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48 साल में पहली बार भगवान जगन्नाथ के रथ यात्रा में लगेगा सुखोई फाइटर जेट का टायर, जानें ISKCON ने क्यों लिया ये फैसला

कोलकाता ISKCON ने भगवान जगन्नाथ के रथ के पहियों को 48 साल बाद बदला है. पुराने बोइंग 747 टायरों की जगह अब सुखोई फाइटर जेट में इस्तेमाल होने वाले टायर लगाए जा रहे हैं.

राजा राम | Jun 01, 2025, 10:50 PM IST

1.रथ यात्रा में पहली बार होगा बदलाव

रथ यात्रा में पहली बार होगा बदलाव
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कोलकाता ISKCON की ऐतिहासिक भगवान जगन्नाथ रथ यात्रा इस साल एक नई तकनीकी झलक के साथ होने जा रही है. 48 साल से रथ जिस परंपरागत ढंग से चलता आया है, उसमें अब पहली बार बड़ा बदलाव किया गया है. रथ के पहियों को पूरी तरह बदला जा रहा है और उनकी जगह अब सुखोई फाइटर जेट के टायर लगाए जा रहे हैं. इन टायरों को मशहूर टायर निर्माता कंपनी MRF ने तैयार किया है.
 

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2.पुराने टायर अब नहीं थे सुरक्षित

पुराने टायर अब नहीं थे सुरक्षित
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TOI की एक रिपोर्ट के मुताबिक बीते कुछ सालों में रथ के पुराने टायर लगातार घिसते जा रहे थे. हर साल रथ यात्रा से पहले उनकी मरम्मत कराई जाती थी. पुराने टायर बोइंग 747 जंबो जेट से लिए गए थे, लेकिन इस विमान के बंद हो जाने के बाद वैसा टायर मिलना मुश्किल हो गया था. ISKCON कोलकाता के वाइस प्रेसिडेंट राधारमण दास ने बताया कि 2005 में ही उन्होंने टायर बदलने की जरूरत को महसूस किया था, लेकिन सही विकल्प मिलने में करीब 20 साल लग गए.
 

3.क्यों चुने गए सुखोई के टायर

क्यों चुने गए सुखोई के टायर
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राधारमण दास के मुताबिक सबसे बड़ी चुनौती थी ऐसा टायर खोजना जो रथ का भारी वजन झेल सके. सुखोई फाइटर जेट के टायरों का डायमीटर करीब 4 फीट है और वजन 110 किलो के आसपास है, जो पुराने बोइंग टायरों से मेल खाते हैं. जब ISKCON ने MRF से संपर्क किया, तो पहले उन्हें यकीन नहीं हुआ, लेकिन जांच के बाद उन्होंने टायर देने पर सहमति दी.

4.टायर बदलने का काम जारी

टायर बदलने का काम जारी
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रथ यात्रा से पहले टायर बदलने का काम तेजी से चल रहा है. ISKCON को उम्मीद है कि जून के दूसरे हफ्ते तक यह काम पूरा हो जाएगा. चार टायरों की कुल कीमत करीब 1.80 लाख रुपये है. नए टायरों को सही तरीके से फिट करना इस प्रक्रिया की सबसे अहम जिम्मेदारी है.
 

5.ड्राई रन से होगी जांच

ड्राई रन से होगी जांच
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टायर लगने के बाद रथ को 24 किलोमीटर तक खींचकर ड्राई रन किया जाएगा ताकि यह देखा जा सके कि टायर और स्टीयरिंग सही ढंग से काम कर रहे हैं या नहीं. ISKCON का मानना है कि यह बदलाव न केवल तकनीकी रूप से जरूरी था, बल्कि भगवान की सेवा में एक नई सोच और श्रद्धा का प्रतीक भी है.

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