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Navratri Ashtami Mahagauri: सत्यता के आधार पर परखने की शक्ति की प्रेरणा देती हैं मां- ब्रह्माकुमारीज

Mahagauri हमें परखने की शक्ति अपने अंदर धारण करने की शिक्षा देती हैं, आज महा अष्टमी के दिन इनकी पूजा होती हैं. क्या कहती हैं बीके उषा

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Navratri Ashtami Mahagauri: सत्यता के आधार पर परखने की शक्ति की प्रेरणा देती हैं मां- ब्रह्माकुमारीज

महागौरी की उपासना

डीएनए हिंदी: Power to Observe- BK Yogesh- नवरात्रि का आठवां दिन अष्टमी (Maha Ashtami 2022) के रूप में मनाया जाता है. हमने पिछले 7 दिनों में देखा कि नवरात्रि के ये नौ दिन हमें जीवन जीने का तरीका बताते हैं,शक्तियों का आह्वान करना,कब,किस समय पर कौनसी शक्ति का आह्वान करना है,उसे स्वरूप में लाना है,यह सीखा है.इससे आत्मा का मूल्य बढ़ता जाता है.अष्टमी के दिन महागौरी का आह्वान किया जाता है, सत्यता के आधार पर परखने की शक्ति का प्रतीक हैं महागौरी. ब्रह्माकुमारीज (Brahmakumaris) की सीनियर राजयोगा टीचर बीके उषा हमें महागौरी की शक्तियों से रू-ब-रू करा रही हैं. 

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अष्ट भुजाधारी अर्थात वो दिव्यता की अष्ट शक्तियां,आत्मा के अंदर दिव्यता तब आती है,जब वो अपने अंदर की आठों शक्तियों का इस्तेमाल करती है.अगर आठ शक्तियों में से एक भी शक्ति की कमी होगी तो आत्मा अपने अंदर दिव्यता का अनुभव नहीं कर सकेगी क्योंकि अगर इन आठ शक्तियों में से एक भी शक्ति की कमी है तो वहां कमज़ोरी है और जहां कमज़ोरी है,तो तरंगे (वाइब्रेशन) निम्न होगा और अगर वाइब्रेशन निम्न होगा तो दिव्यता नहीं होगी. दिव्यता का चिन्ह ये आठ शक्तियां हैं.ये 6 या 7  नहीं हो सकतीं, ये आठ ही हैं. इन शक्तियों से आत्माएं स्वच्छ हो जाती हैं, पुरानी मैल, पुराने संस्कार, दूसरों का चिंतन, ये सब साफ़ हो जाते हैं तो हमारे वाइब्रेशन स्वच्छ होने लगते हैं. हमारा केंद्र लोगों के वाइब्रेशन पर होता है, ना कि इस पर कि वो क्या हैं, कैसे हैं, क्या करते हैं, हम उनके वास्तविक वाइब्रेशन पर केंद्रित रहते हैं.

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जीवन में कैसे इस शक्ति को करें यूज

आजकल हम लोगों से धोखा खा लेते हैं, क्योंकि वो कहते कुछ और हैं, सोचते कुछ और हैं, व्यवहार में करते कुछ और हैं, अंदर कुछ और सोच रहे हैं, तो लोगों से, परिस्थितियों से हम धोखा ना खाएं, हमारी परखने की शक्ति - कि सही क्या है, गलत क्या, सत्य क्या है,असत्य क्या है, यह परखने की शक्ति चाहिए, लेकिन यह परखने की शक्ति उसमें आएगी जो चीज़ों को बाह्य रूप से न देखे.उस चीज़,उस बात के पीछे उन सूक्ष्म वाइब्रेशन को महसूस करे, जो दिखाई नहीं देते. जो चीज़ें दिखाई देती हैं, उस आधार पर परखा और निर्णय किया, तो गलती होने की संभावनाएं हैं. अपने वाइब्रेशन से उसके वाइब्रेशन को महसूस किया तो कभी गलती हो नहीं सकती क्योंकि हमने उसे सही परखा. अतः दूसरे को परखने के लिए हमारी अपनी वाइब्रेशन बहुत ऊंची चाहिए, इसलिए आज की शक्ति है अपने सत्य स्वरूप को जानकार, उसमें स्थित होकर परखने की शक्ति

