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Kundali Dosh: कुंडली में ये 6 दोष होते हैं बेहद गंभीर, अच्छी किस्मत पर भी लगा देते हैं बट्टा

Kundali Dosh: व्यक्ति की कुंडली में कई दोष ऐसे होते हैं जो व्यक्ति को जीवन भर परेशान करते हैं. यह दोष व्यक्ति के जीवन को प्रभावित करते हैं.

Kundali Dosh: कुंडली में ये 6 दोष होते हैं बेहद गंभीर, अच्छी किस्मत पर भी लगा देते हैं बट्टा

प्रतीकात्मक तस्वीर

डीएनए हिंदी: हिंदू धर्म (Hindu Dharma) में व्यक्ति की कुंडली (Kundali) का उसके जीवन में बहुत अधिक महत्व होता है. जन्म समय, तारीख और स्थान के आधार पर व्यक्ति की कुंडली (Kundali) का निर्माण होता है. व्यक्ति यदि जीवन में बहुत कठिन परिश्रम के बाद भी सफल नहीं हो रहा है तो ऐसे में उसकी कुंडली में दोष (Kundali Dosh) हो सकते हैं. कुंडली में 6 दोष (Kundali Dosh) ऐसे होते हैं जो व्यक्ति को हर समय परेशान करते हैं. तो चलिए ज्योतिषाचार्य प्रीतिका मजूमदार से कुंडली के इन 6 दोषों के बारे में जानते हैं.

कालसर्प दोष (Kaal Sarp Dosh)
जन्म के समय ग्रहों की दशा के कारण कालसर्प दोष होता है. यदि जन्म के समय सभी ग्रह एक तरफ हो और राहु-केतु आमने-सामने हो तो कालसर्प दोष होता है. कालसर्प दोष के होने से जातक को जीवन में कई उतार-चढ़ाव का सामना करना पड़ता है.

गुरु चांडाल दोष (Guru Chandal Dosh)
व्यक्ति की कुंडली के किसी भी भाव में बृहस्पति के साथ राहु के होने पर गुरु चांडाल दोष होता है. यह दोष जातक को खूब परेशान करता है. गुरुवार को राहु नक्षत्र में राहु के मंत्रों का जाप करने से इस दोष को शांत किया जा सकता है.

मंगल दोष (Mangala Dosh)
यदि जातक की कुंडली में मंगल लग्न चौथे, सातवें, आठवें और बारहवें भाव में हो तो मंगल दोष होता है. मंगल दोष के कारण व्यक्ति की शादी में परेशानी होती है.

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विष दोष (Vish Dosh)
चंद्र और शनि के एक साथ किसी भी भाव में बैठे होने से जातक को विष दोष का सामना करना पड़ता है. इस दोष को दूर करने के लिए जातक को पंचमी तिथि खासकर नागपंचमी का व्रत करना चाहिए.

पितृ दोष (Pitra Dosh)
व्यक्ति की कुंडली के नौवें भाव में राहु, बुध या शुक्र ग्रह के होने से पितृ दोष होता है. कुंडली के दशवें भाव में गुरु के होने से वह शापित माना जाता है ऐसे में पितृ दोष होता है. जन्मपत्री में सूर्य पर शनि या राहु-केतु की दृष्टि हो तो व्यक्ति की कुंडली में पितृ ऋण की स्थिति होती है.

केन्द्राधिपति दोष (Kendradhipati Dosh)
केन्द्राधिपति दोष का केंद्र भाव जातक की कुंडली का पहला, सातवां और दसंवा भाव होता है. मिथुन और कन्या राशि के जातकों की कुंडली में बृहस्पति ग्रह के चौथे, सातवें और दसवें भाव में होने से और मीन धनु राशि के पहले, चौथे, सातवें और दसवें भाव में बुध के होने से केन्द्राधिपति दोष दोष होता है.

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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. डीएनए हिंदी इसकी पुष्टि नहीं करता है.) 

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