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UNSC में बंद दरवाजों के पीछे भारत-पाक तनाव पर क्या बात हुई? पाकिस्तानी दूत ने कहा, मकसद पूरा,5 पॉइंट्स में समझें मीटिंग का सार

भारत-पाक तनाव के बीच यूएनएससी की क्लोज-डोर मीटिंग में पाकिस्तान ने कश्मीर और भारत के कदमों पर चिंता जताई. पाक ने दावा किया कि मकसद पूरा हुआ, पर यूएन ने कोई सार्वजनिक बयान नहीं दिया.

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UNSC में बंद दरवाजों के पीछे भारत-पाक तनाव पर क्या बात हुई? पाकिस्तानी दूत ने कहा, मकसद पूरा,5 पॉइंट्स में समझें मीटिंग का सार

भारत और पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव को देखते हुए संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) की एक अहम क्लोज-डोर मीटिंग आयोजित की गई. यह मीटिंग उस समय हुई जब जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में आतंकी हमले के बाद भारत ने कई सख्त रणनीतिक कदमों का ऐलान किया है. पाकिस्तान ने इन कदमों को भड़काऊ बताया और यूएन से हस्तक्षेप की मांग की. इस मीटिंग के जरिए पाकिस्तान ने कोशिश की थी कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत पर संयम बरतने का दबाव बनाया जाए और क्षेत्रीय शांति को प्राथमिकता दी जाए. आइए UNSC में हुई इस बंद दरवाजे के पीछे हुई बैठक से जुड़ी 5 महत्वपूर्ण बातें. 

1. पाकिस्तान ने यूएन से की अपील

पाकिस्तान ने UNSC से तत्काल मीटिंग बुलाने की अपील की, ताकि दक्षिण एशिया में तनाव को कम किया जा सके. उनका दावा था कि भारत का हालिया रणनीतिक घोषणाएं क्षेत्र की स्थिरता के लिए खतरा हैं. पाकिस्तान चाहता था कि काउंसिल भारत को सैन्य कार्रवाई से रोके और शांति की दिशा में कदम उठाए. इस मीटिंग का आयोजन यूएन के मुख्य चैम्बर में नहीं, बल्कि कंसल्टेशन रूम में हुआ, जो दर्शाता है कि यह एक अनौपचारिक लेकिन गंभीर चर्चा थी. 

2. कश्मीर मुद्दा फिर से उठा

पाकिस्तानी यूएन दूत असीम इफ्तिखार ने इस मीटिंग के दौरान जम्मू-कश्मीर मुद्दे को संयुक्त राष्ट्र के पुराने प्रस्तावों के आधार पर हल करने की मांग दोहराई. उन्होंने कहा कि काउंसिल के कुछ सदस्यों ने इस विवाद को शांतिपूर्ण तरीके से सुलझाने की जरूरत को स्वीकार किया. उन्होंने यह भी कहा कि कश्मीर की जनता की इच्छा को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता. इफ्तिखार ने ये भी कहा कि एकतरफा फैसलों से स्थिरता नहीं आ सकती, इसके लिए अंतरराष्ट्रीय कानूनों और कूटनीतिक प्रक्रिया का पालन जरूरी है. 

3. भारत के कदमों पर आपत्ति

पाकिस्तान ने भारत के 23 अप्रैल को लिए गए फैसलों पर कड़ी आपत्ति जताई, जिनमें सबसे अहम था सिंधु जल समझौते को स्थगित करना. पाकिस्तान का कहना है कि इससे उनके देश में पानी की भारी कमी हो सकती है, जिससे आर्थिक संकट गहरा सकता है. उन्होंने भारत पर क्षेत्रीय अस्थिरता बढ़ाने और आर्थिक रूप से पाकिस्तान को कमजोर करने की कोशिश का आरोप लगाया. पाकिस्तान का तर्क है कि ऐसे कदम अंतरराष्ट्रीय नियमों और आपसी संधियों का उल्लंघन करते हैं, जिन्हें यूएन को गंभीरता से लेना चाहिए. 

4. यूएन चीफ से पाकिस्तान की बातचीत

पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने यूएन महासचिव एंटोनियो गुटेरेस से दो बार फोन पर बात कर स्थिति की गंभीरता बताई. उन्होंने कहा कि भारत द्वारा लिए गए आर्थिक और कूटनीतिक कदम पाकिस्तान के हितों को नुकसान पहुंचा रहे हैं. शरीफ ने भारत पर अंतरराष्ट्रीय वित्तीय संस्थाओं को राजनीतिक हथियार की तरह इस्तेमाल करने का भी आरोप लगाया. यूएन चीफ ने इस मुद्दे पर बातचीत जारी रखने की बात कही. 


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5. संयुक्त राष्ट्र की प्रतिक्रिया

अब तक यूएनएससी की ओर से इस मीटिंग को लेकर कोई आधिकारिक बयान जारी नहीं किया गया है. हालांकि, पाकिस्तान के दूत असीम इफ्तिखार ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में दावा किया कि काउंसिल के कई सदस्य कूटनीति और संवाद के पक्षधर हैं. उन्होंने कहा कि भारत के कदमों को लेकर गंभीर चिंता जताई गई और कश्मीर विवाद के शांतिपूर्ण समाधान की बात उठी. हालांकि, भारत की ओर से कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है. 

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