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Sawan sompradosh vrat: सावन का सोमप्रदोष का व्रत बहुत खास है, जानिए अगला व्रत कब है और कैसे करें पूजा, सावन में इसका क्या है महत्व
डीएनए हिंदी: सोमवार के दिन जब त्रयोदशी तिथि लगती है तब उसे सोमप्रदोष (Sompradosh Vrat) कहते हैं. सोमवार को यह व्रत कई लोग करते हैं. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार शिवजी (Lord Shiva) को सोम प्रदोष व्रत करने वाले भक्ति अति प्रिय होते हैं. जो व्रती प्रदोष काल में शिवजी की पूजा और कथा करते हैं उनकी विपदा को शिवजी हर लेते हैं.सावन (Sawan 2022) में जो सोमप्रदोष के व्रत आते हैं वे बहुत ही खास होते हैं. सावन में दो प्रदोष के व्रत आते हैं. एक कृष्ण पक्ष में और एक शुक्ल पक्ष में.
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एक व्रत की तारीख 25 जुलाई को थी लेकिन दूसरा अभी बाकी है. साल में कुल 24 प्रदोष व्रत पड़ते हैं.आईए जानते हैं कैसे रखें ये व्रत, इसका महत्व और विधि विधान क्या है
9 अगस्त को है व्रत (Date in Hindi)
शुक्ल पक्ष में पड़ने वाला प्रदोष व्रत 9 अगस्त को है. 9 अगस्त को मंगलवार है. इसलिए इस प्रदोष व्रत को भौम प्रदोष व्रत के नाम से जाना जाएगा
मुहूर्त (Auspicious Time)
श्रावण, शुक्ल त्रयोदशी प्रारम्भ - 05:45 पी एम, अगस्त 09
श्रावण, शुक्ल त्रयोदशी समाप्त - 02:15 पी एम, अगस्त 10
प्रदोष काल- 07:06 पी एम से 09:14 पी एम
प्रदोष काल
प्रदोष व्रत में प्रदोष काल में ही पूजा का विशेष महत्व होता है. प्रदोष काल संध्या के समय सूर्यास्त से लगभग 45 मिनट पहले शुरू हो जाता है. कहा जाता है कि प्रदोष काल में भगवान शिव की पूजा करने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है.
इस व्रत का महत्व (Significance of the Fast)
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार सप्ताह के सातों दिन के प्रदोष व्रत का अपना विशेष महत्व होता है।
प्रदोष व्रत करने से संतान सुख की प्राप्ति होती है
इस व्रत को करने से संतान पक्ष को भी लाभ होता है
इस व्रत को करने से भगवान शंकर और माता पार्वती की विशेष कृपा प्राप्त होती है
शिव प्रसन्न होते हैं और मनवांचित फल देते हैं.
सुहागन अपने पति और बच्चे के लिए यह व्रत रखती हैं
प्रदोष व्रत पूजा- विधि (Puja niyam)
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प्रदोष व्रत पूजा- सामग्री
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. डीएनए हिंदी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)
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