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भारत
Ayodhya Ram Mandir: यूपी के तत्कालीन मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव के शासनकाल में 30 अक्टूबर 1990 को अयोध्या में कारसेवकों पर पुलिस ने गोलियां चलाई थीं.
डीएनए हिंदी: जहां एक तरफ रामलला की प्राण प्रतिष्ठा को लेकर भक्त खुशी में डूबे हुए हैं, वहीं दूसरी तरफ इस मुद्दे पर देश की राजनीति परवान चढ़ रही है. इस कार्यक्रम को पॉलिटिकल इवेंट बताए जाने के बाद अब इस बात पर बहस छिड़ गई है कि 33 साल पहले कारसेवकों पर गोली क्यों चलवाई गई थी? सपा के महासचिव और पूर्व मंत्री शिवपाल सिंह यादव ने इसको लेकर बयान दिया है.
शिवपाल सिंह यादव ने गुरुवार को कहा कि अक्टूबर 1990 में अदालत के आदेश का पालन करने और संविधान की रक्षा करने के लिए तत्कालीन सपा सरकार के राज में अयोध्या में कारसेवकों पर गोली चलाई गई थी. शिवपाल ने 1990 में अयोध्या में कारसेवकों पर गोली चलाए जाने को जायज ठहराते हुए कहा, 'देखिए, संविधान की रक्षा की गई थी. अदालत के आदेश का पालन हुआ था.'
'कोर्ट के आदेश का किया था पालन'
उन्होंने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) पर इस घटना को लेकर झूठ फैलाने का आरोप लगाया. शिवपाल ने कहा, 'बीजेपी के लोग तो केवल झूठ बोलते हैं. बताइए अदालत के आदेश का पालन हुआ था या नहीं? संविधान की रक्षा हुई थी. वहां पर जब अदालत का स्थगन आदेश था, यथा स्थिति बनाए रखनी थी तो वहां पर जो विवादित ढांचा था, जो बाबरी मस्जिद थी, उसे जब इन लोगों ने तोड़ा था तो वहां के प्रशासन की जिम्मेदारी थी कि वह अदालत के आदेश के अनुरूप यथास्थिति बनाए रखे.'
सपा नेता ने भाजपा पर कटाक्ष करते हुए कहा, 'उस वक्त संविधान का उल्लंघन किसने किया था? किसने अदालत के आदेश का उल्लंघन किया था? उनके खिलाफ तो कार्रवाई होनी चाहिए थी.'
1990 में कारसेवकों पर चलाई गई थी गोली
गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव के शासनकाल में 30 अक्टूबर 1990 को अयोध्या में कर्फ्यू के दौरान जबरन बाबरी मस्जिद को गिराने जा रहे कारसेवकों पर हनुमानगढ़ी में पुलिस प्रशासन ने गोलियां चलाई थीं, जिसमें कम से कम पांच लोगों की मौत हुई थी. इस घटना को लेकर बीजेपी मुलायम सिंह पर कारसेवकों को गोली मारने का आरोप लगाती रही है.
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