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90 घंटे काम की बहस में घिरे L&T के चेयरमैन SN Subrahmanyan, जानें लांग वर्किंग आवर्स कितना खतरनाक? 

लार्सन एंड टुब्रो कंपनी के चेयरमैन SN Subrahmanyan का बयान चर्चा में है. उन्होंने सप्ताह में 90 घंटे और वीकेंड पर भी कर्मचारियों को ऑफिस आने और काम करने का सुझाव दिया, ऐसे में आइए जानते हैं लांग वर्किंग आवर्स कितना खतरनाक हो सकता है?

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90 घंटे काम की बहस में घिरे L&T के चेयरमैन SN Subrahmanyan, जानें लांग वर्किंग आवर्स कितना खतरनाक? 

Working Long Hours Affect Your Health

लार्सन एंड टुब्रो कंपनी के चेयरमैन SN Subrahmanyan का बयान चर्चा में बना हुआ है. SN सुब्रह्मण्यन ने अपने एक बयान में कहा कि 'मुझे अफसोस है कि मैं आपसे (अपने कर्मचारियों से) रविवार को काम नहीं करवा पा रहा हूं. मुझे बहुत खुशी होगी अगर मैं आपसे संडे को भी काम करवा पाऊं. क्योंकि मैं भी रविवार को भी काम करता हूं... 

उन्होंने आगे कहा कि वीकेंड का समय घर पर नहीं बिताना चाहिए. 'आप घर पर बैठकर क्या करते हैं? अपनी पत्नी को आप कितनी देर तक घूर सकते हैं या आपकी पत्नी आपको कितनी देर तक घूर सकती है? यह कहते हुए उन्होंने वीकेंड पर भी कर्मचारियों को ऑफिस आने और काम करने का सुझाव दिया...

कितना खतरनाक है लांग वर्किंग आवर्स? 
हाल ही में 26 साल की युवा चार्टर्ड अकाउंटेंट अन्ना सेबेस्टियन पेरायिल की मौत से देशभर में लांग वर्किंग आवर्स को लेकर बहस छिड़ गई थी. अन्ना सेबेस्टियन की मृत्यु ने यह जाहिर कर दिया कि लंबे वर्किंग आवर्स कितने जानलेवा साबित हो सकते हैं. आंकड़ों की मानें तो दो लाख से ज्यादा भारतीयों की मौत जरूरत से ज्यादा काम करने के कारण बीमारियां पाल लेने से होती है. एक रिपोर्ट के मुताबिक भारत में आफिसों में काम करने वालों के बीच बर्नआउट के लक्षण सबसे ज्यादा देखे जाते हैं. 

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2021 में WHO और अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन ILO ने लंबे समय तक काम करने के असर पर एक अध्ययन प्रकाशित किया,  जिसमें यह कहा गया कि सप्ताह में 55 घंटे या उससे अधिक काम करना 35-40 घंटे काम करने की तुलना में बहुत ज्यादा घातक साबित होता है. इसके कारण समय से पहले मृत्यु का जोखिम बहुत ज्यादा बढ़ जाता है.

सेहत पर क्या पड़ता है असर?
लंबे समय तक काम करने से मानसिक स्वास्थ्य संबंधी विकार, जैसे अवसाद और चिंता जैसी समस्याएं बढ़ती है. इसके अलावा काम के घंटों में वृद्धि से व्यावसायिक तनाव का स्तर उच्च होता है, जिससे बर्नआउट और अवसादग्रस्तता के लक्षण दिखते हैं. ऐसी स्थिति में नौकरी में बर्नआउट हो सकता है, जिससे मानसिक स्वास्थ्य में गिरावट आ सकता है.

बढ़ सकता है इन बीमारियों का खतरा
एक्सपर्ट्स के मुताबिक लंबे समय तक काम तनाव के स्तर और पूरे मानसिक स्वास्थ्य पर असर डालता है, इससे अवसाद, चिंता का बढ़ना, तनाव और बर्नआउट जैसी समस्याएं हो सकती हैं. वहीं लांग वर्किंग आवर्स आपको हृदय रोग और मधुमेह यानि डायबिटीज जैसी बीमारियां भी दे सकता है. 

(Disclaimer: हमारा लेख केवल जानकारी प्रदान करने के लिए है. अधिक जानकारी के लिए डॉक्टर्स से संपर्क करें.)   

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