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Samudrayaan Mission: समुद्र की गहराई में उतरकर कीमती वस्तुओं की तलाश करेगा भारत, जानें पूरा प्लान

Samudrayaan Mission: समुद्रयान भारत का पहला मानवयुक्त महासागर मिशन है. समुद्रयान मिशन के एक हिस्से के रूप में भारत का लक्ष्य तीन व्यक्तियों को समुद्र तल से 6000 मीटर नीचे भेजना है. आइए जानते हैं कि यह मिशन कब तक पूरा होगा.

Samudrayaan Mission: समुद्र की गहराई में उतरकर कीमती वस्तुओं की तलाश करेगा भारत, जानें पूरा प्लान

Samudrayaan Mission

डीएनए हिंदी: चंद्रयान-3 और आदित्य L1 की सफलता के बाद अब भारत समुद्र की गहराई में छिपे रहे रहस्यों की तलाश करेगा. भारत जल्द ही अपने 'समुद्रयान' मिशन का ट्रायल शुरू करने जा रहा है. भारत गहरे समुद्र की गहराई और उसके संसाधनों का पता लगाने के लिए अपना पहला समुद्री मिशन शुरू करने वाला है. 'मत्स्य 6000’ नाम की इस पनडुब्बी की टेस्टिंग बंगाल की खाड़ी में की जाएगी. 


मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, पनडुब्बी एक सबमर्सिबल वाहन में तीन व्यक्तियों को 6000 मीटर की गहराई तक ले जाएगी. पहले ट्रायल में ये समुद्र से 500 मीटर की गहराई में भेजी जाएगी. 2026 तक ये तीन भारतीयों को महासागर में 6000 मीटर की गहराई में ले जाएगी. नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ़ ओसियन टेक्नोलॉजी के वैज्ञानिकों ने इसे दो साल में बनाकर तैयार किया है. जिसकी अभी जांच की जा रही है. वैज्ञानिक इस बात को ध्यान देते हुए जांच कर रहे हैं कि जून 2023 में अटलांटिक ओशन में टाइटन नाम की पनडुब्बी डूब गई थी. जिसमें 5 अरबपतियों की मौत हो गई थी.

समुद्र में इन चीजों की होगी तलाश? 

पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के सचिव एम रविचंद्रन ने द टाइम्स ऑफ इंडिया को बताया कि समुद्रयान मिशन गहरे महासागर मिशन के हिस्से के रूप में चल रहा है. हम 2024 की पहली तिमाही में 500 मीटर की गहराई पर समुद्री परीक्षण करेंगे. इसके साथ उन्होंने बताया कि मत्स्य 6000 निकल, कोबाल्ट, मैंगनीज, हाइड्रोथर्मल सल्फाइड और गैस हाइड्रेट्स की तलाश के अलावा  हाइड्रोथर्मल वेंट और समुद्र में कम तापमान वाले मीथेन रिसने में कीमोसिंथेटिक जैव विविधता की जांच करेगा.

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क्या है समुद्रयान मिशन का मकसद? 

मिशन का उद्देश्य  गहरे समुद्र में अन्वेषण और दुर्लभ खनिज संसाधनों की खोज के लिये तीन व्यक्तियों को ‘मत्स्य 6000’ नामक वाहन में 6000 मीटर की गहराई तक समुद्र में भेजना है. समुद्र की गहराई में पाया जाने वाला लिथियम, तांबा और निकल बैटरी में इस्‍तेमाल होते हैं. वहीं, इलेक्ट्रिक कारों के लिए जरूरी कोबाल्‍ट और स्‍टील इंडस्‍ट्री के लिए जरूरी मैगनीज भी समुद्र की गहराई में उपलब्‍ध है. अंतरराष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी का अनुमान है कि 2030 तक करीब पांच गुना ज्यादा लिथियम और चार गुना ज्यादा कोबाल्ट की जरूरत होगी. ऐसे में यह भारत के लिए बहुत महत्वपूर्ण मिशन है.

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जानिए मत्स्य 6000 की खासियत 

NIOT के निदेशक जी ए रामदास ने कहा कि मत्स्य 6000 के लिए 2.1 मीटर व्यास का गोला डिजाइन और विकसित किया है. जो तीन लोगों को लेकर जाएगा. वहीं, मत्स्य 6000 का वजन 25 टन है और इसकी लंबाई 9 मीटर और चौड़ाई 4 मीटर है. ये 80mm के टाइटेनियम एलॉय से बनी है. ये 6000 मीटर की गहराई पर समुद्र तल के दबाव से 600 गुना ज्यादा यानी 600 बार (दबाव मापने का इकाई) प्रेशर झेल सकती है. भारत सरकार ने 2021 में 'डीप ओशन मिशन' को मंजूरी दी. आपको बता दें कि समुद्रयान मिशन के 2026 तक शुरू होने की उम्मीद है. अब तक केवल अमेरिका, रूस, जापान, फ्रांस और चीन ने ही इंसानों को ले जाने वाली सबमर्सिबल विकसित की हैं.

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