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Bihar Political Crisis: बिहार में थी महाराष्ट्र वाले 'गेम' की तैयारी? RCP सिंह बनने वाले थे JDU के एकनाथ शिंदे

Bihar Political Crisis: कभी नीतीश के हनुमान कहे जाने वाले आरसीपी सिंह के सहारे बीजेपी ने बिहार में महाराष्ट्र वाले गेम की तैयारी कर ली थी. लेकिन, ऐन मौके पर उनका प्लान फेल कर गया. इसका कारण था नीतीश की दूरदृष्टि. उन्होंने उद्धव वाली गलती नहीं की और समय रहते बीजेपी के प्लान पर पानी फेर दिया. पढ़ें हमारे रिपोर्टर अमित प्रकाश की रिपोर्ट...

Bihar Political Crisis: बिहार में थी महाराष्ट्र वाले 'गेम' की तैयारी? RCP सिंह बनने वाले थे JDU के एकनाथ शिंदे

नीतीश कुमार

डीएनए हिन्दी: बिहार में भी महाराष्ट्र जैसा ही गेम होने वाला था, लेकिन फर्क ये रहा कि इस संभावित गेम को नीतीश कुमार (Nitish Kumar) ने पहले ही भांप लिया, जिसको उद्धव ने समझने में देरी कर दी थी. बिहार की राजनीति में संभावित उठापटक का गेम जैसे ही नीतीश को समझ में आया, उन्होंने RCP के लिए पूरी फील्डिंग लगा दी.

कैसे तैयार की गई RCP सिंह के JDU से एक्जिट की स्क्रीप्ट
RCP सिंह कुछ दिनों पहले नालंदा पहुंचे थे जहां 'हमारा मुख्यमंत्री RCP जैसा हो' के नारे लगे थे. इस प्रकरण के बाद से ही JDU ने उनको घेरना शुरू कर दिया था, इससे पहले कि वह पार्टी के लिए एकनाथ शिंदे साबित होते उन्हें बाहर का रास्ता दिखा दिया गया.

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RCP सिंह ने अपनी पार्टी JDU से इस्तीफा तो दे दिया लेकिन ये स्थिति क्यों और कैसे तैयार की गई कि उन्हें इस्तीफा के लिए मजबूर होना पड़ा? इसकी पूरी स्क्रिप्ट कुछ महीने पहले से लिखी जाने लगी थी. जब तक वे CM नीतीश कुमार के साथ रहे उनके सबसे खास लोगों में से एक बनकर रहे, लेकिन जैसे ही नीतीश कुमार ने RCP को 'पावर ऑफ अटर्नी' दिया, वह हाथ से निकल गए.

जिस केंद्र की सरकार में संख्या के आधार पर नीतीश कुमार शामिल नहीं हुए. जनता दल यूनाइटेड का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने के बाद RCP ने अपने आप को केंद्र में पूरी तरह सेट कर लिया और यहीं से नीतीश और RCP, दोनों के रास्ते अलग हो गए.

यह भी पढ़ें, सत्ता परिवर्तन की राह पर बिहार,  NDA से क्यों खफा-खफा हैं नीतीश कुमार?

केंद्र में मंत्री बनते ही नीतीश से दूर हो गए RCP
RCP सिंह मंत्री बनने के बाद दिल्ली चले गए तो पटना में ललन सिंह और उपेंद्र कुशवाहा नीतीश कुमार के आंख और कान बन गए. ऐसे में जब यूपी चुनाव आया और उस समय RCP सिंह को BJP से गठबंधन करने की जिम्मेदारी दी गई तो RCP सिंह असफल हो गए.

इस घटना का नीतीश कुमार पर काफी असर पड़ा.  इधर, जातीय जनगणना, जनसंख्या नियंत्रण पर JDU और नीतीश की राय से अलग RCP सिंह BJP की भाषा बोलने लगे थे. ऐसे में नीतीश कुमार को RCP सिंह खटकने लगे.

जनता दल यूनाइटेड ने RCP से एक-एक करके सबकुछ ले लिया
जब RCP सिंह का राज्यसभा में कार्यकाल समाप्त हो रहा था तो JDU ने उन्हें दुबारा टिकट नहीं दिया. उनकी जगह झारखंड के खीरु महतो को राज्यसभा का सांसद बना दिया गया. ऐसे में RCP बिना किसी सदन के सदस्य रहे डेढ़ महीने तक तो केंद्र में मंत्री रहे, लेकिन आखिरकार जुलाई में उन्हें इस्तीफा देना पड़ा. इसके बाद उनसे पटना का आवास ले लिया गया. वे अपने पुश्तैनी आवास नालंदा के मुस्तफापुर में जाकर रहने लगे और इसी दौरान वे कई राजनीतिक कार्यक्रमों में भी जाने लगे.

कहीं 'एकनाथ शिंदे' तो नहीं बनने वाले थे RCP सिंह?
इधर गुप्त आधार पर नीतीश कुमार तक ये सुचना पहुंचने लगी कि RCP सिंह पार्टी को तोड़ने की कोशिश में जोर-शोर से जुटे हुए हैं, JDU के एक बड़े नेता ने नाम का खुलासा नहीं करने के अनुरोध के साथ ये बताया कि RCP सिंह बिहार में 'महाराष्ट्र वाला गेम' करने की फिराक में थे, लेकिन इस खेल का पूरा प्लॉट पहले ही लीक हो गया और 'ऑपरेशन RCP' शुरू हो गया. 

ये वही JDU है जिसके सर्वेसर्वा RCP सिंह हुआ करते थे और कहते हैं कि उनके आदेश के बगैर JDU में एक पत्ता भी नहीं हिलता था, लेकिन अब खुद JDU ने ही पार्टी से उनका पत्ता काट दिया है और उन्हें पूरी तरह से अलग थलग कर दिया है.

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