उद्योग से राजस्व को सीमित करने और युद्ध को वित्तपोषित करने की इसकी क्षमता को कमज़ोर करने के उद्देश्य से उपाय शामिल हैं.

अभियान के दौरान, ट्रंप ने यूक्रेन में युद्ध को जल्दी से जल्दी समाप्त करने की कसम खाई. उन्होंने यहां तक कहा कि वे शपथ लेने के '24 घंटे' बाद या अपने उद्घाटन से पहले ही ऐसा कर देंगे.

ट्रंप ने जून में एक रैली में कसम खाई थी कि, 'राष्ट्रपति पद जीतने के तुरंत बाद, ओवल ऑफिस पहुंचने से पहले ही, मैं रूस और यूक्रेन के बीच भयानक युद्ध को सुलझा लूंगा.'ट्रंप  को पदभार संभाले 43 दिन हो चुके हैं, लेकिन जैसा कि ज़ेलेंस्की ने कहा, रूस-यूक्रेन युद्ध का अंत फ़िलहाल मुश्किल है. 

जाते जाते हम एक बात जरूर कहना चाहेंगे कि रूस और यूक्रेन युद्ध ख़त्म होगा या नहीं? इस सवाल का जवाब दुनिया इसलिए भी तलाश रही है क्योंकि अब इस मामले में अमेरिका और डोनाल्ड ट्रंप इंटरेस्ट ले रहे हैं.

रूस और यूक्रेन को लेकर ट्रंप अपना वादा पूरा करते हैं या नहीं इसका फैसला तो वक़्त करेगा. लेकिन जो वर्तमान है और जिस तरह तरह गाजा फिलिस्तीन से लेकर ईरान और अफ़ग़ानिस्तान तक हर चीज पर ट्रंप की नजर है. 

कहीं न कहीं ये सब ट्रंप के उस वादे के लिए हैं जिसमें उन्होंने बार बार अलग-अलग मंचों से उन्होंने इस बात को दोहराया है कि वो अब अमेरिका को दोबारा महान बनाकर ही दम लेंगे.

कुल मिलाकर देखा जाए तो ट्रंप की तमाम जगहों से युद्ध ख़त्म करने की जिद शांति और भाईचारे के लिए नहीं,बल्कि अमेरिका की आड़ लेकर खुद को महान दर्शाने के लिए है.  और अभी जैसी परिस्थितियां हैं ट्रंप के मंसूबे कामयाब होते नजर आ रहे हैं. 

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