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ISKCON: बांग्लादेश में हिंदू विरोधी हिंसा के बीच तूफान का सामना करने में खड़ा है इस्कॉन, जानिए क्या है कृष्ण भावनामृत आंदोलन?

what is ISKCON Krishna Consciousness Movement: बांग्लादेश में हिंदू विरोधी हिंसा के बीच तूफान का सामना इस समय इस्कॉन कर रहा है, इस्कॉन अपने कृष्ण भावनामृत आंदोलन के जरिए लोगों की रक्षा करने में लगा है, वहीं बांग्लादेश इस्कॉन पर दूसरे कई देशों की तरह प्रतिबंध लगाने पर तुला है.

ऋतु सिंह | Dec 01, 2024, 10:13 AM IST

1.इस्कॉन क्या है?

इस्कॉन क्या है?
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इस्कॉन हिंदू देवता भगवान कृष्ण के भक्तों का एक समूह या संगठन है. इसके संस्थापक भक्तिवेदांत स्वामी प्रभुपाद हैं. ये हिंदू धर्म और कृष्ण भक्तों का एक आध्यात्मिक समूह है. स्वामी प्रभुपाद ने 69 वर्ष की आयु में एक मालवाहक जहाज से न्यूयॉर्क की यात्रा की और कृष्ण चेतना का प्रचार किया.
 
 

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2.इस्कॉन की स्थापना

इस्कॉन की स्थापना
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1966 में स्वामी प्रभुपाद ने अपने अनुयायियों के साथ मिलकर अमेरिका के महानगर में इस्कॉन की स्थापना की. इस्कॉन के अनुयायियों को हरे कृष्ण कहा जाता है. ये गेरुआ या सफेद वस्त्र पहनते हैं. जप, माला का प्रयोग. माथे पर चंदन का तिलक लगाएं. हरे वे जपते हैं, कृष्ण गीत. गाती कृष्ण के भक्ति गीत गाते हैं. हिंदू ग्रंथ भगवद गीता पढ़ें. धार्मिक सामान बेचता है.
 

3.क्या है हरे कृष्ण आंदोलन

क्या है हरे कृष्ण आंदोलन
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कृष्ण भावनामृत आंदोलन को अंतरराष्ट्रीय कृष्णभावनामृत संघ (ISKCON) या हरे कृष्ण आंदोलन के नाम से भी जाना जाता है. इसकी शुरुआत भक्तिवेदांत स्वामी प्रभुपाद ने साल 1966 में न्यूयॉर्क में की थी. इस आंदोलन का मकसद, लोगों को आध्यात्मिक संस्कृति देकर जीवन की समस्याओं को हल करना है. 
 

4.इस आंदोलन के बारे में कुछ खास बातेंः 

इस आंदोलन के बारे में कुछ खास बातेंः 
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इस आंदोलन में लोगों को बुद्धिमान बनाया जाता है और उन्हें अपने मन और इंद्रियों को नियंत्रित करने के तरीके सिखाए जाते हैं. इस आंदोलन में लोगों को सत्यवादी बनने, आंतरिक और बाहरी रूप से स्वच्छ बनने, और ईश्वर के प्रति सचेत बनने के तरीके सिखाए जाते हैं. इस आंदोलन के अनुयायी गीता और हिन्दू धर्म और संस्कृति का प्रचार-प्रसार करते हैं. 

इस्कॉन के अनुयायी अपने घरों में भक्ति-योग का अभ्यास करते हैं और मंदिरों में पूजा करते हैं.  इस्कॉन के अनुयायी योग सेमिनार, फ़ेस्टिवल, पब्लिक जप, और साहित्य वितरण के ज़रिए कृष्ण चेतना को बढ़ावा देते हैं.  इस्कॉन के अनुयायी शाकाहार करते हैं और 'हरे राम-हरे कृष्ण' का कीर्तन करते हैं. 
 

5.हिप्पियों के लिए

हिप्पियों के लिए
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संयुक्त राज्य अमेरिका में 1970 के दशक के व्यस्त दिनों में हिप्पियों को इस्कॉन जैसे संगठनों में आध्यात्मिक सांत्वना मिली.वर्तमान में इस्कॉन अमेरिका की सीमा से बाहर दुनिया के कई देशों तक फैल चुका है. दुनिया के कई देशों में इनके केंद्र या मंदिर हैं.
 

6.इस्कॉन पर कहां लगा है प्रतिबंध और कहां हैं इनके मंदिर 

इस्कॉन पर कहां लगा है प्रतिबंध और कहां हैं इनके मंदिर 
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सिंगापुर में इस्कॉन पर प्रतिबंध.  दक्षिण अफ्रीका, अमेरिका, इंडोनेशिया में संगठन हैं.  इसके अलावा एशिया में भारत के अलावा इस्कॉन के करीब 80 सेंटर्स हैं. इनमें से ज्यादातर सेंटर्स इंडोनेशिया, फिलीपींस और मलेशिया जैसे देशों में शामिल हैं. इंडोनेशिया में हिंदू धर्म की काफी पूछ है और वहां भी कई सारे मंदिर हैं. ऑस्ट्रेलिया में कृष्णा कॉन्शियसनेस के कुल 6 मंदिर हैं वहीं न्यूजीलैंड में 4 ऐसे सेंटर्स हैं जहां पर भगवान कृष्ण की पूजा की जाती है. इस्कॉन चीन में छिपा हुआ है. पाकिस्तान समेत अभी और कई देशों में इस्कॉन नहीं है. बांग्लादेश इस पर प्रतिबंध लगाने की योजना बना रहा है.
 

7.इस देश में इस्कॉन कर रहा अब काम 

इस देश में इस्कॉन कर रहा अब काम 
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संस्था ने कोरिया में नया काम शुरू किया है. गुयाना में उस संगठन का सम्मान किया जाता है. इस संगठन के प्रशंसक जर्मनी और ब्रिटेन की यात्रा करते हैं.

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