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West Bengal News: खुफिया दस्तावेजों के साथ आरोपी के पास जो रेडियोएक्टिव मटीरियल मिला है, उसकी प्रति ग्राम की कीमत करीब 17 करोड़ रुपये है. माना जा रहा है कि वो दोनों चीजों को विदेशी जासूसों के हवाले करने वाला था.
West Bengal News: भारतीय सेना के लिए हथियार डवलप करने वाले भारतीय रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) के खुफिया दस्तावेजों में सेंध लग गई है. भारतीय सेना और पश्चिम बंगाल की पुलिस ने जॉइंट ऑपरेशन में एक व्यक्ति को दबोचा है, जिसके बाद डीआरडीओ के खुफिया दस्तावेज बरामद किए गए हैं. इन दस्तावेजों के साथ ही आरोपी के घर से एक ऐसी चीज भी बरामद की गई है, जिसे देखकर छापा मारने वाली टीमें भी हैरान रह गई हैं. पश्चिम बंगाल के दार्जिलिंग जिलों में हुई इस छापेमारी में आरोपी के घर से भारी मात्रा में रेडियोएक्टिव मटीरियल बरामद किया गया है, जिसके लीक होने पर पूरा इलाका रेडियोएक्टिव अटैक की चपेट में आ सकता था. इस मटीरियल के हर ग्राम की कीमत 17 करोड़ रुपये के करीब बताई गई है, जिससे अंदाजा लगाया जा रहा है कि बरामद किया गया मटीरियल कई अरब रुपये कीमत का है.
ममता बनर्जी की पार्टी की नेता है आरोपी की पत्नी
PTI के मुताबिक, पश्चिम बंगाल पुलिस और भारतीय सेना ने यह जॉइंट ऑपरेशन 26 नवंबर को चलाया था. इस ऑपरेशन में दार्जिलिंग जिले के नक्सलबाड़ी ब्लॉक के बेलगाछी गांव में छापा मारा गया. इस छापेमारी में एक व्यक्ति गिरफ्तार किया गया है, जिसकी पहचान फ्रैंकिस एक्का के तौर पर हुई है. उसके घर से DRDO के खुफिया दस्तावेज और रेडियोएक्टिव मटीरियल Californium की भारी मात्रा बरामद हुई है. फ्रैंकिस एक्का की पत्नी अमृता एक्का है, जो मुख्यमंत्री ममता बनर्जी (Mamata Banerjee) की पार्टी तृणमूल कांग्रेस (TMC) की नक्सलबाड़ी पंचायत समिति इलाके की नेता है.
विदेशी जासूसों से लिंक की जुटाई जा रही जानकारी
पुलिस अफसरों के मुताबिक, आरोपी यह बताने में फेल रहा है कि उसके पास DRDO के खुफिया दस्तावेज और रेडियोएक्टिव मटीरियल क्यों मौजूद है. आरोपी के खिलाफ फिलहाल डीआरडीओ के संवेदनशील दस्तावेज और रेडियोएक्टिव मटीरियल्स की स्मगलिंग करने का मुकदमा दर्ज किया गया है. उसके विदेशी जासूसों के साथ लिंक की जानकारी जुटाई जा रही है. इसके लिए उससे पूछताछ चल रही है. पुलिस ने उस घर को सील कर दिया है, जिसके अंदर रेडियोएक्टिव मटीरियल बरामद हुआ है.
नक्सल उग्रवाद का जन्मदाता है ये इलाका
जिस इलाके में पुलिस और सेना ने इतना संवेदनशील कारनामा पकड़ा है, वो इलाका पूरे देश के लिए नासूर बने नक्सल उग्रवाद का जन्मदाता है. 1960 के दशक में इसी नक्सलबाड़ी इलाके से जमींदार व्यवस्था का विरोध करने के नाम पर नक्सली हिंसा की शुरुआत हुई थी, जो धीरे-धीरे देश के कई राज्यों में फैल गई और आज भी सिस्टम के लिए बड़ा चैलेंज बनी हुई है.
(With PTI Inputs)
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