Twitter
Advertisement

IND vs ENG 5th Test: जीत के बेहद करीब था इंग्लैंड, फिर कहां पर पलटा पूरा मैच; सिराज या कृष्णा कौन है असली हीरो?

शरीर को बीमारियों का घर बना रही डेस्क जॉब! IT वर्कर्स में इसका जोखिम अधिक, जानें सरकार की गाइडलाइंस

RRB NTPC Admit Card 2025: आरआरबी एनटीपीसी का एडमिट कार्ड rrbapply.gov.in पर जारी, इस डायरेक्ट लिंक से करें डाउनलोड

IND vs ENG 5th Test Highlights: रोमांचक टेस्ट में भारत ने इंग्लैंड के मुंह से छीनी जीत, सिराज का पंजा; ड्रॉ पर खत्म हुई सीरीज

JEE में दूसरी रैंक लाकर IIT Bombay से पढ़ाई, ठुकराया टेस्ला का ऑफर, जानें आजकल क्या कर रहे हैं जनक अग्रवाल

Anti Aging Face Pack: चमकती और टाइट स्किन चाहिए? घर पर ऐसे बनाएं एंटी एजिंग फेस पैक

'सिराज असली योद्धा हैं...' Mohammed Siraj के फैन निकले Joe Root, मियां भाई की तारीफ में पढ़ें कसीदे

Congress MP Chain Snatching: दिल्ली में बेखौफ़ हुए अपराधी, हाई सिक्योरिटी इलाके में कांग्रेस सांसद R. Sudha के साथ चेन स्नैचिंग हो गई

वो IITian जिसने उड़ाई ChatGPT की नींद, AI में दिलचस्पी ने पहुंचाया विदेश, जानें अरविंद श्रीनिवास की कहानी

Numerology: 'बादशाह' जैसी जिंदगी जीते हैं इन 3 तारीखों में जन्मे लोग! अपने स्वाभिमान से कभी नहीं करते समझौता

Solah Somvar Vrat: 16 सोमवार व्रत कब से शुरू होगा? जानें महादेव की पूजा विधि, पूजन सामग्री-बीज मंत्र और उद्यापन नियम

On which day 16 Somvar Vrat start in Sawan? : श्रावण मास में सोलह सोमवार का व्रत प्रारंभ करना सबसे उत्तम माना जाता है. इस व्रत के प्रभाव से विवाह और संतान प्राप्ति में आ रही बाधाएं दूर होती हैं. साथ ही नौकरी में तरक्की और जीवन से सुख-शांति और सौभाग्य के लिए भी ये व्रत रखा जाता है.

ऋतु सिंह | Jul 12, 2025, 07:56 AM IST

1.16 सोमवार व्रत क्यों बहुत महत्वपूर्ण होता है

16 सोमवार व्रत क्यों बहुत महत्वपूर्ण होता है
1

हिंदू धर्म में सोलह सोमवार का विशेष महत्व है. सोमवार का दिन शिव जी को समर्पित है. सोलह सोमवार का व्रत करने से भगवान शिव प्रसन्न होते हैं. इस व्रत को करने से विवाह में आने वाली बाधाएं दूर होती हैं और वैवाहिक जीवन भी सुखमय होता है. आपको मनचाहा जीवनसाथी भी मिल सकता है. संतान सुख और नौकरी में सफलता मिल सकती है.
 

Advertisement

2.पार्वतीजी ने शिव को पाने के लिए किया था 16 सोमवार का व्रत

पार्वतीजी ने शिव को पाने के लिए किया था 16 सोमवार का व्रत
2

गौरतलब है कि पार्वती ने शिव को पति रूप में पाने के लिए सोलह सोमवार का व्रत किया था. कई लोग इस बात को लेकर असमंजस में रहते हैं कि सोलह सोमवार का व्रत किस महीने और तिथि से शुरू करें. यहाँ सोलह सोमवार के व्रत की शुरुआत और उत्सव के बारे में कुछ जानकारी दी गई है.

3.सोलहवें सोमवार का व्रत कब शुरू होगा?

सोलहवें सोमवार का व्रत कब शुरू होगा?
3

वैसे तो 16 सोमवार का व्रत कार्तिक मास में भी शुरू किया जा सकता है. इसके अलावा, मार्गशीर्ष मास भी सोलह सोमवार व्रत के लिए उपयुक्त है. लेकिन श्रावण मास के सोलह सोमवार से शुरू करना सबसे शुभ माना गया है. यह व्रत श्रावण के पहले सोमवार से लेकर अगले 16 सोमवार तक किया जाना चाहिए.
 

