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Amavasya पर भूत-प्रेत के प्रभाव से और Purnima पर आत्महत्या के विचारों से रहें सावधान, शैतानी ताकतें होती हैं अधिक सक्रिय

Amavasya And Purnima Night: अमावस्या और पूर्णिमा की रातों पर नकारात्मक शक्तियां और प्रेत-आत्मा का गहरा प्रभाव होता है.

Amavasya पर भूत-प्रेत के प्रभाव से और Purnima पर आत्महत्या के विचारों से रहें सावधान, शैतानी ताकतें होती हैं अधिक सक्रिय

प्रतीकात्मक तस्वीर

डीएनए हिंदी: आजकल के आधुनिक युग में भूत-प्रेत (Bhoot Pret) में विश्वास रखना थोड़ा अजीब लगता है लेकिन कई लोग आज भी प्रेतात्माओं और मृत्यु के बाद व्यक्ति की आत्मा के बारे में विश्वास रखते हैं. आपने भी कभी न कभी भूतों की कहानी और किस्सों के बारे में जरूर सुना होगा. भूतों का जहां जिक्र हो वहां पर अमावस्या (Amavasya) और पूर्णिमा (Purnima) की रात का नाम जरूर होता है. दरअसल, इन दो रातों पर नकारात्मक शक्तियां या कहें कि प्रेत (Bhoot Pret)आत्मा का गहरा प्रभाव पड़ता है. ऐसा भी कहा जाता है कि इन दिनों पर शैतानी शक्तियां (Negative Powers) ज्यादा सक्रिय होती है. 

हिंदू पंचाग के अनुसार, प्रत्येक माह में 30 दिन होते हैं. पंचांग में चंद्रकला के आधार पर इन 30 दिनों को कृष्ण और शुक्ल पक्ष में विभाजित किया गया है. इन दोनों पक्ष के पूरे होने के बाद अमावस्या और पूर्णिमा तिथि आती है. शुक्ल पक्ष की अंतिम दिन पर पूर्णिमा होती है और कृष्ण पक्ष की अंतिम तिथि पर अमावस्या होती है. भूत प्रेत (Bhoot Pret) को लेकर लोगों में इन दो रातों का बहुत डर होता है. साल में 12 अमावस्या और 12 पूर्णिमा का अपना अलग-अलग महत्व होता है.

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अमावस्या की रात को सक्रिय रहती है शैतानी ताकतें (Amavasya Night)
ज्योतिष और तंत्र साधकों के अनुसार, अमावस्या की रात को दानव और प्रेत आत्माएं अधिक सक्रिय होती हैं. मान्यताओं के अनुसार, अमावस्या की रात को कुछ घंटों तक बाहर नहीं निकलना चाहिए क्योंकि इस दिन बाहर निकलना अशुभ हो सकता है. अमावस्या की रात को भूत-प्रेत, पिशाच, निशाचर और जीव जंतु अधिक सक्रिय होते हैं. 

अमावस्या पर भूलकर भी न जाएं यहां
अमावस्या के दिन चांद नहीं दिखता है ऐसे में पृथ्वी पर चंद्रमा का प्रकाश नहीं पड़ता है. चंद्रमा की रोशनी पृथ्वी पर न पड़ने से अनिष्ट शक्तियां और भूत-प्रेत पिशाच की बाधांए काला जादू में फंसे लोग अधिक प्रभावित होते हैं. अमावस्या की रात को भूलकर भी श्मशान कब्रिस्तान और उसके आस-पास नहीं जाना चाहिए. आपको इस दिन खंडर घर, जंगल, रेलवे ट्रेक के पास भी नहीं जाना चाहिए. 

पूर्णिमा की रात को आते हैं आत्महत्या के विचार (Purnima Ki Raat)
पूर्णिमा की रात को चंद्रमा का प्रभाव बहुत तेज होता है. पुर्णिमा के दिन मन बैचेन रहता है और ऐसे में कमजोर दिल वालों को आत्महत्या के विचार आते हैं. चंद्रमा के तेज प्रभाव के कारण शरीर के अंदर रक्त और न्यूरॉन सेल्स क्रियाशील होते हैं. दरअसल, चंद्रमा का पृथ्वी से जल का संबंध होता हैं. पूर्णिमा पर ज्वार भाटा उत्पन्न होता है. ऐसे में पूर्णिमा पर जल ऊपर की ओर खींचता है. पूर्णिमा पर जल की गति में बदलाव हो जाता है. इस रात शैतानी शक्तियां भी सक्रिय होती हैं.

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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. डीएनए हिंदी इसकी पुष्टि नहीं करता है.) 

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