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जिस कांग्रेस को गिराकर आगे बढ़ी AAP, अब उसी के द्वार पर मदद के लिए खड़े हैं केजरीवाल

अरविंद केजरीवाल अपने आंदोलन के शुरुआती दिनों में कांग्रेस के धुर विरोधी हैं. उसी कांग्रेस के साथ मिलकर वह कुछ दिनों के लिए सरकार चला चुके हैं. उसी कांग्रेस से 2019 में वह लोकसभा चुनावों के दौरान गठबंधन करना चाहते थे. एक बार फिर उन्हें कांग्रेस से मदद की आस है.

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जिस कांग्रेस को गिराकर आगे बढ़ी AAP, अब उसी के द्वार पर मदद के लिए खड़े हैं केजरीवाल

डीएनए हिंदी: साल, 2011. देश में कांग्रेस के नेतृत्व वाली UPA सरकार सत्ता में थी. सरकार पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लग रहे थे. कई घोटाले भी सामने आए. अन्ना हजारे, ऐसे उठकर सामने आए जैसे जननायक जय प्रकाश नारायण वापस आ गए हों. देश के लोगों में वही जुनून और जोश था, जैसे आजादी के वक्त क्रांतिकारियों में था. जन लोकपाल के लिए अन्ना हजारे अनशन पर बैठे, उन्हें कुछ हासिल हुआ हो, या न हुआ हुआ हो, एक नए राजनीतिक चेहरे का उदय हुआ था. 

यह चेहरा कोई और नहीं अरविंद केजरीवाल का था. उन्होंने दिल्ली में आम आदमी पार्टी की नींव रखी. देश के जितने क्रांतिकारी चेहरे थे, सभी पहली कतार में इस पार्टी के संस्थापक सदस्य बने. कुमार विश्वास, योगेंद्र यादव, प्रशांत भूषण, आशुतोष जैसे कई नेता पहली पंक्ति में शामिल थे. यह पार्टी पहली बार 2013 सत्ता में जब आई, तब भी कांग्रेस ने 'मदद' की.

यही कांग्रेस इसके बिखराव की वजह भी बनी. एक बार फिर अरविंद केजरीवाल, उसी कांग्रेस से मदद की आस लगाए बैठे हैं. कांग्रेस, यह जानती है कि AAP की नींव ही, उसके विरोध पर खड़ी है. ऐसे में मदद से पार्टी कतरा भी रही है.

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क्यों कांग्रेस से मदद मांग रहे हैं अरविंद केजरीवाल?

दिल्ली में अधिकारियों की ट्रांसफर-पोस्टिंग पर सुप्रीम कोर्ट ने एक अहम फैसला दिया. कोर्ट ने यह अधिकार मुख्यमंत्री को दे दिया. सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद AAP ने सोचा कि अब अधिकारियों पर एक्शन लिया जाएगा, लेकिन यह इच्छा अधूरी रही. केंद्र सरकार, आदेश को पलटते हुए नया अध्यादेश लाई. AAP के दिग्गज नेता, विपक्ष के बड़े नेताओं से समर्थन मांग रहे हैं.

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अरविंद केजरीवाल को उम्मीद है कि राज्यसभा में इस बिल के खिलाफ विपक्षी दलों को लामबंद करने की सबसे जरूरी कड़ी कांग्रेस है. अरविंद केजरीवाल, कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और राहुल गांधी से मुलाकात भी करना चाहते हैं. कांग्रेस की ओर से हरी झंडी अभी दिखाई नहीं जा रही है.

क्यों AAP की मदद से डर रही है कांग्रेस?

AAP का जिन-जिन राज्यों में विस्तार हो रहा है, वहां कांग्रेस की जड़ें कट रही हैं. दिल्ली, पंजाब से लेकर गुजरात और गोवा तक, AAP ने कांग्रेस की जमीन कमजोर की है. ऐसे में अब कांग्रेस, आम आदमी पार्टी को और मजबूत नहीं करना चाहती है.

2013 से लेकर 2023 तक, बीते एक दशक से आम आदमी पार्टी, कांग्रेस के लिए मुसीबत बनी हुई है. साल 2019 में कांग्रेस से AAP गठबंधन भी करना चाहती थी लेकिन मदद ही नहीं मिली. कांग्रेस ने इनकार कर दिया था. कांग्रेस के विरोध पर खड़ी हुई पार्टी को, एक बार फिर कांग्रेस से मदद की दरकार है.

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