आजकल हम ज़्यादातर दूसरों से राय लेते हैं,अपने निर्णयों के लिए हम दूसरों पर निर्भर करने लगे हैं.यानि हमारी अपनी परखने की शक्ति कम हो गई है और उस वजह से निर्णय भी नहीं लिए जाते हैं. इसलिए यदि हमारे पास परखने की शक्ति है तो हमें जीवन में कभी भी, ना खुद से, ना अन्यों से, ना बातों से कभी भी धोखा नहीं मिलेगा क्योंकि हम सही परखेंगे, स्वयं को भी सही परखेंगे. ऐसा न हो कि हमने खुद को ही नहीं परखा,अर्थात पता ही नहीं कि यह वाली बीमारी या कमज़ोरी मेरे अंदर थी, मैंने परखा ही नहीं. अगर परख लेते तो परिवर्तन हो जाता तो परखने की शक्ति बहुत महत्वपूर्ण है और परखने की शक्ति का स्वरूप गायत्री देवी को दिखाते हैं क्योंकि वह बुद्धि की देवी है. परख शक्ति के लिए दिव्य बुद्धि चाहिए जो सही परखते नहीं हैं,सही निर्णय नहीं लेते हैं,उसके लिए कहते हैं "इसकी बुद्धि को ताला लगा हुआ है".मतलब बुद्धि काम करना बंद कर चुकी है इसीलिए गलतियां हो रही हैं.गायत्री देवी को बुद्धि की देवी कहते हैं. हमें स्व पर केंद्रित करना है,स्व परिवर्तन करना है. स्व पर केंद्रित होने से हमारे वाइब्रेशन उच्च हो जायेंगे. जितना दूसरों पर केंद्रित होंगे,वाइब्रेशन नीचे जायेंगे. नीचे जाने से परखने की शक्ति नीचे चली जायेगी

महागौरी की उपासना

नवरात्रि के आठवें दिन यानी अष्टमी पर महागौरी की उपासना का विधान है. इस दिन महागौरी की उपासना, उपासकों को असत्य से सत्य की ओर ले जाती है. मां दुर्गा के महागौरी स्वरूप की पूजा को अमोघ व फलदायिनी माना गया है. महागौरी रूप में देवी करुणामयी, स्नेहमयी,शांत और मृदुल दिखती हैं. महागौरी की उपासना से भक्तों के सभी कलेश धुल जाते हैं. पूर्व संचित पाप भी विनष्ट हो जाते हैं.विनाश में रोग, संताप, दुःख, पाप, उसके पास कभी नहीं जाते हैं. वह सभी प्रकार पवित्र और अक्षय पुण्यों का अधिकारी बन जाता है. इनका रंग पूर्णतः गौर है. इनकी आयु आठ वर्ष की मानी गई है. इनके सभी वस्त्र और  आभूषण भी श्वेत हैं.श्वेत रंग शांति एवं पवित्रता का प्रतीक है.महागौरी की चार भुजाएं दिखाई गईं हैं और इनका वाहन ऋषभ है.इनकी एक भुजा वरद मुद्रा,दूसरी भुजा अभय भुजा,तीसरी भुजा में त्रिशूल अर्थात मन,वचन,कर्म में दृढ़ संकल्पधारी और चौथी भुजा में डमरू अर्थात ज्ञान का डमरू.

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मां महागौरी हमें भी यही प्रेरणा देती है कि हमें सदा अपनी मुद्रा अत्यंत शांत रखनी है,अपने पार्वती रूप में परमात्मा शिव को पति रूप में प्राप्त करने के लिए कठोर तपस्या की थी.इतनी कठोर तपस्या के कारण, इनका शरीर काला पड़ गया.इस कठोर तपस्या से प्रसन्न और संतुष्ट होकर जब परमात्मा शिव ने इनके शरीर को ज्ञान गंगा रूपी जल से मल कर धोया तब वह तेजोमय प्रवाह से अत्यंत कांतिमान महागौर हो उठा,तभी से इनका नाम महागौरी पड़ा.परमात्मा शिव की कृपा से अलौकिक सिद्धियों की प्राप्ति होती है,उनके आचरण का अनुसरण करने से आठ जन्मों के असंभव कार्य भी संभव हो जाते हैं.अतः इनके चरणों पर अपने कदम रख कर अपना पुरुषार्थ करने से सहजता से जीवन में आगे बढ़ सकते हैं.

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