Twitter
Advertisement

IND vs ENG 5TH Test Day 4 Highlights: बारिश के कारण दिन का खेल खत्म, मुश्किल में इंग्लैंड; जीत के लिए चाहिए 35 रन

Rashifal 04 August 2025: कर्क और धनु वाले सेहत का रखें खास ध्यान, जानें आज मेष से मीन तक की राशियों का भाग्यफल

UP News: ड्रोन से डर फैलाने वालों पर योगी सरकार का वार, NSA और गैंगस्टर एक्ट में होगी कार्रवाई

Joe Root Century: ब्रूक के बाद जो रूट का शतक, दांव पर लगा सचिन तेंदुलकर का रिकॉर्ड; संगकारा को भी पछाड़ा

जब टीचर ने पूछा, फोन क्यों नहीं देखना चाहिए? बच्चों ने दिए ऐसे जवाब, सुनकर हैरान रह जाएंगे आप! Video Viral

IND vs ENG: कैच पकड़ने के बाद कैसे मिला हैरी ब्रूक को छक्का? सिराज की एक गलती से हारेगी टीम इंडिया, मांगनी पड़ी माफी

दुनिया के इन 5 देशों के पास है सबसे ज्यादा UNESCO वर्ल्ड हेरिटेज साइट्स! जानें कहां है भारत

कौन हैं Karishma Kotak? जिन्हें WCL के मालिक ने लाइव टीवी पर किया प्रपोज, बला की खूबसूरत हैं एंकर

एक्ट्रेस संगीता बिजलानी ने TIGP 2025 ब्यूटी क्वीन्स को पहनाया ताज, जानें टीन से लेकर मिस और मिसेज इंडिया का ताज किसके सिर सजा? 

दो EPIC नंबर वाले वोटर आईडी को लेकर बुरे फंसे तेजस्वी यादव, चुनाव आयोग ने भेज दिया नोटिस

Independence Day 2023: लाल किले से ही क्यों फहराया जाता है राष्ट्रीय ध्वज, इतिहास और विरासत की है कहानी

Red Fort For Independence Day Celebration Reason: भारत जब स्वतंत्र हुआ तो देश की राजधानी दिल्ली में लाल किला को ही तिरंगा फहराने के लिए चुना गया. प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने यहां से राष्ट्र के नाम संबोधन भी किया था और फिर यह परंपरा बन गई.

Independence Day 2023: लाल किले से ही क्यों फहराया जाता है राष्ट्रीय ध्वज, इतिहास और विरासत की है कहानी

Red Fort

डीएनए हिंदी: दिल्ली शहर में ही ऐतिहासिक महत्व की कई इमारतें हैं लेकिन लाल किला को ही आजादी के उत्सव के लिए चुना गया. प्रधानमंत्री नेहरू ने लाल किले से तिरंगा फहराकर देश को संबोधित किया था जिसके बाद यह परंपरा बन गई. इस मुगलकालीन ऐतिहासिक इमारत को चुने जाने के पीछे भारत की रणनीतिक सूझबूझ के साथ ही संघर्ष और विरासत पर फिर से दावा पेश करने की कहानी भी है. लाल किला अपने निर्माण काल के बाद से भारत के इतिहास के हर अहम पड़ाव में शामिल रहा है. चाहे वह मुगल शासन का पराभव और अंग्रेजी हुकूमत की औपचारिक स्थापना हो या फिर अंग्रेजी शासन के खिलाफ भारतीयों का विद्रोह रहा हो. आज हर भारतीय के लिए यह एक दर्शनीय इमारत भर नहीं है बल्कि गौरव और अपनी क्षमता पर विश्वास की मिसाल भी है.

ऐतिहासिक महत्व की इमारत है लाल किला
लाल किला भारत की ऐतिहासिक इमारतों में शुमार है. यह ऐसी इमारत है जो मुगल काल से लेकर अंग्रेजी हुकूमत और फिर आजाद भारत के लिए अहम रहा है.  1638 में मुगल सम्राट शाहजहां ने इस किले का निर्माण किया था. उस वक्त उन्होंने राजधानी को आगरा से दिल्ली लाने का फैसला किया था. शाहजहां और फिर उसके उत्तराधिकारी औरंगजेब के शासनकाल के दौरान यह सत्ता का केंद्र बना रहा. मुगल शासन के अवसान के दौर में यह किला खून-खराबे, लूटपाट का गवाह भी बना और आखिरी मुगल शासक बहादुर शाह जफर द्वितीय को 1858 में रंगून निर्वासन से पहले अंग्रेजों ने कैद कर लिया था और लाल किले में ही उन पर मुकदमा चलाया था. 

