Twitter
Advertisement

IND vs ENG 5th Test: जीत के बेहद करीब था इंग्लैंड, फिर कहां पर पलटा पूरा मैच; सिराज या कृष्णा कौन है असली हीरो?

शरीर को बीमारियों का घर बना रही डेस्क जॉब! IT वर्कर्स में इसका जोखिम अधिक, जानें सरकार की गाइडलाइंस

RRB NTPC Admit Card 2025: आरआरबी एनटीपीसी का एडमिट कार्ड rrbapply.gov.in पर जारी, इस डायरेक्ट लिंक से करें डाउनलोड

IND vs ENG 5th Test Highlights: रोमांचक टेस्ट में भारत ने इंग्लैंड के मुंह से छीनी जीत, सिराज का पंजा; ड्रॉ पर खत्म हुई सीरीज

JEE में दूसरी रैंक लाकर IIT Bombay से पढ़ाई, ठुकराया टेस्ला का ऑफर, जानें आजकल क्या कर रहे हैं जनक अग्रवाल

Anti Aging Face Pack: चमकती और टाइट स्किन चाहिए? घर पर ऐसे बनाएं एंटी एजिंग फेस पैक

'सिराज असली योद्धा हैं...' Mohammed Siraj के फैन निकले Joe Root, मियां भाई की तारीफ में पढ़ें कसीदे

Congress MP Chain Snatching: दिल्ली में बेखौफ़ हुए अपराधी, हाई सिक्योरिटी इलाके में कांग्रेस सांसद R. Sudha के साथ चेन स्नैचिंग हो गई

वो IITian जिसने उड़ाई ChatGPT की नींद, AI में दिलचस्पी ने पहुंचाया विदेश, जानें अरविंद श्रीनिवास की कहानी

Numerology: 'बादशाह' जैसी जिंदगी जीते हैं इन 3 तारीखों में जन्मे लोग! अपने स्वाभिमान से कभी नहीं करते समझौता

पांडेय बेचैन शर्मा उग्र - हिंदी के वे पहले लेखक जिनकी Bold Writing से साहित्यकार ही नाराज़ हो गए थे

Pandeya Bechan Sharma Ugra : प्रेमचन्द बाद में बेस्टसेलर हुए पर उग्र तो अपने जीवन मे ही बेस्टसेलर हो गए थे. 8 साल फ़िल्म नगरी में रहे  

पांडेय बेचैन शर्मा उग्र - हिंदी के वे पहले लेखक जिनकी Bold Writing  से साहित्यकार ही नाराज़ हो गए थे

विमल कुमार 
हिंदी के बदनाम पर  अप्रतिम कथाकार  पांडेय बेचन शर्मा उग्र के खिलाफ बनारसी दास चतुर्वेदी ने जो घासलेटी साहित्य विरोधी आंदोलन चलाया था उसके समर्थन में महावीर प्रसाद द्विवेदी जगनाथ प्रसाद चतुर्वेदी ईश्वरी प्रसाद शर्मा और हजारी  प्रसाद द्विवेदी भी थे, उग्र के समर्थकों में प्रेमचन्द  नवजदिक लाल श्रीवास्तव  शिवपूजन सहाय और बालकृष्ण भट्ट के पुत्र भी शामिल थे. बाद में प्रेमचन्द जरूर उग्र से नाराज़ हो गए थे और इस बारे में शिवपूजन सहाय को पत्र लिखकर उग्र के आचरण की आलोचना की थी.

Panchayat Series : गांव के मुद्दे हैं, कॉमेडी है लेकिन सिनेमा की मैच्योरिटी भी है

उग्र वास्तव में स्वभाव से उग्र थे 

 प्रेमचन्द 8 माह फ़िल्म नगरी में रहे पर मुम्बई में उग्र से नहीं मिले जबकि उन्होंने उग्र की  एक किताब की भूमिका भी लिखी. दरअसल उग्र किसी को भी मां बहन की गालियां देने लगते थे. निराला ने भी उग्र के इस व्यवहार की आलोचना की थी लेकिन उग्र अपने समय के सबसे बड़े बेस्टसेलर लेखक थे. प्रेमचन्द बाद में बेस्टसेलर हुए पर उग्र तो अपने जीवन मे ही बेस्टसेलर हो गए थे. 8 साल फ़िल्म नगरी में रहे  और रंगीन रातें गुजरते रहे. अगर उग्र में चारित्रिक दोष नहीं होता तो उनका सम्यक मूल्यांकन होता पर उग्र को बदनाम लेखक के रूप में याद किया गया. उनके  वेश्यागमन के कारण आलोचकों ने उनका तिरस्कार किया और उनके उपन्यासों और कहानियों तथा नाटकों के बारे में चर्चा नहीं हुई,जबकि उग्र आज़ादी की लड़ाई में दो बार जेल भी गए. उनकी किताब चिंगारियां जब्त हुई. कई देशभक्ति की कहानियां लिखीं. 

(चॉकलेट जैसी बोल्ड कथानक के रचयिता उग्र के जीवन के इस पक्ष पर प्रकाश डालता लेखक पत्रकार विमल कुमार की फेसबुक पोस्ट )

(यहां प्रकाशित विचार लेखक के नितांत निजी विचार हैं. यह आवश्यक नहीं कि डीएनए हिन्दी इससे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे और आपत्ति के लिए केवल लेखक ज़िम्मेदार है.)

Read More
Advertisement
Advertisement
पसंदीदा वीडियो
Advertisement