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डीएनए एक्सप्लेनर
Behmai Massacre Verdict Updates: डकैत फूलन देवी ने मध्य प्रदेश के बेहमई में 20 लोगों को लाइन में खड़ा करके गोली मारी थी. इस केस में बस एक ही आरोपी अब जिंदा है.
Phoolan Devi Latest News: एकसमय चंबल की रानी कहलाने वाली महिला डकैत और पूर्व सांसद फूलन देवी से जुड़े सबसे चर्चित केस में 43 साल बाद फैसला आया है. कानपुर देहात की एंटी डकैती कोर्ट ने 1981 में हुए चंबल घाटी के चर्चित बेहमई कांड (Behmai Massacre) में इकलौते जिंदा आरोपी को उम्रकैद की सजा सुनाई है, जबकि एक अन्य आरोपी को बरी कर दिया गया है. इस मामले में 36 आरोपी थे, जिनमें मुख्य आरोपी फूलन देवी समेत बाकी लोगों की मौत हो चुकी है. एकसाथ 20 लोगों की हत्या के बेहमई नरसंहार की गूंज विदेशों तक हुई थी, जिसके बाद उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश की सरकारों को चंबल के डकैतों के खिलाफ विशेष अभियान शुरू करने पर मजबूर होना पड़ा था. इसी घटना से फूलन देवी इतना चर्चित हुई थी कि उस पर बैंडिट क्वीन फिल्म बनाई गई थी.
वैलेंटाइन-डे के दिन किया था फूलन ने नरसंहार
फूलन देवी और उसके गिरोह ने 43 साल पहले वैलेंटाइन-डे (Valentine Day) यानी 14 फरवरी, 1981 के दिन बेहमई गांव में नरसंहार किया था. फूलन देवी और उसके 35 साथी डकैतों ने दोपहर के 2 बजे बेहमई गांव को चारों तरफ से घेरकर लूटपाट की थी. इस दौरान गांव के 26 पुरुषों को एक टीले के पास लाइन में खड़ा किया गया था. फूलन ने इन 26 लोगों पर 4 से 5 मिनट तक लगातार गोलियां बरसाई थीं.
20 लोगों की हुई थी मौत, 6 लोग हुए थे घायल
बेहमई नरसंहार के बाद करीब 3 घंटे बाद मौके पर पहुंचे पुलिस अधिकारियों को 20 लोगों की लाश मिली थी, जबकि 6 लोग गंभीर घायल थे. पुलिस अधिकारी बताते हैं कि गांव में केवल औरतों-बच्चों के रोने की आवाज और आसमान में मंडराते गिद्धों और कौओं के झुंड का ही शोर था. घायलों को अस्पताल में भर्ती कराया गया था. गांव के ठाकुर राजाराम ने फूलन समेत 14 लोगों का नामजद करते हुए 36 डकैतों के खिलाफ FIR दर्ज कराई थी.
विदेशी मीडिया तक में हुई थी चर्चा
बेहमई कांड इतना बड़ा नरसंहार था कि उसकी चर्चा देश के ही नहीं बल्कि विदेशी अखबारों तक में हुई थी. कई दिन तक मीडिया कानपुर देहात इलाके में ही जुटा रहा था. इस मामले में कानूनी दांव पेंच में उलझी प्रक्रिया के कारण 43 साल से सुनवाई चल रही थी. साल 2001 में फूलन देवी की भी हत्या कर दी गई थी. इसके बाद लगभग सभी आरोपियों की मौत हो चुकी है, जबकि मुकदमे के 28 गवाह भी मर चुके हैं.
80 साल का है उम्रकैद पाने वाला इकलौता आरोपी
इस मामले में अब 43 साल बाद आए फैसले में एक आरोपी श्याम बाबू को 80 साल की आयु में उम्रकैद की सजा सुनाई गई है., जबकि एक अन्य आरोपी विश्वनाथ को बरी कर दिया गया है.
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