4.श्रावण मास के सोलहवें सोमवार का महत्व

श्रावण मास के सोलहवें सोमवार का महत्व
4

श्रावण मास में 16वें सोमवार का प्रारंभ अत्यंत शुभ होता है. क्योंकि यह महीना भगवान शिव को अत्यंत प्रिय है. इस माह में भगवान शिव की पूजा और जलाभिषेक करने से उनकी कृपा प्राप्त होती है. 16वें सोमवार का व्रत करने से कई गुना फल मिलता है. साथ ही, सकारात्मक और आध्यात्मिक वातावरण का निर्माण होता है. 16वें सोमवार का व्रत विवाह, संतान प्राप्ति और नौकरी प्राप्ति के लिए अत्यंत प्रभावशाली होता है.
 

5.सोलहवें सोमवार व्रत सामग्री

सोलहवें सोमवार व्रत सामग्री
5

सोलह सोमवार व्रत करने के लिए कई सामग्रियों की आवश्यकता होती है. श्रावण मास आने से पहले इनके बारे में जल्दी से जान लें. सोलह सोमवार की पूजा के लिए आवश्यक सामग्री: एक लोटा, सफेद या लाल कपड़ा, एक लकड़ी की चौकी, एक नारियल, एक पूजा की थाली, एक जल का लोटा, एक शिवलिंग और शिव-पार्वती का चित्र, पुष्प, पंचामृत, शिन्नी, मीठी लुची, बेलपत्र, पाँच प्रकार के फल, अखंड दीपक जलाने के लिए घी, आम और पान के पत्ते, सुपूरी, हल्दी, कुमकुम, अखंडित चावल, सफेद चंदन, मौली धागा, उपनयन, धूपबत्ती, गंगाजल, अंतर, दक्षिणा, धुतारो, अकंद का फूल, गन्ना, सोलह सोमवार व्रत की पुस्तक.

6.सोलहवें सोमवार की पूजा के नियम

सोलहवें सोमवार की पूजा के नियम
6

श्रावण के पहले सोमवार को ब्रह्म शुक्ल की रात्रि में उठकर, सभी काम निपटाकर स्नान करें. नहाने के पानी में काले तिल मिलाना न भूलें. इसके बाद साफ़ कपड़े पहनें. शिव जी के सामने व्रत रखें. पूरे दिन उपवास रखें, फलाहार कर सकते हैं. शिवलिंग का अभिषेक और पूजन करें.

इसके बाद प्रदोष काल में श्रावण सोमवार की पूजा शुरू करें. तांबे के लोटे में जल भरकर शिवलिंग का अभिषेक करें. एक पाटे पर सफेद कपड़ा बिछाकर शिव-पार्वती का चित्र स्थापित करें. इसके बाद शिवलिंग और इस चित्र की पूजा करें. ॐ नमः शिवाय मंत्र का जाप करते हुए शिवलिंग पर पंचामृत चढ़ाएँ. इसके बाद गंगाजल से स्नान कराएँ. इसके बाद सफेद चंदन का तिलक लगाएँ.
 

7.बेलपत्र, धुतारो, अकंद पुष्प, गन्ने का रस चढ़ाएं

बेलपत्र, धुतारो, अकंद पुष्प, गन्ने का रस चढ़ाएं
7

फिर एक-एक करके बेलपत्र, धुतारो, अकंद पुष्प, गन्ने का रस, गन्ना, पुष्प, अष्टगंध, श्वेत वस्त्र, अंतर और भोग अर्पित करें. ये सभी चीज़ें शिव-पार्वती के चित्र पर अर्पित करने के बाद शिव का उपनयन संस्कार और पार्वती को सोलह श्रृंगार अर्पित करें. इसके बाद घी का दीपक और अगरबत्ती जलाएँ. सोलह सोमवार का व्रत पढ़ना न भूलें. महामृत्युंजय मंत्र और शिव चालीसा का पाठ करें . इस प्रकार अगले 16 सोमवार तक पूजा संपन्न करें.
 

8.सोलहवें सोमवार उद्यापन नियम

सोलहवें सोमवार उद्यापन नियम
8

यह व्रत सोलह सोमवार व्रत करने के बाद सत्रहवें सोमवार को उद्यापन करना होता है. इस दिन सोलह जोड़ों को भोजन कराया जाता है. विधिवत पूजा- दान आदि करने के बाद व्रत की पूर्ण माना जाता है.

Disclaimer: यह खबर सामान्य जानकारी और धार्मिक मान्यताओं पर आधारित है. डीएनए हिंदी इसकी पुष्टि नहीं करता है.

 

अपनी राय और अपने इलाके की खबर देने के लिए जुड़ें हमारे गूगलफेसबुकx,   इंस्टाग्रामयूट्यूब और वॉट्सऐप कम्युनिटी से. 

Read More
Advertisement
Advertisement
पसंदीदा वीडियो
Advertisement