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"ऑपरेशन सिंदूर" ने जम्मू-कश्मीर और अंतरराष्ट्रीय सीमा पर मौजूद कई आतंकी लॉन्च पैड्स और ट्रेनिंग कैंप्स को तबाह कर दिया था. लेकिन अब पाकिस्तान और उसकी खुफिया एजेंसी ISI दोनों मिलकर उन अड्डों को वापस से बना रहे हैं.
भारतीय सेना द्वारा मई 2025 में चलाए गए "ऑपरेशन सिंदूर" ने जम्मू-कश्मीर और अंतरराष्ट्रीय सीमा पर मौजूद कई आतंकी लॉन्च पैड्स और ट्रेनिंग कैंप्स को तबाह कर दिया था. इस अभियान से पाकिस्तान के आतंकवाद समर्थक ढांचे को गहरी चोट पहुंची थी. लेकिन अब खुफिया एजेंसियों से मिली ताज़ा जानकारी ने चिंता बढ़ा दी है कि पाकिस्तान और उसकी खुफिया एजेंसी ISI फिर से इन्हीं ढांचों को खड़ा करने में जुट गई हैं.
भारतीय खुफिया एजेंसियों ने हाल ही में एक इंटरसेप्ट किया है जिससे स्पष्ट होता है कि बहावलपुर में जैश-ए-मोहम्मद, लश्कर-ए-तैयबा, हिजबुल मुजाहिदीन और TRF जैसे संगठनों के कमांडर और ISI अधिकारी एक गोपनीय बैठक में शामिल हुए थे. इस मीटिंग में ISI ने आतंकियों को न केवल फंडिंग का आश्वासन दिया, बल्कि ह्यूमन रिसोर्स और टेक्निकल सपोर्ट भी उपलब्ध कराने की बात कही. इस मीटिंग के बाद पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) और इंटरनेशनल बॉर्डर से लगे इलाकों में फिर से आतंकी शिविरों के निर्माण का काम शुरू हो गया है.
जानकारी के अनुसार, पाकिस्तान ने पुराने कैंपों जैसे लूनी, चपराल, फॉरवर्ड कहता, और जंगलोरा को फिर से खड़ा कर दिया है. अब इन कैंप्स को अत्याधुनिक तकनीकों जैसे थर्मल इमेजर, एंटी-ड्रोन सिस्टम, लो-फ्रीक्वेंसी रडार और सैटेलाइट से बचने वाली संरचनाओं से लैस किया जा रहा है. ISI ने बड़े कैंपों को छोटे मिनी-कैंप्स में बदलने की रणनीति अपनाई है ताकि एक ही हमले में बड़ा नुकसान न हो सके.
पाकिस्तान की सेना और ISI ने पीओके के 13 प्रमुख लॉन्चिंग पैड्स जैसे केल, शारदी, लीपा वैली, और चकोटी में फिर से गतिविधियां शुरू कर दी हैं. साथ ही, इंटरनेशनल बॉर्डर पर मसरूर, चपराल, लूनी और शकरगढ़ के ड्रोन लॉन्चिंग सेंटर भी रि-डिवेलप किए जा रहे हैं. इन सभी जगहों पर पाकिस्तान रेंजर्स और प्रशिक्षित सुरक्षा गार्ड निगरानी कर रहे हैं.