यह भी पढ़ें: राष्ट्रपति द्रौपदी मूर्मू ने स्वतंत्रता दिवस से पहले देश के नाम जारी किया संदेश, किसान से चंद्रयान तक की चर्चा

दूसरे विश्व युद्ध के दौरान भी लाल किला बना गवाह 
लाल किले का महत्व अंग्रेजी हुकूमत के दौर में भी कम नहीं हुआ. द्वितीय विश्व युद्ध के बाद, लाल किला को भारतीय राष्ट्रीय सेना (आईएनए) के जवानों जिसमें वरिष्ठ आईएनए अधिकारियों मेजर जनरल शाह नवाज खान, कर्नल गुरुबख्श सिंह ढिल्लों और कर्नल प्रेम सहगल के कोर्ट मार्शल के लिए चुना गया था. हालांकि भारतीय जनता ने इसके खिलाफ पुरजोर अंदाज में विरोध किया और आखिरकार ब्रिटिश ब्रॉडकास्टिंग कॉरपोरेशन को इन कहानियों को प्रसारित करने से रोकना पड़ा. अपुष्ट तौर पर यह भी कहा जाता है कि लाल किले में अंग्रेजों ने कई भारतीय सैनिकों को फांसी भी दी थी.  

लाल किले ने भारत के गौरवशाली अतीत के साथ अंग्रेजों के राज में अपमान भी झेला 
लाल किले को सिर्फ एक मजबूत ऐतिहासिक इमारत के तौर पर नहीं देखा जा सकता है.  यह वह इमारत है जिसने मुगल शासन का गौरवशाली दौर देखा और फिर भारतीयों के लिए इसी इमारत से अपमान और पराजय की स्मृति भी जुड़ी है. लाल किले से ही बहादुर शाह जफर को निर्वासन के लिए भेजा गया था और यहीं उन पर मुकदमा भी चला. एक तरह से यह भारतीय समाज के लिए इतिहास, अपमान और अपनी विरासत को पाने की जंग का स्मृति केंद्र है. इन तथ्यों को ध्यान में रखकर ही लाल किला को चुना गया था.

यह भी पढ़ें: कौन थीं अरुणा आसफ अली, जिन्होंने भारत छोड़ो आंदोलन में निभाई थी अहम भूमिका

स्वतंत्र भारत के लिए अपनी विरासत पर दावेदारी पेश करने का संकेत 
एक वजह तो यह है कि मुगल शासन ने जब दिल्ली को अपनी राजधानी बनाई तो राजकाज का केंद्र लाल किला था.  यह भी तर्क दिया जाता है कि लाल किले से ही देश का गौरव खोाया था और भारत आधिकारिक तौर पर ब्रितानी साम्राज्य का गुलाम बना था.यहीं से अंतिम मुगल सम्राट को निर्वासन की अपमानजनक पीड़ा झेलनी पड़ी थी. इसलिए आजाद भारत में फिर से उसी इमारत को गौरत और स्वर्णिम भविष्य की बुनियाद के लिए चुना गया. लाल किले पर 15 अगस्त 1947 को पंडित नेहरू ने झंडा नहीं फहराया था बल्कि अगले दिन 16 अगस्त को फहराया था. उसके बाद हर साल लाल किले से ही 15 अगस्त और 26 जनवरी को शान से देश का झंडा फहराया जाता है. यह इमारत भारतीयों के लिए आत्मविश्वास, सम्मान और बेदखल किए गए विरासत को फिर अपने पुरुषार्थ से हासिल करने का प्रतीक है. 

देश-दुनिया की ताज़ा खबरों Latest News पर अलग नज़रिया, अब हिंदी में Hindi News पढ़ने के लिए फ़ॉलो करें डीएनए हिंदी को गूगलफ़ेसबुकट्विटर और इंस्टाग्राम पर.

Read More
Advertisement
Advertisement
पसंदीदा वीडियो
Advertisement