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Samvidhan Divas 2024: भारतीय संविधान अब संस्कृत और मैथिली में उपलब्ध, राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने किया लॉन्च

भारतीय संविधान के 75 वर्ष पूरे होने पर देश को दो नई भाषाओं में अब संविधान पढ़ सकते हैं. राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने इन दोनों भाषाओं के महत्व को देखते हुए इसका विमोचन किया है.

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Samvidhan Divas 2024: भारतीय संविधान अब संस्कृत और मैथिली में उपलब्ध, राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने किया लॉन्च

Samvidhan Divas 2024: भारत के संविधान के 75 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में एक बड़ा निर्णय लिया गया है. भारत के संविधान को अब मैथिली और संस्कृत भाषा में भी पढ़ा जा सकेगा. संविधान सदन में हुए एक कार्यक्रम में  मंगलवार को इन दो प्राचीन भारतीय भाषाओं में संविधान की प्रतियों का विमोचन किया गया. इस ऐतिहासिक कार्यक्रम में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी और लोकसभा, राज्यसभा के स्पीकर समेत कई नेता उपस्थित थे. 

संविधान दिवस पर विशेष सम्मान और पहल
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा, 'हमारे संविधान ने देश की विविधता को सम्मानित किया जो हमारे संविधान निर्माताओं की दूरदृष्टि का परिणाम है.' उन्होंने आगे कहा कि 75 वर्षों में भारत ने एक विश्व बंधु के रूप में अपनी पहचान बनाई है. राष्ट्रपति ने महिला सशक्तीकरण के मुद्दे पर भी बात की और महिला सांसदों के योगदान को सराहा. उनका कहना था कि अब हमारा समाज और सरकार जनकल्याण के लिए निरंतर कार्य कर रही है.

दो नए भाषाओं में संविधान का विमोचन
इस मौके पर भारत की प्राचीन भाषाओं, मैथिली और संस्कृत में संविधान की अनुदित प्रतियों का विमोचन किया गया. दरअसल, 2004 में अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार ने मैथिली को संविधान की आठवीं सूची में शामिल किया था. जिसे अब आधिकारिक भाषा के रूप में स्वीकार कर ली गई है. इस आयोजन के दौरान एक विशेष डाक टिकट और सिक्का भी जारी किए गए, जिनका उद्देश्य संविधान के प्रति सम्मान और देश के लोकतांत्रिक मूल्यों की महत्ता को बढ़ाना है. 


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सभी दलों ने दिखाया एकता का संदेश
संविधान दिवस के अवसर पर एकता का संदेश देते हुए विपक्ष और सत्ताधारी दलों के नेता एक साथ मंच पर थे. पीएम मोदी, राहुल गांधी, मल्लिकार्जुन खरगे समेत दोनों सदनों के अध्यक्ष और उपाध्यक्ष भी इस ऐतिहासिक पल के गवाह बने. इस दिन संसद का संयुक्त सत्र आयोजित किया गया और सभी सदस्यों से संविधान की प्रस्तावना का पाठ भी कराया गया.
 

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