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Infosys Lay Off: सप्ताह में 90 घंटे काम के समर्थक Narayana Murthy की इंफोसिस में छंटनी, 400 ट्रेनी एक झटके में फायर, बाउंसर्स बुलाकर निकाला बाहर

Infosys Lay off: मशहूर आईटी कंपनी इंफोसिस ने जिन कर्मचारियों को एक झटके में बाहर का रास्ता दिखाया है, उन्हें ढाई साल पहले भर्ती किया गया था. कंपनी का कहना है कि ये सभी कर्मचारी उसके इवेल्यूएशन टेस्ट में फेल हो गए हैं.

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Infosys Lay Off: सप्ताह में 90 घंटे काम के समर्थक Narayana Murthy की इंफोसिस में छंटनी, 400 ट्रेनी एक झटके में फायर, बाउंसर्स बुलाकर निकाला बाहर

Infosys Lay Off: सॉफ्टवेयर जगत की मशहूर कंपनी इंफोसिस ने एक झटके में अपने 400 कर्मचारियों की छंटनी कर दी है. ये सभी कर्मचारी ट्रेनी थे, जिन्हें कंपनी ने कर्नाटक के मैसूर स्थित अपनी ब्रांच में एक प्रोजेक्ट के लिए करीब ढाई साल पहले भर्त किया था. कंपनी का दावा है कि ये सभी कर्मचारी उसके इवेल्यूएशन टेस्ट में एक बार नहीं बल्कि 3-3 बार फेल हो गए हैं. इस कारण इन्हें बाहर किया गया है. उधर, कर्मचारियों का आरोप है कि कंपनी ने उन्हें बाहर का रास्ता दिखाते हुए गुंडागर्दी दिखाई है. उन्हें कंपनी के कैंपस से बाहर करने और दोबारा एंट्री करने से रोकने के लिए बाकायदा बाउंसर्स बुलाकर तैनात कर दिए गए हैं. बता दें कि इंफोसिस (Infosys) वही कंपनी है, जिसके फाउंडर एन. नारायण मूर्ति (N. Narayana Murthy) ने सबसे पहले सप्ताह में कम से कम 90 घंटे काम कराने की बात कही थी. यह मुद्दा बेहद चर्चा में रहा था, जिसे अब दोबारा L&T के चेयरमैन सुब्रमण्यमन ने उठाया था और विवादों में फंस गए थे.

ढाई साल से नौकरी शुरू होने का कर रहे थे इंतजार
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, इंफोसिस ने जिन ट्रेनी इंजीनियरों को बाहर निकाला है, वे पिछले ढाई साल से अपनी नौकरी शुरू होने का इंतजार कर रहे थे. इनमें सिस्टम इंजीनियर्स (SE) और डिजिटल स्पेशलिस्ट इंजीनियर्स (DSE) शामिल हैं. मनी कंट्रोल की न्यूज रिपोर्ट में कहा गया है कि कंपनी ने 3 सितंबर, 2022 को 1,000 फ्रेशर्स को जॉइनिंग डेट के साथ ऑफर लेटर भेजकर हायर किया था, लेकिन तब मंदी का हवाला देते हुए प्रोजेक्ट को रोक दिया गया था. अब इन सभी को कंपनी में वापस आने का मौका मिला था, लेकिन कंपनी ने इवेल्यूएशन टेस्ट के नाम पर 400 को फेल घोषित कर बाहर का रास्ता दिखा दिया है.  

कंपनी बोली- तीन बार फेल होने पर भी नहीं रख सकते
रिपोर्ट में कहा गया है कि इस मामले के तूल पकड़ने पर इंफोसिस ने भी अपना पक्ष जारी किया है. कंपनी ने कहा है कि हमारे यहां मैसूर कैंपस में ट्रेनिंग के बाद सभी कर्मचारियों का इवेल्यूएशन टेस्ट होता है. यह हमारे भर्ती से जुड़ी सख्त प्रक्रिया का हिस्सा है. इसमें पास होने के लिए तीन मौके मिलते हैं. तीन बार भी फेल होने वाले को नौकरी पर जारी नहीं रखा जा सकता है. कंपनी का कहना है कि यह कर्मचारी के कॉन्ट्रेक्ट में भी लिखा होता है और पिछले 20 साल से हम इसी प्रक्रिया से भर्ती कर रहे हैं. यह ट्रेनिंग 50-50 के बैच में कर्मचारियों को दी जाती है. 

पीड़ित युवक बोले- हटाने के लिए ही बनाई गई थी परीक्षा
इंफोसिस से निकाले गए कुछ ट्रेनी इंजीनियरों के हवाले से मनीकंट्रोल की रिपोर्ट में कहा गया है कि यह टेस्ट हमें हटाने के लिए ही बनाया गया था. इसे इतना मुश्किल रखा गया था कि हम पास नहीं हो सकते थे. हमें अब भविष्य अंधकारमय दिख रहा है. कई ट्रेनी हटाए जाने की खबर सुनकर बेहोश तक हो गए. उन्होंने आरोप लगाया कि इन ट्रेनी कर्मचारियों को अपने मोबाइल फोन भी साथ ले जाने से रोक दिया गया है. उन्हें मोबाइल फोन जमा कराकर शाम 6 बजे तक कैंपस खाली करने का आदेश जारी किया गया है. इसके लिए बाउंसर और सुरक्षा गार्ड तैनात कर दिए गए हैं. रिपोर्ट में कहा गया है कि Nascent Information Technology Employees Senate (NITES) ने श्रम व रोजगार मंत्रालय के पास आधिकारिक शिकायत दर्ज करने की बात कही है. उसने इसे स्पष्ट कॉरपोरेट शोषण बनाते हुए सरकार से तत्काल  हस्तक्षेप करने की मांग की है.

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