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धर्म
फाल्गुन अमावस्या के दिन स्नान और दान करने की परंपरा है और इस दिन सुबह से ही परिघ योग बन रहा है. इस योग में शनि का प्रभाव अधिक होता है क्योंकि यह शनि स
डीएनए हिंदीः फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि 19 फरवरी दिन रविवार की शाम 4 बजकर 18 मिनट से शुरू होगी.फाल्गुन अमावस्या के दिन स्नान और दान करने की परंपरा है. इस दिन तीर्थ में स्नान, सूर्य पूजा, पितरों की पूजा और दान करते हैं. अमावस्या के दिन पीपल के पेड़ को जल देकर दीप जलाना चाहिए. ऐसा करने से देवों का आशीर्वाद प्राप्त होता है.
बता दें कि इस साल फाल्गुन अमावस्या पर परिघ योग बन रहा है और ये योग शत्रुओं के लिए घातक होता है. आइए ज्योतिषाचार्य प्रीतिका मोजुमदार से जानें कि फाल्गुन अमावस्या कब है, परिघ योग का महत्व, स्नान दान का मुहूर्त आदि क्या है.
फाल्गुन अमावस्या 2023 तिथि
पंचांग के अनुसार, फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि 19 फरवरी दिन रविवार को शाम में 04 बजकर 18 मिनट से प्रारंभ हो रही है, यह अगले दिन सोमवार 20 फरवरी को दोपहर 12 बजकर 35 मिनट तक मान्य है. उदयातिथि के आधार पर फाल्गुन अमावस्या 20 फरवरी को है और यह सोमवती अमावस्या है. सोमवती अमावस्या को स्नान दान करने से अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है.
परिघ योग में फाल्गुन अमावस्या
20 फरवरी को फाल्गुन अमावस्या के दिन प्रात:काल से ही परिघ योग बन रहा है. यह योग सुबह 11 बजकर 03 मिनट तक रहेगा. उसके बाद से शिव योग प्रारंभ होगा. परिघ योग में शनि का प्रभाव अधिक होता है और शनि न्याय के देवता हैं. खास बात ये है कि इस योग का शासन भी शनि करते हैं, यही कारण है कि ये उन लोगों का नाश करता है जिनके मानसिक और शारीरिक कर्म बुरे होदे है, सीधे शब्दों में कहें तो इस योग में शत्रुओं के नाश के लिए आप उपाय करें तो वह सफल होंगे. शत्रुओं को परास्त करने के लिए आपका हर कार्य सफल होगा, बस ध्यान रहे कि बेवजह किसी का बुरा न करें अन्यथा ये उपाय आपके लिए ही घातक साबित होगा. परिघ योग में कोई शुभ कार्य नहीं करना चाहिए.
फाल्गुन अमावस्या स्नान दान मुहूर्त
इस साल फाल्गुन अमावस्या के दिन आप सूर्योदय से ही स्नान दान कर सकते हैं. उस दिन सुबह 06 बजकर 56 मिनट से सुबह 08 बजकर 20 मिनट तक अमृत-सर्वोत्तम मुहूर्त है. यह समय भी स्नान और दान के लिए अच्छा है.
करें पितरों को प्रसन्न
फाल्गुन अमावस्या पर पितरों को जल से तर्पण दे दें. पितरों का स्मरण करके उनके निमित्त दान कर दें. इसके अलावा ब्राह्मणों को भोजन करा सकते हैं. पिंडदान और श्राद्ध कर्म से पितृ दोष से मुक्ति मिलती है. पितृ सूक्त का पाठ से पितृ उन्नति और वंश का आशीर्वाद देते हैं.
सूर्य को अर्घ्य जरूर दें
इस दिन स्नान के बाद सूर्य को अर्घ्य दें और उनके बीज मंत्र ॐ ह्रीं ह्रीं सूर्याय सहस्रकिरणराय मनोवांछित फलम् देहि देहि स्वाहा या ॐ सूर्याय नम: या ॐ घृणि सूर्याय नम: का जाप करें.
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