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भारत
भारत में कोविड-19 के मामले फिर से बढ़ रहे हैं और कई राज्यों में नए वेरिएंट फैल रहे हैं. वैक्सीन का उत्पादन रुकने के बावजूद, अधिकारियों ने पुष्टि की है कि वर्तमान और भविष्य की ज़रूरतों को पूरा करने के लिए पर्याप्त मात्रा में वैक्सीन मौजूद है.
कोविड-19 के मामलों में फिर तेजी से उछाल आने के संकेत मिलने के बाद, सरकार के सूत्रों ने आश्वासन दिया है कि, भारत के पास अपने नागरिकों के लिए पर्याप्त वैक्सीन भंडार है. जिसे ज़रूरत पड़ने पर अन्य देशों को निर्यात किया जा सकता है. बता दें कि 26 मई तक लगभग 1,010 सक्रिय मामले दर्ज किए गए, जिसमें नोएडा, लखनऊ, कर्नाटक, मुंबई, अरुणाचल प्रदेश और वाराणसी से नए संक्रमण की सूचनाएं मिली हैं. जिसके बाद माना ये जा रहा है कि जैसे जैसे दिन आगे बढ़ेंगे भारत में कोविड के मामलों में वृद्धि होगी.
कोविड केसों और कोविड-19 टीकों पर अपना पक्ष रखते हुए सरकार से जुड़े सूत्रों ने कहा है कि, 'हम किसी भी स्थिति के लिए पूरी तरह तैयार हैं. हमारे पास अपने नागरिकों की ज़रूरतों को पूरा करने के लिए पर्याप्त भंडार है. इसके अलावा, अगर ज़रूरत पड़ी तो हम दूसरे देशों को भी टीके की आपूर्ति कर सकते हैं.'
बताते चलें कि भारत के अधिकांश लोगों, यानी लगभग 1 बिलियन लोगों को कोविशील्ड या कोवैक्सिन की कम से कम एक खुराक मिल चुकी है. सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (SII) द्वारा एस्ट्राजेनेका के लाइसेंस के तहत निर्मित कोविशील्ड ने मांग में कमी के कारण दिसंबर 2021 में अपना उत्पादन बंद कर दिया.
इसी तरह, भारत बायोटेक द्वारा भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद - राष्ट्रीय विषाणु विज्ञान संस्थान के सहयोग से विकसित भारत की पहली स्वदेशी कोविड-19 वैक्सीन कोवैक्सिन ने भी 2022 की शुरुआत में उत्पादन बंद कर दिया.
निर्माण में रुकावट के बावजूद, अधिकारियों का कहना है कि वैक्सीन की उपलब्धता चिंता का विषय नहीं है.
जबकि डॉक्टर इस उछाल को (भारत में कोविड के मामलों में) श्वसन संबंधी बीमारियों के अप्रत्याशित मौसमी पैटर्न के लिए जिम्मेदार ठहराते हैं, वैश्विक स्वास्थ्य अधिकारी पिछले संक्रमणों और टीकाकरण से कम होती सुरक्षा की ओर इशारा करते हैं जो क्षेत्रीय उछाल में भूमिका निभा सकते हैं.
जिक्र भारत में कोविड के मामलों का हुआ है तो बता दें कि देश में, वर्तमान में प्रचलन में प्रमुख स्ट्रेन LF.7, XFG और JN.1 हैं. साथ ही नए ओमिक्रॉन सब-लाइनेज NB.1.8.1 भी हैं. इन वेरिएंट में ओवरलैपिंग लक्षण हैं जो आम फ्लू से मिलते-जुलते हैं, जैसे खांसी, बहती नाक, गले में खराश, हल्का बुखार, सिरदर्द, शरीर में दर्द और, कुछ मामलों में, गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल संकट.
हालांकि SARS-CoV-2 का मौसमी व्यवहार अब अन्य श्वसन वायरस के समान है. जो समय-समय पर उत्परिवर्तन द्वारा संचालित होता है, लेकिन एक मुख्य अंतर है, भारत के मौजूदा टीके इन नए उप-वेरिएंट को लक्षित करने के लिए डिज़ाइन नहीं किए गए थे.
इसके बावजूद, स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि जो लोग पहले संक्रमित हो चुके हैं या टीका लगवा चुके हैं, खासकर पिछले एक साल में, उनमें अभी भी गंभीर बीमारी के खिलाफ कुछ हद तक सुरक्षा बनाए रखने की उम्मीद है, भले ही वे वायरस के उत्परिवर्तित संस्करण से संक्रमित हों.
भारत को कोविड-19 के नए टीकों की आवश्यकता होगी या नहीं, इसका मूल्यांकन किया जा रहा है. हालांकि, उभरते शोध इस बात का आश्वासन देते हैं. नेचर इम्यूनोलॉजी में प्रकाशित यूनिवर्सिटी ऑफ एरिजोना हेल्थ साइंसेज के एक हालिया शोध में इस बात का जिक्र हुआ है कि, पहले से टीकाकरण किए गए टीके डेल्टा और ओमिक्रॉन जैसे नए वेरिएंट के खिलाफ भी मजबूत प्रतिरक्षा सुरक्षा प्रदान करते हैं.
हालांकि यह शरीर की वेरिएंट-विशिष्ट एंटीबॉडी उत्पन्न करने की क्षमता को कम कर सकता है, लेकिन टीका लगाए गए व्यक्तियों में अभी भी उन लोगों की तुलना में अधिक मजबूत प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया होती है जिन्हें कभी टीका नहीं लगाया गया था.